Pm Narinder Modi ने किसानों को दिलाई गुरु नानक देव जी की याद, बोले, ‘जाने-अनजाने में उठते हैं विरोध के सुर’
PM Narendra Modi in Varanasi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देव दीपावली के मौके पर वाराणसी में दीप प्रज्जवलित करने के बाद जनसभा को संबोधित किया.
- PM बनने के बाद मोदी 23वीं बार वाराणसी पहुंचे, अपने दूसरे कार्यकाल में वे तीसरी बार यहां आए हैं
- मोदी राजघाट पर देव दीपावली कार्यक्रम में शामिल हुए, भगवान बुद्ध की तपस्थली सारनाथ रवाना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को देव दीपावली (Dev Deepawali) के मौके पर वाराणसी (Varanasi) में दीप प्रज्वलित कर दीप महोत्सव की शुरुआत की. प्रधानमंत्री ने वाराणसी के राजघाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने के बाद काशीवासियों को संबोधित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने देव दीपावली महोत्सव में कहा कि कोरोना काल ने सब कुछ बदल दिया लेकिन काशी की भक्ति शक्ति को कोई नहीं बदल सकता है. सुबह से ही काशी वासी स्नान दान में लगे हुए हैं, काशी की गलियों में जगमगाहट है. पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले काशी से माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति गायब हो गई थी वह फिर से वापस आ रही है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. प्रधानमंत्री मोदी ने देव दीपावली महोत्सव में कहा कि ऐसा प्रयास अगर पहले किया गया होता तो ऐसी न जाने कितनी मूर्तियां देश को वापस मिल गई होतीं. कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब अपना परिवार होता है हमारे लिए विरासत का मतलब है हमारी संस्कृति, विरासत और मूल्य.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 23वीं बार अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। दोपहर में 6 लेन हाईवे का लोकार्पण किया, खजुरी में जनसभा की। शाम को काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे और बाबा का अभिषेक किया। इसके बाद अलकनंदा क्रूज से राजघाट पहुंच कर दीप प्रज्ज्वलित किया। यहीं पर काशीवासियों को संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में काफी कुछ बदल गया पर काशी की शक्ति और भक्ति नहीं, यही तो मेरी अविनाशी काशी है।
मोदी के संबोधन के साथ ही काशी के 84 घाट, 15 लाख दीयों से रोशन हो गए। मोदी अब सारनाथ रवाना हुए हैं और यहां लेजर शो की शुरुआत करेंगे।
#WATCH Prime Minister Narendra Modi offers prayers at Kashi Vishwanath Temple in Varanasi
Chief Minister Yogi Adityanath also present pic.twitter.com/MF7piTO9zY— ANI UP (@ANINewsUP) November 30, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा ध्यान देश की विरासत को संभालने और उसे संजोकर रखने में है. उन्होंने कहा कि लाखों दीपों से काशी के 84 घाटों का जगमग होना अद्भुत है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि काशी आज महादेव के माथे पर विराजमान चंद्रमा की तरह चमक रही है. पीएम मोदी ने कहा कि आज ये दीपक उन आराध्यों के लिए भी जल रहे हैं जो कि जन्मभूमि के लिए बलिदान देते हैं. पीएम मोदी ने शहीदों को भी नमन किया. उन्होंने कहा कि भारत आज देश विरोधी ताकतों, सीमा के विस्तारवाद के साथ-साथ, गरीबी, बेरोजगारी से भी लड़ रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि आज देश आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ चलकर देश लोकल के लिए वोकल हो रहा है.
देशहित में सुधार होने पर उठते हैं विरोध के स्वर
पीएम मोदी ने कहा कि देशहित में सुधार होते हैं तो फिर विरोध के स्वर भी उठते हैं. उन्होंने कहा कि नेक नियत से जब अच्छे कर्म किए जाते हैं तो विरोध के बावजूद उनकी सिद्धि होती ही है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर के अलावा इसका दूसरा उदाहरण क्या ही होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम रिफॉर्म्स की बात करते हैं, लेकिन समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक तो स्वयं गुरु नानक देव जी ही थे. हमने ये भी देखा है कि जब समाज, राष्ट्रहित में बदलाव होते हैं, तो जाने-अनजाने विरोध के स्वर ज़रूर उठते हैं. लेकिन जब उन सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है तो सबकुछ ठीक हो जाता है. यही सीख हमें गुरुनानक देवजी के जीवन से मिलती है.
मोदी की स्पीच की 8 खास बातें
1. काशी के कोतवाल की जय और कार्तिक मास का महत्व बताया
मोदी ने स्पीच की शुरुआत काशी के कोतवाल की जय से की। उन्होंने भोजपुरी में कार्तिक महीने का महत्व बाताय। कहा- नारायण का विशेष महीना यानी पुण्य कार्तिक मास के पुनमासी कहलन। इस पुनमासी पर गंगा में डुबकी लगावे, दान-पुन्य का महत्व रहल है। बरसों से दशाश्वमेघ, शीतला घाट या अस्सी पर सब डुबकी लगावत आवत रहल। पंडित रामकिंकर महाराज पूरे कार्तिक महीना बाबा विश्वनाथ के राम कथा सुनावत रहलन। देश के हर कोने से लोग उनके कथा सुने आवे।
2. ऊर्जा से भरी अविनाशी काशी का जिक्र
मोदी ने कहा- कोरोना काल ने भले ही काफी कुछ बदल दिया है, लेकिन काशी की ऊर्जा, भक्ति, शक्ति उसको कोई थोड़े ही बदल सकता है। सुबह से ही काशीवासी स्नान, ध्यान और दान में ही लगे हैं। काशी वैसे ही जीवंत है, काशी की गलियां वैसी ही ऊर्जा से भरी हैं, काशी के घाट वैसे ही दैदीप्यमान हैं। यही तो मेरी अविनाशी काशी है।
3. मां अन्नपूर्णा की 100 साल बाद वापसी का ऐलान
प्रधानमंत्री बोले, “100 साल से भी पहले माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी, वो फिर वापस आ रही है। माता अन्नपूर्णा फिर एकबार अपने घर लौटकर आ रही हैं। काशी के लिए ये बड़े सौभाग्य की बात है। हमारे देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां आस्था के प्रतीक के साथ ही अमूल्य विरासत भी हैं। इतना प्रयास अगर पहले किया गया होता तो ऐसी कितनी ही मूर्तियां देश को काफी पहले वापस मिल जातीं, लेकिन कुछ लोगों की सोच अलग रही है। कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब अपनी प्रतिमाएं और अपने परिवार की तस्वीरें हैं। उनका ध्यान परिवार की विरासत को बचाने में रहा। हमारा ध्यान देश की विरासत बचाने और उसे संरक्षित करने पर है।’
4. काशी के नागरिकों को बताया देवता
उन्होंने कहा, “जब त्रिपुरा सुर नामक दैत्य ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था, तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था। आतंक, अत्याचार और अंधकार के उस अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में आकर दीये जलाए थे। दिवाली मनाई थी। देवों की वो दीपावली ही देव दीपावली है। ये देवता कौन हैं, ये देवता तो आज भी हैं, आज भी ये देवता बनारस में दीपावली मना रहे हैं। संतों ने लिखा है कि काशी के लोग ही देव स्वरूप हैं। काशी के नर-नारी तो देवी और शिव के ही रूप हैं। इन 84 घाटों पर इन लाखों दीपों को आज भी देवता ही प्रज्ज्वलित कर रहे हैं, देवता ही ये प्रकाश फैला रहे हैं।
5. शहीदों को नमन किया, चीन को चेतावनी दी
प्रधानमंत्री बोले- ये दीपक उनके लिए भी जल रहे हैं, जो देश और जन्मभूमि के लिए बलिदान हुए। ये पल भावुक कर जाता है। देश की रक्षा में अपनी शहादत देने वाले, अपनी जवानी खपाने वाले, अपने सपनों को मां भारती के चरणों में बिखेरने वाले हमारे सपूतों को नमन करता हूं। साथियों चाहे सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें हों, विस्तारवादी ताकतों का दुस्साहस हो, या देश के भीतर देश को तोड़ने वाली साजिशें हों, भारत आज सबका जवाब दे रहा है और मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इसके साथ ही देश अब गरीबी, अन्याय और भेदभाव के अंधकार के खिलाफ भी बदलाव के दीये जला रहा है।
6. लोकल फॉर वोकल का नारा लगवाया
उन्होंने कहा कि देश आज लोकल के लिए वोकल हो रहा है। याद रखते हैं कि भूल जाते हैं, मेरे जाने के बाद। मैं बोलूंगा वोकल फॉर, आप बोलिएगा लोकल। इस बार की दिवाली जैसे मनाई गई, जैसे देश के लोगों ने लोकल प्रोडक्ट, लोकल गिफ्ट के साथ अपने त्योहार मनाए, वो वाकई प्रेरणादाई है। ये केवल त्योहार नहीं, हमारी जिंदगी का हिस्सा बनना चाहिए। प्रयासों के साथ हमारे पर्व भी एक बार फिर से गरीब की सेवा का माध्यम बन रहे हैं।
7. लोगों को याद दिलाई गुरुनानक की सीख
नरेंद्र मोदी बोले- गुरुनानक देव ने अपना पूरा जीवन ही गरीब, शोषित, वंचित की सेवा में समर्पित किया था। काशी का गुरुनानक देव से आत्मीय संबंध भी रहा है। उन्होंने लंबा समय काशी में व्यतीत किया था। काशी का गुरुद्वारा उस दौर का साक्षी है, जब गुरुनानक जी पधारे थे और नई राह दिखाई थी। आज हम रिफॉर्म्स की बात करते हैं, लेकिन समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म के बहुत बड़े प्रतीक तो गुरुनानक थे। जब समाज हित, राष्ट्र हित में बदलाव होते हैं तो जाने-अनजाने विरोध के स्वर जरूर उठते हैं। जब उन सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है तो सब ठीक हो जाता है। यही सीख हमें गुरुनानक जी के जीवन से मिलती है।
8. विश्वनाथ के धाम में लिया राम मंदिर का नाम
उन्होंने कहा कि जब काशी के लिए किए जाने वाले कामों की शुरुआत की गई थी। विश्वनाथ कॉरिडोर का ऐलान किया गया था, तब लोगों ने विरोध किया था। विकास के कामों का विरोध किया गया। आज बाबा की गुफा से काशी का गौरव जीवित हो रहा है। नेक नीयत से जब काम किए जाते हैं तो विरोध के बावजूद उनकी सिद्धि होती है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर से बड़ा इसका और उदाहरण क्या होगा। बरसों से इस काम को लटकाने-भटकाने का काम हुआ, डर फैलाने का काम किया गया। जब रामजी ने चाह लिया तो मंदिर बन रहा है।
9. काशी में लंबे समय बाद आने की वजह बताई
मोदी बोले कि मैं पहले तो बार-बार आपके बीच आता था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण विलंब हो गया। जब इतना समय मिला बीच में तो मुझे लगता था कि कुछ खो दिया। आज जब आया तो आपके दर्शन से मन ऊर्जावान हो गया। मैं इस कोरोना के कालखंड में भी एक दिन भी आपसे दूर नहीं था। केस, अस्पताल की व्यवस्था, गरीब भूखा तो नहीं है, हर बात में मैं सीधा जुड़ा रहता था। आपने किसी को भूखा नहीं रहने दिया, दवा बिना नहीं रहने दिया। ये पूरी दुनिया में हुआ है, मेरी काशी में हुआ है। आपने गरीब से गरीब की जो चिंता की है, उसने मेरे दिल को छू लिया है। मैं जितना आपकी सेवा करूं, वो कम है।
काशी के 16 घाटों पर बनाईं कलाकृतियां
इस दौरान 16 घाटों पर उनसे जुड़ी कथा की बालू से कलाकृतियां बनाई गई हैं। जैन घाट के सामने भगवान जैन की आकृति, तुलसी घाट के सामने विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया के कालिया नाग की आकृति और ललिता घाट के सामने मां अन्नपूर्णा देवी की आकृति भी बनाई गई है। देव दीपावली पर प्रधानमंत्री ने खुद भी दीपदान किया। दशाश्वमेध घाट पर महाआरती के दौरान 21 बटुक और 42 कन्याएं आरती में शामिल हुईं। सुरक्षा के लिहाज से एक दिसंबर तक काशी में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
पिछली बार से डेढ़ गुना ज्यादा दीप जले
देव दीपावली पर काशी के सभी 84 घाट दीपकों से रोशन होते हैं। हर साल लाखों लोग इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दी गई थी। हर एक शख्स के लिए मास्क अनिवार्य किया गया। पिछले साल यहां 10 लाख दीये जलाए गए थे। लेकिन इस बार दीपों की संख्या में 5 लाख की बढ़ोत्तरी कर दी गई। 20-25 घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
देव दीपावली का महत्व
मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में देव दीपावली का अद्भुत संयोग माना जाता है। इस दिन दीपदान करने का पुण्य फलदायी और विशेष महत्व वाला होता है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने खुद धरती पर आकर तीन लोक से न्यारी काशी में देवताओं के साथ गंगा घाट पर दिवाली मनाई थी। इसलिए इस देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।