नई दिल्ली. केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ किसानों केसा आंदोलन का आज 5वां दिन है। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन जारी है। आज वे दिल्ली के 5 एंट्री पॉइंट्स को सील करने की तैयारी में हैं। किसानों के जमावड़े को देखते हुए पुलिस ने सिंघु और टिकरी बॉर्डर को आवाजाही के लिए बंद कर दिया है।
दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर गुरुनानक जयंती के मौके पर गुरुवाणी का पाठ करते किसान.
Delhi: Protesting farmers who have gathered at Singhu border (Delhi-Haryana border) offer prayers on the occasion of #GuruNanakJayanti, today. pic.twitter.com/YkXgFJhNTz
— ANI (@ANI) November 30, 2020
अपडेट्स
- बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर मौजूद किसानों का प्रदर्शन जारी है। उधर, पुलिस ने गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर बैरिकेड्स और सिक्योरिटी बढ़ा दी है।
- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नए कृषि कानून APMC मंडियों को खत्म नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी।
नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियाँ पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर। #FarmBills pic.twitter.com/xRi35CkOTs
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
कृषि कानून के विरोध में जारी किसानों के प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार एक्टिव हुई है. सरकार की ओर से किसानों को बातचीत का न्योता दिया जा रहा है, साथ ही अब केंद्रीय मंत्रियों की ओर से कृषि कानून के मसले पर सफाई दी जा रही है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर समेत अन्य नेताओं ने सोमवार सुबह ट्वीट कर कृषि कानून के बारे में जानकारी दी.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार सुबह ट्वीट कर लिखा, ‘नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं. मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी. नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है, जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पाएगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर.’ उनके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट किया. प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा कि कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें. पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा. MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है.
कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा। MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 30, 2020
आपको बता दें कि कृषि कानून को लेकर किसानों की सबसे बड़ी चिंता एमएसपी की ही है और मंडियों को लेकर बात कही जा रही है. ऐसे में सरकार की ओर से लगातार इन समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से किसानों को तीन दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया है, इसके अलावा खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपील करते हुए कहा था कि अगर किसान बुराड़ी स्थित मैदान में आते हैं तो उनसे तुरंत भी बात हो सकती है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में कृषि कानून के फायदे गिनाए थे और किसानों से किसी तरह की अफवाह में ना आने की अपील की थी.
सरकार चाहती है कि सभी किसान बुराड़ी पहुंचें तो बातचीत की जाए, लेकिन किसानों ने रविवार को कहा था कि बुराड़ी नहीं जाएंगे और दिल्ली की घेराबंदी के लिए 5 एंट्री पॉइंट्स पर धरना देंगे। किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा बोले- हमारे पास इतना राशन है कि 4 महीने भी हमें रोड पर बैठना पड़े, तो बैठ लेंगे। गाजियाबाद बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की पुलिस से हाथापाई हुई। हालांकि, बाद में यहां किसानों ने भजन भी गाए। उधर, सरकार अपनी स्ट्रैटजी बनाने में जुटी है। गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर रविवार रात बैठक की।
किसानों के आंदोलन में शामिल एक और किसान की मौत हो गई. किसान आंदोलन (Farmers Agitation) हिस्सा लेने जा रहे किसान गज्जर सिंह रविवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से मौत (Death) हो गई. बहादुरगढ बाईपास पर न्यू बस स्टैंड के पास उनकी मौत हुई. मृतक गज्जन सिंह लुधियाना समराला के खटरा भगवानपुरा गांव के रहने वाले थे. मृतक की उम्र करीबन 50 साल थी और वो किसान आंदोलन में शामिल थे. किसान के शव को नागरिक अस्पताल में रखवाया गया है.
- नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने कहा है कि आंदोलन कर रहे किसान नए कृषि कानूनों को पूरी तरह या सही प्रकार से समझ नहीं पाए हैं. इन कानूनों का मकसद वह नहीं है, जो आंदोलन कर रहे किसानों को समझ आ रहा है. इन कानूनों का उद्देश्य इसके बिल्कुल उलट है.
- दिल्ली में किसानों के आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश के मुरैना में फायरिंग से हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि बाहुबलियों ने कृषि उपज मंडी में कई राउंड फायरिंग की. इस दौरान एक किसान घायल हो गया. इस पूरी घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है. मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है.
हाईवे पर बसा मिनी पंजाब
किसान आंदोलन के चलते हाईवे का नजारा मिनी पंजाब जैसा हो गया है। ट्रॉलियों को ही किसानों ने घर बना लिया है। यहीं खाना बन रहा है तो यहीं नहाने और कपड़े धोने का इंतजाम है। जगह-जगह लंगर लगे हैं। धरने वाले धरने पर बैठे हैं। खाना बनाने वाले खाना बना रहे हैं। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।
किसान संगठनों के 3 ऐलान
1. बुराड़ी ओपन जेल, वहां नहीं जाएंगे: किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा- सरकार ने यह शर्त रखी थी कि हम हाईवे खाली कर बुराड़ी जाएं। शर्त अपमानजनक है। हम बुराड़ी मैदान में नहीं जाएंगे, क्योंकि वह ओपन जेल है। इसका सबूत भी है हमारे पास। उत्तराखंड के तेजिंदर सिंह विर्क की अगुआई में किसान दिल्ली के जंतर-मंतर जाना चाहते थे। दिल्ली के प्रशासन और पुलिस ने उनके साथ धोखा किया। उन्हें जंतर-मंतर न ले जाकर बुराड़ी पार्क में कैद कर दिया।
2. पांच एंट्री पॉइंट्स से करेंगे दिल्ली का घेराव, लंबी लड़ाई की तैयारी
सिरसा ने कहा- हम ओपन जेल में जाने की बजाय सोनीपत, रोहतक के बहत्तर गढ़, जयपुर से दिल्ली हाईवे, मथुरा-आगरा से दिल्ली हाईवे, गाजियाबाद से आने वाला हाईवे जाम करेंगे और दिल्ली की घेराबंदी करेंगे। 5 एंट्री पॉइंट्स पर धरना देंगे। हमने रहने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली को घर जैसा बना रखा है। हम लंबे दौर की तैयारी करके आए हैं।
3. हमारे मंच से कोई राजनीतिक दल स्पीच नहीं देगा
किसानों ने कहा कि हमने एक कमेटी बनाई है। यही पांचों पॉइंट्स पर धरने-प्रदर्शन का संचालन करेगी। किसी भी राजनीतिक दल को स्टेज पर बोलने की इजाजत नहीं है। कांग्रेस, आप या कोई भी राजनीतिक दल के लोग हमारे स्टेज पर स्पीकर के तौर पर नहीं बोलेंगे। इनके अलावा दूसरे संगठनों के जो संचालन कमेटी के तय नियमों को मानेंगे, उन्हें बोलने की इजाजत दी जाएगी।
बुराड़ी से अपने साथियों को वापस बुलाएंगे
इसके साथ ही किसानों ने यह भी कहा कि वे बुराड़ी में मौजूद अपने साथियों को वापस बुलाएंगे। बुराड़ी में किसानों का एक ग्रुप पहले से ही डेरा डाले हुए है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि किसान बुराड़ी मैदान पर इकट्ठे हों। इसके बाद उनसे बात की जाएगी। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि वे दिल्ली घेरने आए हैं, न कि दिल्ली में घिर जाने के लिए।
सरकार ने फिर दिया बातचीत का प्रस्ताव
यूनियन होम सेक्रेटरी अजय भल्ला ने पंजाब के 32 किसान यूनियनों को बातचीत के लिए दिल्ली के बुराड़ी बुलाया था। उन्होंने बताया कि जैसे ही किसान बुराड़ी शिफ्ट होंगे, अगले ही दिन सरकार विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधिमंडल और मंत्रियों के बीच चर्चा के लिए तैयार है। इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों से बातचीत के लिए तैयार है।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (New Agriculture Law 2020) के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के किसानों का महासंग्राम (Farmers Agitation) जारी है. दिल्ली में किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) पर अड़े हुए हैं. अब इन किसानों ने बड़ा ऐलान किया है.
Delhi: Farmers continue their protest at Ghazipur-Ghaziabad (Delhi-UP) border against the farm laws amid security deployment. pic.twitter.com/MhuDgiOhhQ
— ANI (@ANI) November 30, 2020
किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी सभी मांगें नहीं मानी गईं, तो दिल्ली के मुख्य राजमार्ग (Highways) जाम करके आवाजाही पूरी तरह से बंद कर देंगे. गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद को दिल्ली से जोड़ने वाली हाइवे को ब्लॉक करने की चेतावनी से सरकार और दिल्ली पुलिस महकमे में खलबली मच गई है. सरकार की तरफ से किसानों को एक बार फिर से बातचीत का प्रस्ताव भेजा है.
Farmers stay put at Singhu border (Delhi-Haryana border) as their protest against the Central Government's Farm laws continues. pic.twitter.com/XKUHQs3hDO
— ANI (@ANI) November 30, 2020
किसान पिछले 4 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं और उनकी मांग जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की है. किसान यूनियन ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार की ओर से बुराड़ी में प्रदर्शन करने का प्रस्ताव हम नामंजूर करते हैं. हम बिना शर्त सरकार से बातचीत चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बुराड़ी ओपन जेल की तरह है और वो आंदोलन की जगह नहीं है. हमारे पास पर्याप्त राशन है और 4 महीने तक हम रोड पर बैठ सकते हैं. भारतीय किसान यूनियन क्रांतिकारी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि दिल्ली आने वाली पांच सड़कों को हम जाम कर देंगे. हम 5 प्वाइंट पर धरना देंगे. किसानों ने प्रदर्शन के लिए बुराड़ी जाने से मना कर दिया तो देर रात बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर हाई लेवल बैठक हुई जो करीब 2 घंटे तक चली.
#WATCH: Farmers sing songs as they stay put at Ghazipur-Ghaziabad (Delhi-UP) border.
The farmers' protest against the central government's Farm laws continues. pic.twitter.com/MwjT16fpt7
— ANI (@ANI) November 29, 2020
किसानों ने किए तीन बड़े ऐलान
>>बुराड़ी ओपन जेल, वहां नहीं जाएंगे: किसान यूनियन ने बुराड़ी में प्रदर्शन करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है और जंतर-मंतर में धरना देने की अनुमति मांगी है. सरकार ने यह शर्त रखी थी कि किसान हाइवे खाली कर बुराड़ी जाएं. किसान नेताओं का कहना है कि ये शर्त अपमानजनक है. किसान बुराड़ी मैदान में नहीं जाएंगे, क्योंकि वह ओपन जेल है.
5 प्वाइंट से करेंगे दिल्ली का घेराव, लंबी लड़ाई की तैयारी: किसान अब 5 प्वाइंट से करेंगे दिल्ली का घेराव करेंगे. किसान नेताओं ने कहा, ‘हम ओपन जेल में जाने की बजाय सोनीपत, रोहतक के बहत्तर गढ़, जयपुर से दिल्ली हाइवे, मथुरा-आगरा से दिल्ली हाइवे, गाजियाबाद से आने वाला हाइवे जाम करेंगे. 5 प्वाइंट पर हम धरना देंगे और दिल्ली की घेराबंदी करेंगे. हम लंबे दौर की तैयारी करके आए हैं.’
>> हमारे मंच से कोई राजनीतिक दल स्पीच नहीं देगा: किसानों ने कहा कि हमने एक कमेटी बनाई है. किसी भी राजनीतिक दल को स्टेज पर बोलने की इजाजत नहीं है. कांग्रेस, आप या कोई भी राजनीतिक दल के लोग हमारे स्टेज पर स्पीकर के तौर पर नहीं बोलेंगे. इनके अलावा दूसरे संगठनों के जो संचालन कमेटी के तय नियमों को मानेंगे, उन्हें बोलने की इजाजत दी जाएगी.
बढ़ सकते हैं जरूरी चीजों के दाम
किसानों ने दिल्ली के मुख्य हाइवे को जाम करने की चेतावनी दी है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम और जरूरी सामानों की सप्लाई की कीमत बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है. कोविड संकट के कारण पहले ही जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. अब हाइवे ब्लॉक होने से हालात और बिगड़ सकते हैं. किराना, सब्जियों सहित तमाम सामान की आवाजाही के लिए 350 से ज्यादा ट्रक व छोटे लोड वाहन बंद शहर में नहीं घुस पाएंगे. इसका फायदा उठाकर स्थानीय व्यापारी दाम बढ़ा सकते हैं.
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरना-प्रदर्शन के चलते फलों और सब्जियों की आपूर्ति बाधित होने से इनकी कीमत बढ़ गई है. खासतौर से आलू और सेब के दाम बढ़ गए हैं. दिल्ली में सेब का खुदरा भाव 120 रुपये प्रति किलो से ऊपर हो गया है, जबकि दो दिन पहले सेब 80 से 100 रुपये किलो बिक रहा था. इसी प्रकार आलू का भाव अब 40 रुपये प्रति किलो पर आ गया है, पहले 50 रुपये किलो आलू बिक रहा था.
मिनी पंजाब बना हाइवे
किसान आंदोलन के कारण हाइवे का नजारा मिनी पंजाब जैसा हो गया है. ट्रॉलियों को ही किसानों ने घर बना लिया है. यहीं खाना बन रहा है. यहीं नहाने और कपड़े धोने का इंतजाम है. सबके काम बंटे हैं. जगह-जगह लंगर लगे हैं. धरने वाले धरने पर बैठे हैं. खाना बनाने वाले खाना बना रहे हैं.
सरकार ने फिर दिया बातचीत का प्रस्ताव
यूनियन होम सेक्रेटरी अजय भल्ला ने पंजाब के 32 किसान यूनियनों को जल्दी बातचीत के लिए दिल्ली के बुराड़ी बुलाया था. उन्होंने बताया कि जैसे ही किसान बुराड़ी शिफ्ट होंगे, अगले ही दिन भारत सरकार विज्ञान भवन में किसानों के प्रतिनिधिमंडल और मंत्रियों के बीच चर्चा के लिए तैयार है. इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों से बातचीत के लिए तैयार है.
दिल्ली-हरियाणा की सीमा सिंधु बॉर्डर पर किसानों की बैठक हुई. किसानों ने कहा कि 1 दिसंबर से राज्यों में भी प्रदर्शन शुरू किया जाएगा. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का कहना है कि पंजाब और हरियाणा के किसान भारी संख्या में गोलबंद होकर पहुंच रहे हैं. साथ ही यूपी और उत्तराखंड के किसान भी दिल्ली आ रहे हैं.