लुधियाना। बिना किसी उत्पाद की खरीद फरोख्त के फर्जी कंपनियों का निर्माण करके 1600 करोड़ रुपए के फर्जी बिल बनाने वाली मानसा की नामी यार्न निर्माता कंपनी के मालिक को डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस द्वारा गिफ्तार किया गया है।
विभाग की ओर से लंबे सर्च अभियान के बाद पाया गया कि मानसा में 9 से अधिक कंपनियों के इनपुट और आउटपुट के बिल मैच नहीं कर रहे थे। ऐसे में विभाग की टीमों की ओर से मानसा में इन कंपनियों के दिए गए पतों पर जाकर जांच की गई, तो पता चला कि इस नाम की कोई फर्म काम ही नहीं कर रही। जब इनके बिलों की जांच की गई तो 1600 करोड़ रुपये के बिल नौ कंपनियों में काटे गए थे। इन सभी का मास्टरमाइंड मानसा की स्पीनिंग मिल का मालिक था।
इन नौ फर्जी कंपनियों के माध्यम से 80 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की गई। इस मामले में संलिप्त किंगपिन के बेटे को 11 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। जबकि पिता अभी पकड़ से बाहर है और बार-बार बुलाने पर भी वे इनवेस्टीगेशन को ज्वाइन नहीं कर रहे। विभाग को अंदेशा है कि यह केवल नौ कंपनियां ही नहीं बल्कि पंजाब में कई ऐसी कंपनियां काम कर रही है और अगर अभी नौ कंपनियां पकड़ी गई है, तो हो सकता है कि इस किंगपिन की ओर से कुछ और कंपनियों का भी निर्माण किया गया हो।
जीएसटी में जारी की फर्जी इनवॉयस तो लगेगा जुर्माना
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में फर्जी टैक्स इनवॉयस के जरिये कर चोरी के दिन अब लदने ही वाले हैं। जीएसटी कानून में अब फर्जी इनवॉयस के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया जा रहा है। इसके तहत जुर्माने की राशि उतनी ही होगी, जितने की फर्जी इनवॉयस जारी की गई है। यह बदलाव एक अप्रैल, 2020 से लागू हो जाएगा।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के दिनों में फर्जी टैक्स इनवॉयस के जरिये इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी देखी गई। जब इन मामलों की विस्तार से छानबीन की गई तो पता चला कि फर्जी इनवॉयस जारी करने वाले आपूर्तिकर्ता भी जीएसटी नेटवर्क में पंजीकृत कारोबारी हैं लेकिन उनका न तो कोई कारोबार चल रहा है और न ही उनकी फर्म वित्तीय लेनदेन कर रही है। वह कोई वस्तु या सेवा की आपूर्ति या खरीद नहीं कर रहे हैं, बस उन्होंने जीएसटी में पंजीकरण करवा रखा है ताकि इस तरह के फर्जी बिल जारी या खरीदारी करने का गोरखधंधा कर सके।
जितनी रकम की फर्जी एंट्री, उतना ही जुर्माना
इस तरह के गैर कानूनी कृत्य पर लगाम लगाने के लिए इस बार के बजट में इससे संबंधित प्रस्ताव को वित्त विधेयक में शामिल कर दिया गया है। उसमें कहा गया है कि यदि कोई भी जीएसटी पंजीकृत कारोबारी कर देयता घटाने के लिए अपने खाता बही में फर्जी एंट्री करता है या किसी एंट्री को मिटाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। जर्माने की राशि उतनी ही होगी, जितनी की फर्जी एंट्री की गई है या किसी एंट्री को मिटाने का प्रयास किया गया है। इसके साथ ही यह भी प्रावधान किया गया है कि इस कार्य में यदि कोई अन्य व्यक्ति भी शामिल रहता है तो उस पर भी इसी तरह का जुर्माना लगाया जाएगा।
पहले नहीं था जुर्माने का प्रावधान
मौजूदा जीएसटी कानून में फर्जी इनवॉयस के जरिये कर चोरी करने पर कोई जुर्माने का प्रावधान नहीं था। हां, यदि दो करोड़ रुपये से ऊपर की कर चोरी है तो उस स्थिति में गिरफ्तारी और जुर्माने का प्रावधान है। इसे देखते हुए इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले दो करोड़ रुपये तक की राशि का कोई इनवॉयस जारी ही करते थे, ताकि उन तक जीएसटी विभाग के अधिकारी पहुंच नहीं पाए। अब प्रावधान किया गया है कि चाहे किसी भी रकम के फर्जी टैक्स इनवॉयस जारी किये जाएं, जुर्माना तो होगा।
बड़े स्तर पर हो रहा फर्जी इनवॉयस का खेल
केंद्रीय जीएसटी विभाग के दिल्ली कार्यालय में तैनात एक अधिकारिक सूत्र का कहना है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फर्जी टैक्स इनवॉयस बेचने और खरीदने वाले कारोबारी एक गिरोह की तरह काम कर रहे हैं। कई मामलों में देखा गया कि किसी झुग्गी में रहने वाले या छोटी-मोटी नौकरी करने वाले का पैन और आधार संख्या लेकर एक फर्म बनाई और उसे जीएसटी नेववर्क में पंजीकरण करवा लिया गया। उसी फर्म के नाम पर फर्जी बिल खरीदने और बेचने का धंधा चल रहा है। कई मामलों में तो देखा गया कि किसी मलिन बस्ती में एक ही पते पर कई कई फर्म पंजीकृत हैं। यहां तक कि सबका मोबाइल नंबर भी एक ही है।