बठिंडा .बठिंडा सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में लगातार हो रही लापरवाही को लेकर विरोध के स्वर भी तेज हो गए है। अब सामाजिक संगंठनों के साथ राजनीतिक दलों ने मामले में प्रशासन के साथ सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। बुधवार को आम आदमी पार्टी, भारतीयजनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने सिविल अस्पताल का दौरा कर सरकार पर लापरवाही पर आंखे मूंदने का आरोप लगाया। वही सेहत विभाग की तरफ से 7 नवंबर को थैैलेेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी रक्त चढ़ाने के मामले में निलंबित किए चार लैैब टेक्नीशियनों के मामले में ब्लड बैैंक कर्मचारियों व लैब कर्मियों ने बुधवार को पूरा कामकाज बंंद रखा व विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान आपरेशन से लेकर बीमारियों व डोप के टेस्ट नहीं किए गए जिससे आम लोग खाासा परेशान रहेे। वही दोपहर बाद सिविल अस्पताल मेें कर्मियों के विरोध प्रदर्शन के बीच पुलिस नेे कई लोगों को हिरासत में लिया है। वही राज्य स्टेट बाड़ी की टीम भी सिविल अस्पताल में जांच के लिए पहुंच रही हैै। टीम चार बच्चों को गलत रक्त चढाने के आरोपियों की तलाश करेगी व लापरवाही के कारणों का पता लगाएंगी।
राजनीतिक दलों ने घेरा वित्तमंंत्री के साथ जिला प्रशासन को, कहा-गंभीर मामले में लापरवाह रही सरकार
इसमें शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक सरुपचंद सिंगला ने कहा कि सरकार लोगों के फंडों को अपनी सुविधाओं व जेबों को भरने में कर रही है। अस्पताल प्रबंधन से उन्होंने खराब मशीनों व व्यवस्थाओं के संबंध में जानकारी मांगी वही सांसद हरसिमरत कौर बादल के एमपी फंड से उक्त मशीने व साधन उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया।
वही आम आदमी पार्टी के नवदीप सिंह जिंदा ने मामले में दो दिन का समय देते आरोपियों पर सख्त कारर्वाई करने व व्याप्त कामियों को जल्द दुरुस्त करने की मांग रख चेतावनी दी कि अगर 48 घंटे में व्यवस्था दुरुस्त नहीं होती व आरोपी सलाखों के पीछे नहीं डालते तो आप लोगों को साथ लेकर अधिकारियों को दफ्तरों से बाहर निकालकर जबाव मांगेगी व अनिश्तकाल के लिए अस्पताल में सीएमओ व एसएमओ का घेराव करेगी।
वही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरा ने कहा कि अस्पताल में लापरवाही की इंतहा हो गई। अब एक और 11 साल का थैलेसीमिया पीड़ित बच्चा एचआईवी पॉजिटिव पाया गया है। ब्लड बैंक के अधिकारियों और मुलाजिमों की घटिया कारगुजारी के चलते थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसमें भाजपा पूरे मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाने की मांग करेगी क्योंकि पंजाब सरकार व जिला प्रशासन इस मामले में लगातार लापरवाही कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। राज्यके वित्त मंत्री ने एक बार भी अपने विधानसभा क्षेत्र में हो रही इस लापरवाही का संज्ञान नहीं लिया और न ही अस्पताल में पहुंचकर इस बाबत अधिकारियों से जबावतलबी की है।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2020 से 17 नवंबर तक पहले ही 3 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक अन्य महिला को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला सामने आ चुका है। वही मंगलवार को बठिंडा में एक और थैलेसीमिया बच्चा पॉजिटिव पाया गया है। इस तरह से एक महिला सहित चार बच्चों को अस्पताल के लापरवाह स्टाफ व अधिकारियों ने एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ा जान से खेलने का काम किया है।
दो साल से अस्पताल में चढ़ाया जा रहा था ब्लड, अब मामले आने से टेस्ट हुआ तो संक्रमित निकला, 3 बच्चे पहले ही मिल चुके हैं पॉजिटिव
बीकानेर जिले से संबंधित 11 वर्षीय इस बच्चे को पिछले करीब दो साल से सिविल अस्पताल बठिंडा में रक्त चढ़ रहा है, लेकिन अब लगातार थैलेसीमिया बच्चों के पॉजिटिव आने के बाद सिविल अस्पताल में उनका एचआईवी टेस्ट हो रहा है जिसमें मंगलवार को इस बात का खुलासा हुआ। सेहत विभाग की लचर व्यवस्था का पता इस बात से ही लग जाता है कि कार्रवाई के नाम पर अब तक एक आरोपी को छोड़कर बाकी 6 कांट्रेक्ट कर्मचारी सेहत विभाग ने सस्पेंड किए हैं, लेकिन ब्लड बेंक की वर्किंग को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को अभी तक जांच से दूर ही रखा जा रहा है।
फिलहाल बुधवार को थैलेसीमिया पीड़ितों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए बनी एसोसिएशन के प्रधान सुरेश कुमार गर्ग, उपप्रधान महिंदर सिंह, सचिव जगदीश कुमार, कैशियर प्रवीण कुमार, मैंबर जतिंदर कुमार व कशिश कुमार ने थैलेसीमिया पीड़ित परिवारों के साथ सिविल अस्पताल प्रबंधकों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि करीब 40 थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों का सिविल अस्पताल में उपचार चल रहा है। इसमें 20 लोगों के अब तक एचआईवी टेस्ट हो चुके हैं व इसमें चार बच्चे पोजटिव मिले हैं। वही अबी 20 बच्चों के टेस्ट नहीं हुए है। सिविल अस्पताल एक साथ ही सभी को बुलाकर उनके टेस्ट करवाएं ताकि उन्हें संक्रमित रक्त चढ़ाने की जानकारी समय पर मिल सके व उनका उपचार शुरू करवाया जा सके।
वही उन्होंने सिविल व जिला प्रशासन से मांग रखी कि सिविल अस्पताल में लगातार हो रही लापरवाही से पीड़ित परिवारों के अंदर भय का माहौल है। इस स्थिति में जब तक अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती इन सभी बच्चों का उपचार शहर के किसी भी बड़े अस्पताल में सरकारी खर्च पर शुरू करवाया जाए। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते है कि ब्लड बैंक बंद हो लेकिन इसमें कमियों को बिना किसी देरी के ठीक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां सरकार सिविल अस्पताल की इमारत बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा कर रही है वही खराब मशीनों को ठीक करने व नयालाने में मात्र कुछ लाख रुपए खर्च होने हैं। इमारत से ज्यादा मरीजों का जीवन है जिसकी तरह राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को तत्काल ध्यान देना चाहिए।
बठिंडा में 40 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर माह चढ़ा ब्लड
आलम यह है कि बठिंडा अस्पताल के सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू डेढ़ माह बाद सेक्रेटरी हेल्थ हुस्न लाल के निर्देश के बाद ब्लड बैंक की रविवार को पहली बार जांच करने पहुंचे जोकि बेहद अचरज भरा है। दूसरों के खून पर जिंदगी जी रहे थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को बिना जांच रक्त चढ़ाने के मामले का खुलासा होने के बाद सेहत विभाग की बेहद भद्द पिट चुकी है तथा संख्या यहीं थमती नजर नहीं आ रही है क्योंकि बठिंडा में 40 थैलेसीमिया मरीज बच्चों को हर माह रक्त चढ़ रहा था।
वहीं, थैलेसीमिया बच्चों की देखरेख करती बठिंडा थैलेसीमिया वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सुरेश पाल गर्ग, सचिव महिंदर सिंह व प्रवीण कुमार ने कहा कि बार-बार सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव आने के बाद सभी अभिभावक इसके खिलाफ बुधवार को ब्लड बैंक में प्रदर्शन करेंगे। इस बात की पुष्टि करते हुए चिल्ड्रन अस्पताल के डा. सतीश जिंदल ने कहा कि एक और बच्चा टेस्ट में पॉजिटिव आ गया है जिसका इलाज एआरटी सेंटर पर शुरू हो गया है।
इधर, डिसमिस कर्मचारियों के समर्थन में बंद किए ब्लड बैंक
ब्लड बैंक में डिसमिस किए एलटी कर्मचारियों के समर्थन में जिला बठिंडा के सभी सरकारी अस्पतालों के मेडिकल लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन के आह्वान पर सभी ब्लड बैंकों में काम बंद रखा तथा बुधवार को किसी तरह का कोई टेस्ट नहीं किया। ऑप्थेलमोलॉजिस्ट आफिसर एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान हरजीत सिंह, हाकम सिंह, दर्शन सिंह खालसा, गगनदीप आदि ने कहा कि सभी कांट्रेक्ट कर्मचारी बेकसूर हैं तथा उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। फिलहाल सिविल अस्पताल में बुधावार को ब्लड बैंक बंद रखने से किसी को भी खून नहीं जारी किया गया जिसमें सर्वाधिक परेशानी एमरजेंसी केस में ए लोगों के साथ थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों को हुई। वही अस्पताल में डोप टेस्ट, आपरेशन से पहले रुटीन टेस्ट, डेगूं व कोरोना सहित कोई भी बीमारी के टेस्ट नहीं किए गए जिससे मरीजों के साथ परिजनों का भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। कर्मचारी सरकार की तरफ से चार लैब टेक्नीशियनों को गलत ब्लड चढ़ाने के मामले में निलंबित करने का विरोध कर रहे हैं व स्वंय को बेकसूर बता मामले मं आला अधिकारियों पर कानूनी व विभागीय कारर्वाई करने की मांग कर रहे हैं।