बठिडा. सिविल अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक में एचआईवी रक्त चढ़ाने के मामले में राज्य सेहत विभाग की तरफ से चार कर्मियों को निलंबित करने के बाद समूह सेहत मुलाजिमों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इसमें कर्मचारियों ने लैब टैक्निशियनों के पक्ष में खड़े होते बुधवार से सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक के विभिन्न लैब में पूरी तरह से काम बंद करने की घोषणा की है।
यह विरोध सरकार की तरफ से मामले में निष्पक्ष जांच करवाने व असल दोषियों को सजा दिलवाने तक जारी रहेगा। सेहत कर्मी व लैब टैक्निशियन आरोप लगा रहे हैं कि ब्लड बैंक में की गी लापरवाही में उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है जबकि इसमें सिविल अस्पताल के आला अधिकारी भी शामिल है जो अपने हितों को साधने के लिए ब्लड बैंक में लगातार लापरवाही कर रहे हैं व असल दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग फिर से दोहराई है। वही कर्मियों के पक्ष में जहां सिविल अस्पताल के समूह कर्मी ए वही भारतीय किसान यूनियन ने भी कर्मियों का साथ देते उनके आंदोलन में कूदने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि जिन लैब टैक्निशियनों को निलंबित करने की बातकी जा रही है उन्हें जांच में शामिल ही नहीं किया गया और न ही उनका पक्ष जांच कमेटी ने सुना है।
आई आफिसर एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रधान हरजीत सिंह, हाकम सिंह, दर्शन सिह खालसा, गगनदीप सिह, नीलम रानी ने कर्मियों को लगातार ट्रांगेट करने का विरोध जताते कहा कि किसी भी संस्थान में अगर लगातार लापारवाही होती है तो उसके लिए सीधे तौर पर अधिकारी जिम्मेवार होते हैं जो लंबे समय से हो रही लापरवाही को रोकने में जहां नाकाम रहे वही उन्होंने व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए इमानदारी से काम नहीं किया जिसके चलते एक के बाद एक कर लापरवाही होती रही। वही अधिकारी कम साधनों से अधिक काम करवाने की मानसिकता से काम कर रहे हैं जिससे कर्मचारियों खासकर लैब टैक्निशियनों पर काम का अतिरिक्त बोझ डाला जाता है एक कर्मी से कई काम लेने व बिना ट्रेनिंग के उन्हें गंभीर बीमारियों के टेस्ट करवाए जाते हैं।
इसमें अधिकारी की जिम्मेवारी बनती है कि वह काम की गंभीरता को देखते एक्सपर्ट से काम ले अगर उनके पास साधन नहीं है तो वह गंभीर टेस्ट करवाने का काम बाहर से करवाए नाकि लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करे। मंगलवार को विभिन्न संगठनों की तरफ से मीटिग कर बच्चे को गलत ब्लड चढ़ाने की घटना की फिर से निदा की गई। इस दौरान नेताओं ने कहा कि इस घटनाक्रम के पीछे कोई बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में कार्य करने वाले कर्मचारियों को विभाग की ट्रेनिग न देना, सिविल अस्पताल में तीन तीन पैथोलाजिस्ट डाक्टर होने के बावजूद भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन आफिसर (बीटीओ) के तौर पर तैनात न करना, सिर्फ जनरल डाक्टर को ही बीटीओ के तौर पर तैनात करना, आधे से कम स्टाफ से लगातार ड्यूटियां करवाना, जांच कमेटी की तरफ से कर्मियों को चुप रहने के लिए लगातार दबाव बनाने, कमेटी की गुप्त रिपोर्ट मीडिया में देना यह सभी घटनाएं बताती हैं कि अस्पताल प्रशासन इस घटनाक्रम से असली आरोपितों को बचाने में लग गई है।
सिर्फ ठेके की भर्ती टेक्नीशियन को आरोपित साबित किया जा रहा है। नेताओं ने शंका जाहिर करते हुए सरकार की सेहत सेवाओं को निजीकरण की नीति को लाने लिए ब्लड बैंक की शाखा को छीना जा रहा है। सभी निजीकरण विभाग इसका फायदा उठा रहे हैं। ऐसे व्यवहार को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ठेका कर्मियों को बिना वजह जेल में न डाला जाए। उन्होंने कहा कि असल जिम्मेदारी अधिकारियों की है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अगर ऐसा ही किया गया, तो संघर्ष किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होगी। इस दौरान मल्टीपर्पज हेल्थ इंप्लाइज यूनियन गगनदीप सिंह, फार्मासिस्ट यूनियन कुलविदर सिंह, हाकम सिंह, दर्शन सिंह, जसविदर शर्मा, बूटा सिंह, हरजीत सिंह, जगदीप सिंह, शिवपाल सिंह दीपक कुमार शामिल थे।