बठिंडा . बठिडा सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से बिना जांच जारी हुए एचआइवी संक्रमित रक्त मामले में सोमवार देर शाम तक राज्य के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने चार लैब टैक्निसियनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए है। यही नहीं इस मामले में आला अधिकारियों को एचआईवी पोजटिव खून चढ़ाने के मामलों में होने वाली लापरवाही को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करने के लिए भी कहा है। इस मामले में पिछले दिनों एड्स कंट्रोल सोसायटी के दो आला अधिकारियों पर आधारित टीम ने जांच की थी व इसमें आरंभिक जांच में चार लैब टैक्निशियनों को दोषी ठहराते उनके खिलाफ कारर्वाई की सिफारिश की गई थी।
वही जांच चीम ने इस मामले में स्टेंट एजेंसी से निष्पक्ष जांच करने व ब्लड बैंक में हो रही लगातार लापरवाही के कारणों की जांच करवाने को कहा था। इसमें ब्लड बैंक में पिछले दस साल के रिकार्ड की जांच करवाने के लिए भी सिफारिश की थी ताकि हो रही लापरवाही के स्तर का पता लगाया जा सके। सिविल सर्जन बठिडा डा. अमरीक सिंह संधू ने कहा कि उनके पास सेहत मंत्री व विभाग के उच्चाधिकारियों के आदेशों की कोई कापी नहीं मिली मिली है। जैसे ही उन्हें आदेश मिलते हैं, वह उस पर वैसे ही कार्रवाई करेंगे। फिलहाल वह आदेशों का इंतजार कर रहे हैं।
सेहत मुलाजिमों के विभिन्न संगठनों की तरफ से मीटिग कर बच्चे को गलत ब्लड चढ़ाने की घटना की निदा की गई। इस दौरान नेताओं ने कहा कि इस घटनाक्रम के पीछे कोई बड़ी साजिश है। उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में कार्य करने वाले कर्मचारियों को विभाग की ट्रेनिग न देना, सिविल अस्पताल में तीन तीन पैथोलाजिस्ट डाक्टर होने के बावजूद भी ब्लड ट्रांसफ्यूजन आफिसर (बीटीओ) के तौर पर तैनात न करना, सिर्फ जनरल डाक्टर को ही बीटीओ के तौर पर तैनात करना, आधे से कम स्टाफ से लगातार ड्यूटियां करवाना, जांच कमेटी की तरफ से कर्मियों को चुप रहने के लिए लगातार दबाव बनाने, कमेटी की गुप्त रिपोर्ट मीडिया में देना यह सभी घटनाएं बताती हैं कि अस्पताल प्रशासन इस घटनाक्रम से असली आरोपितों को बचाने में लग गई है।
सिर्फ ठेके की भर्ती टेक्नीशियन को आरोपित साबित किया जा रहा है। नेताओं ने शंका जाहिर करते हुए सरकार की सेहत सेवाओं को निजीकरण की नीति को लाने लिए ब्लड बैंक की शाखा को छीना जा रहा है। सभी निजीकरण विभाग इसका फायदा उठा रहे हैं। ऐसे व्यवहार को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ठेका कर्मियों को बिना वजह जेल में न डाला जाए। उन्होंने कहा कि असल जिम्मेदारी अधिकारियों की है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अगर ऐसा ही किया गया, तो संघर्ष किया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होगी। इस दौरान मल्टीपर्पज हेल्थ इंप्लाइज यूनियन गगनदीप सिंह, फार्मासिस्ट यूनियन कुलविदर सिंह, हाकम सिंह, दर्शन सिंह, जसविदर शर्मा, बूटा सिंह, हरजीत सिंह, जगदीप सिंह, शिवपाल सिंह दीपक कुमार शामिल थे।
वहीं दूसरी तरफ ठेके पर काम कर रहे लैब टेक्नीशियनों ने भी सेहत विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि अगर विभाग ने अस्पताल के जिम्मेवार अधिकारियों को छोड़ केवल ठेके पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियनों को पूरे मामले की जिम्मेवार मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की, तो वह जिले के सभी अस्पतालों की लैब व ब्लड़ बैंक बंद कर संघर्ष करेंगे। चूंकि सेहत विभाग अपने अधिकारियों को बचाने के लिए केवल ठेके पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियनों की बलि दे रहा है, जोकि किसी भी कीमत में नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो, वह प्रदेश स्तर पर अपना संघर्ष करेंगे।
बीती तीन अक्टूबर, 2020 से लेकर 17 नवंबर, 2020 के मध्य तीन थैलेसीमिया पीड़ित मासूम बच्चों को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाया जा चुका है। इसमें एक मामले में सेहत विभाग ने केवल एक सीनियर लैब टेक्नीशियन बलदेव सिंह रोमाणा पर केस दर्ज करवाया है, जबकि उसी मामले में आरोपित ब्लड बैंक की इंचार्ज रही डा. करिश्मा व एलटी रिचा गोयल को केवल बर्खास्त किया गया है, जबकि उनके खिलाफ कोई भी केस दर्ज नहीं करवाया गया है। चूंकि यह दोनों ठेके पर भर्ती थी। ऐसे में सात नवंबर वाले मामले में जांच कमेटी ने ब्लड बैंक में ठेके पर काम करने वाले चार लैब टेक्नीशियन को आरोपित बनाया है, जिनके खिलाफ बनती कार्रवाई के लिए सेहत विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। ऐसे में इन कर्मियों पर कार्रवाई हो सकती है। गौर हो कि जांच रिपोर्ट सेहत मंत्री के पास पहुंच चुकी है। उन पर क्या एक्शन लेना है। यह फैसला मंत्री या विभाग के उच्चाधिकारियों की तरफ से लिया जाना है।
ब्लड डोनेशन में भारी कमी, परेशान हो रहे मरीज
अक्टूबर 2020 से लेकर अब तक करीब डेढ़ माह से समय में अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान में काफी कमी आई है। इससे ब्लड बैंक रक्त की कमी से जूझ रहा है। वर्तमान में इमरजेंसी के दौरान ही जरूरतमंद लोग रक्तदान करने आ रहे हैं जिसमें रक्तदान के बाद ही रक्त मिल पा रहा है जिसमें एनजीओ व आमजन पीछे हट गए हैं। ऐसे में मरीजों के लिए रक्त की कमी भारी मुसीबत पैदा कर सकती है। वहीं थैलासीमिया पीड़ित बच्चे जिन्हें एचआइवी रक्त चढ़ाया गया, बेहद मानसिक व शारीरिक परेशानी से गुजर रहे हैं तथा उनके अभिभावक भी चितित हैं। 7 से 13 वर्ष की आयु के प्रभावित बच्चों के परिवार स्टाफ की लापरवाही के लिए सजा के साथ मुआवजे की मांग कर रहे हैं। वहीं थैलेसीमिया वेलफेयर एसोसिएशन के महिदर सिंह व प्रवीन कुमार ने कहा कि पंजाब में लोगों की जान से खिलवाड़ करने की लापरवाही लगातार हो रही है, लेकिन राज्य सरकार और बठिडा विधायक और वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने अभी कोई एक्शन नहीं लिया है।