कोच्चि. तमाम आलोचनाओं के बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन (Kerala’s CM Pinarayi Vijayan) ने केरल पुलिस अधिनियम संशोधन (Kerala Police Act Amendment) का बचाव किया है. ये संशोधन किसी भी मामले की धमकी, गाली गलौज, अपमानजनक और भद्दी भाषा कहने, छापने, और प्रसारित करने पर सजा देने का प्रावधान करता है. इसमें कहा गया है कि ये कानून महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स पर हो रहे साइबर हमलों के चलते लाया गया है. केरल के मुख्यमंत्री ने रविवार को एक बयान में कहा कि ऐसा माना जाता है कि जहां एक शख्स की नाक शुरू होती है वहीं दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म हो जाती है जिसका सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी मुट्ठी को उठाने की आजादी है लेकिन ये वहीं खत्म हो जाती है जैसे ही दूसरे की नाक शुरू हो जाती है. हालांकि, इस विचार के बार-बार उल्लंघन होने के उदाहरण हैं. समाज में किसी भी व्यक्ति का सम्मान जरूरी है. इसकी संवैधानिक मान्यता भी है. सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसे सुनिश्चित करे. हालांकि, कुछ ऑनलाइन मीडिया ऐसे संवैधानिक प्रावधानों के प्रति चिंतित हैं और ऐसे बर्ताव कर रहे हैं कि जो भी होता है वह अराजकता का माहौल पैदा करेगा. विजयन ने कहा कि यह हमारी सामाजिक व्यवस्था को बदल देगा और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है.
इस बीच, केरल पुलिस ने कहा है कि वह संशोधित पुलिस अधिनियम पर कार्रवाई करने से पहले एक मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगी. राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 21 अक्टूबर को केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश में धारा 118-ए जोड़कर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास 21 नवंबर को हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था. इसने अब सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की दोषपूर्ण धारा 66 ए की जगह ली है, जिसके अंतर्गत ऑनलाइन की गई अपमानजनक ‘टिप्पणी’ एक दंडनीय अपराध मानी जाती है.
बदले कानून में आरोपी को होगी ये सजा
इस बदलाव से किसी भी व्यक्ति को धमकाने, अपमान करने या बदनाम करने के लिए संचार के किसी भी माध्यम से सामग्री का उत्पादन, प्रकाशन या प्रचार-प्रसार करने वालों को या तो तीन साल तक की कैद या 10,000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा. यह ध्यान रखना होगा कि भले ही मुख्यमंत्री इसे सोशल मीडिया के व्यापक दुरुपयोग के खिलाफ एक अधिनियम के रूप में दावा करते हैं, लेकिन यह संचार के किसी भी माध्यम पर लागू होता है.
नई धारा 118A के मुताबिक जो किसी भी प्रकार के संचार, किसी भी मामले या विषय को धमकी देने, अपमानित करने या किसी व्यक्ति या वर्ग के लोगों को अपमानित करने, अपमानित करने के लिए या उसे गलत तरीके से जानने के माध्यम से बनाता है, अभिव्यक्त करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है, यह गलत है और यह मान, प्रतिष्ठा या चोट का कारण बनता है. ऐसे व्यक्तियों को तीन साल तक की सजा दी जा सकती है या उन्हें 10,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है या दोनों हो सकता है.
जबकि आईटी एक्ट की धारा 66 ए (संचार सेवा के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजने की सजा) एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध था, धारा 118 (ए) के तहत अपराध जमानती और संज्ञेय हैं – पुलिस को बिना अदालत की अनुमति के बिना वारंट गिरफ्तारी के और जांच शुरू करने अधिकार देता है.
इस संशोधन को लेकर विपक्षी कांग्रेस और भाजपा पूरी तरह से खिलाफ हैं और उनका कहना है कि इससे पिछले पांच वर्षों में सत्तारूढ़ पार्टी के अस्थिर चेहरे दिखता है.