बठिंडा/थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में जांच कमेटी पर उठाए सवाल, जिम्मेवार अधिकारियों पर भी कारर्वाई की मांग

सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक एरिया में लगे सीसीटीवी कैमरे, पर चलेंगे बिना बैकअप के इसलिए उठने लगे अधिकारियों पर सवाल ,टैक्निसियनों के साथ लैब कर्मियों व पैरामेडिकल स्टाफ ने खोला जांच कमेटी की एकतरफा सिफारिशों के खिलाफ मोर्चा, कर्मियों ने कहा लापरवाह अधिकारियों व उनके चेहतों को बचाने के लिए कर रहे काम, निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो अनिश्चतकाल के लिए बंद कर देंगे ब्लड बैंक व लैब

बठिंडा। इसी माह 7 नवंबर को तैलेसीमिया पीड़ित 11 साल के बच्चे को एचआईवी पोजटिव रक्त चढ़ाने के मामले में जांच कमेटी की तरफ से चार टैक्निसियनों को आरोपी ठहराने व उनके खिलाफ विभागीय व कानूनी कारर्वाई करने के लिए आला अधिकारियों को लिखा गया था। इसके बाद अब लैब टैक्निसियन व पैरामेडिकल स्टाफ ने शुक्रवार को ब्लड बैंक व लैब का काम बंद कर विरोध प्रदर्शन किया वही चेतावनी दी कि अगर मामले की निष्पक्ष जांच कर असल आरोपियों की पहचान कर कारर्वााई नहीं की जाती है तो वह सिविल अस्पताल में लैब का काम बंद करने के साथ ब्लड बैंक में रक्तदान, जांच व ब्लड इश्यू करने का काम पूरी तरह से बंद कर देंगे। वही कर्मचारियों ने ब्लड जांच करने व इश्यू करने के दौरान तकनीकि पहलुओं की कमी के लिए जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कारर्वाई करने की मांग की है।

अधिकारी अपना दामन बचाने व अपने चेहतों को इस मामले से बाहर निकालने के लिए नीचले स्तर के कर्मचारियों को बना रहे बली का बकरा

ब्लड बैंक कर्मियों ने आरोप लगाया कि सिविल अस्पताल के आला अधिकारी जिसमें सीएमओ से लेकर एसएमओ व ब्लड बैंक की देखरेख करने वाले अधिकारी अपना दामन बचाने व अपने चेहतों को इस मामले से बाहर निकालने के लिए नीचले स्तर के कर्मचारियों जिसमें लैब टैक्निसियन शामिल है की बली चढ़ा रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों चंडीगढ़ से आई नारकों टीम व सिविल अस्पताल बठिंडा में एसएमओ की रहनुमाई में बनी कमेटी की तरफ से की गई जांच को सिरे से खारिज कर दिया व कहा कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय सरकारी एजेंसी से जांच करवाए ताकि असल दोषियों को सजा दी जा सके। इसी बीच सिविल अस्पताल प्रबंधन ने लगातार हो रही लापरवाही के बाद अब ब्लड बैंक में वीरवार की रात सीसीटीवी कैमरे लगाए है। फिलहाल प्रबंधन ने कैमरे तो लगा दिए लेकिन इसमें डीवीआर कम रैम की लगाई है जिसमें केवल कुछ घंटों का ही बैकअप रह सकता है। विरोध कर रहे कर्मियों ने अस्पताल की इस मंशा पर भी सवाल उठाए है कि आखिर सरकारी खजाने से लगने वाले कैमरों में डीवीआर कम रैम की क्योंलगाई गई जबकि सामान्य तौर पर एस से डेढ़ माह का बैैकअप होना जरूरी है क्योंकि कोई भी घटना होने के तत्काल बाद कोई जानकारी नहीं मिलती है इसमें अगर रिकार्डिंग लंबे समय तक रहे तो आने वाले समय में होने वाली लारवाही व शरारत के संबंध में जानकारी मिल सकती है। इससे इस बात की पुष्टी होती है कि सरकारी तंत्र व अधिकारी ब्लड बैंक में होने वाले गंभीर मामलों व लापरवाही व घपलों के संबंध में जानकारी रखते हैं व इसे सार्वजनिक होने से रोकने  के लिए इस तरह के कदम उठा रहे हैं।

विरोध कर रहे कर्मचारियों का क्या है तर्क  

लैब टैक्निसियन व आरोपी ठहराए कर्मियों का कहना है कि  उन्हें जांच कमेटी की रिपोर्ट पर विश्वास नहीं है, वह लंबे समय से काम कर रहे है, नाइट ड्यूटी भी कर रहे है वही  छुट्टी भी कैसल कर रखी है। तनदेही से काम करने के बावजूद उनके काम पर बिना कारण शंका जताई जा रही है। ब्लड बैंक में रात में एक कर्मी होता है व उसे ही रक्त दान करवाने, इश्यू व इंट्री के साथ टेस्ट की जिम्मेवारी दी गई है।  इमारत में रैनुवेशन भी चल रहा, खिड़की दरवाजे टूटे हैं, जानवर भी घूम रहे हैं। इसे ठीक करने के लिए किसी भी अधिकारी ने कभी जहमत नहीं उठाई है। सिविल अस्पताल में ब्लड में गंंभीर बीमारी की जांच करने वाली एलाइजा मशीन छह माह से खराब थी कई बार अधिकारियों को लिखकर दिया।  अब 28 अक्तूबर को जाकर मशीन सही करवाई है, अभी भी मशीन सही ढंग से काम नहीं कर रहे। इस स्थिति में एचआईवी पोजटिव व नेगटिन व हेपाटाइट्स की स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती है। बिना ट्रेनिंग वाला टेस्ट नहीं कर सकता लेकिन जो लोग लगाए गए है उन्हें कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

7 नवंबर को हुई लापरवाही के संबंध में क्या कहते हैैं कर्मी

गत 7 नवंबर को थेल्जोसीमिया पीड़ित बच्चा जो एचआईवी पोजटिव आया वह सिविल अस्पताल में उपचार के दौरान  नहीं आया, ढ़ाई साल से बच्चे का टेस्ट ही नहीं करवाया गया था बल्कि 7 नवंबर को उन्होंने ने संतर्कता के तहत उसके रक्त की जांच करवाई। एचआईवी टेस्ट का काम डाक्टर का था हमारा नहीं है, एक दिन में कोई पोजटिव नहीं आता है। जांच कमेटी ने निष्पक्ष जांच नहीं की व असली दोषी को बचाने के लिए टैक्निसियनों पर गाज  गिराई जा रही है। धक्के से कर्मचारियों को ड्यटी दे रहे हैं जिसमें उनका अनुभव ही नहीं है, जिसकी ड्यूटी डीडीआरसी में है उन्हें ब्लड बैक में लगाया गया है। मामले में आरोपी ठहराए गए अजय शर्मा दूसरे सेंटर से आया था जबकि उसे लैब का अनुभन नही था। उसे जबरदस्ती ऐसे ऐसे काम दिए जा रहे हैं जिसके बारे में वह जानकारी ही नहीं रखते हैं। कर्मियों ने कहा कि पूरे मामले में एसएमओ व सीएमओ की भी जांच होनी चाहिए, अपने चेहतों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

लगातार हो रही है ब्लड बैंक में लापरवाही, आम लोगों को बना रहे एचआईवी पोजटिव

गौरतलब है कि सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में इन दिनों जहां खून की भारी कमी चल रही है। वहीं ब्लड बैंक कर्मचारियों द्वारा करीब एक माह में तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को चढ़ाने के लिए एचआईवी पॉजिटिव ब्लड इश्यू कर दिया गया। अक्टूबर माह में संक्रमित ब्लड इश्यू करने के मामले में एक सीनियर एमएलटी को आरोपी पाया गया जिसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के बाद पुलिस कार्रवाई भी जारी है। वहीं 3 अक्टूबर को एमएलटी बलदेव सिंह रोमाणा की लापरवाही के चलते थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को ब्लड इश्यू किया गया और इसे चढ़ा भी दिया गया। इस मामले में संबंधित पुलिस ने अपनी जांच प्रक्रिया पूरा करते हुए वीरवार को चार्ज शीट पेश करने के लिए ब्लड बैंक कर्मचारियों के फिर से बयान दर्ज किए। ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट करने वाली समाज सेवी संस्थाओं ने कहा कि अगर ब्लड बैंक में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया होता तो उक्त घटनाएं न होती।

सीसीटीवी कैमरों को लेकर भी उठे सवाल

बताया जा रहा है कि सिविल अस्पताल के पूरे परिसर में 30 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन इन दिनों सिर्फ ओपीडी ब्लाक व एमरजेंसी वार्ड, कोरोना आइसोलेशन में कैमरे चल रहे हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि ब्लड बैंक के अंदर कैमरा क्यों नहीं लगाया। इससे पूर्व एक सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था, लेकिन इमारत की रैनोवेशन के कारण इसे भी हटा दिया गया, परंतु उक्त घटनाक्रम के बाद वीरवार को अचानक अस्पताल प्रबंधक हरकत में आया और ब्लड बैंक के बाहर स्ट्रीट लाइट व ब्लड बैंक के अंदर 4 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। करीब दो माह पहले ब्लड में गेट का शीशा तोड़ने व कर्मचारी के साथ बदसलूकी का मामला भी सामने आया था। ब्लड बैंक के अंदर सीसीटीवी कैमरा न होने के कारण आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से आरोपियों की शिनाख्त की।

जनता की सुविधा को लगाए कैमरे, हर समय रहेगी नजर

ब्लड बैंक के बाहर पिछले कुछ समय से बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट को ठीक करवाया गया, वहीं ब्लड बैंक के अंदर व बाहर कुल चार सीसीटीवी कैमरे लगाए। कैमरा लगवाने का मकसद केवलस्टाफ द्वारा किए जा रहे जनता के साथ व्यवहार और उनकी गलतियों पर पैनी नजर रखना है। अस्पताल में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे चल रहे हैं।
-डा. मनिंदर पाल सिंह, एसएमओ सिविल अस्पताल

आयोग ने हेल्थ डायरेक्टर को 26 को निजी तौर पर रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक से तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव खून चढ़ाने के मामले में राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग ने डायरेक्टर सेहत एवं परिवार भलाई विभाग को पत्र लिखकर 26 नवंबर को निजी तौर पर पेश होने के लिए तलब किया है। वहीं, वीरवार को हेल्थ सेक्रेटरी हुस्न लाल ने बठिंडा सरकारी अस्पताल का दौरा रद्द कर दिया और अगले सप्ताह आने की बात कही है। उधर, ब्लड बैंक के बीटीअो डॉ. मयंक जैन का वीरवार को तबादला कर दिया गया जबकि उनकी जगह नया बीटीओ डॉ. राजिंदर कुमार को लगाया गया। राजिंदर कुमार का लॉकडाउन से पहले किन्हीं कारणों के चलते तबादला कर दिया गया था। अब वह अगले आदेशों तक बीटीओ का चार्ज देखेंगे। बीटीओ डॉ. मयंक जैन को विभाग की ओर से बदल दिया गया जबकि उक्त चार लैब टेक्निशयन वीरवार को भी काम करते देखे गए जबकि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को एचआईवी खून चढ़ने के मामले में चारों कर्मियों की लापरवाही सामने आई है। इन पर कार्रवाई हो सकती है।

हरसिमरत ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। स्वतंत्र जांच ही तय करेगी कि घोर गलती को 6 महीने तक चलने की अनुमति कैसे दी गई।

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