कृषि कानूनों का विरोध: 26 को उत्तर भारत के किसानों का दिल्ली कूच, शेष अपने-अपने राज्यों में करेंगे प्रदर्शन

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को किसानों ने दो हिस्सों में बांटा है। 26 को उत्तर भारत के किसान दिल्ली कूच करेंगे जबकि शेष किसान अपने-अपने राज्यों में प्रदर्शन करेंगे। किसान बिजली एक्ट का भी विरोध कर रहे हैं।

चंडीगढ़। पिछले डेढ़ महीने से पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे धरनों को अब देश के अन्य राज्यों के किसान संगठनों ने भी समर्थन देने की घोषणा की है। वीरवार को चंडीगढ़ में जुटे देश की 472 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों और बिजली एक्ट के खिलाफ 26-27 को दिल्ली चलो का आह्वान किया है।

इस दौरान नई बनी तालमेल कमेटी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन को दो हिस्सों में बांटा गया हैै। पहले हिस्से में 26 और 27 को दिल्ली चलो में केवल दिल्ली की पेरीफेरी वाले राज्य ही हिस्सा लेंगे जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसान आएंगे। देश के दूसरे राज्यों के किसान उसी दिन अपने अपने राज्य, जिला स्तर और ग्राम स्तर पर प्रदर्शन करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव, बलबीर सिंह राजेवाल, जगजीत सिंह डल्लेवाल और हनान मुल्ला आदि ने चंडीगढ़ में चार घंटे तक चली मीटिंग के बाद ऐलान किया कि तीन कृषि कानूनों और बिजली एक्ट को वापस लेने तक ये आंदोलन खत्म नहीं किया जाएगा। दिल्ली में कोरोना के चलते प्रदर्शन और धरने पर रोक लगाने के सवाल पर हनान मुल्ला ने कहा कि पहले केंद्र सरकार ने कोरोना की आड़ में हमें घरों में बंद करके ये कानून पारित कर दिए, अब जब हम इसका विरोध कर रहे हैं तो हम पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं। यह लड़ाई अकेले पंजाब की नहीं है, बल्कि पूरा देश उनके साथ है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ कुछ राज्य सरकारें हमारे साथ हैं लेकिन उन्होंने भी उतना नहीं किया है जितनी हमें आशा थी। अगर हमें कहीं रोका गया तो वहीं पर पक्के धरने लगाकर हाईवे बंद कर दिए जाएंगे।

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