नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए संसद से पारित कानून के खिलाफ पंजाब में आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और केंद्र के बीच शुक्रवार को दिन में चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।
जल्दी ही फिर बुलाई जाएगी अगले दौर की वार्ता
शुक्रवार को सुबह 11 बजे शुरु हुई वार्ता देर शाम तक कई दौर में चली, लेकिन गतिरोध नहीं टूटा। हालांकि जल्दी ही अगले दौर की फिर बैठक बुलाए जाने पर दोनों पक्ष सहमत हो गए हैं।
नये कानूनों को वापस लेने और वैधानिक एमएसपी पर अड़े रहे किसान नेता
केंद्र की ओर से किसान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया जा रहा है कि ये कानून किसानों के हित में लाए गए हैं, वहीं किसान नेता इन कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को वैधानिक बनाने की जिद पर अड़े रहे।
18 नवंबर को पंजाब में किसान यूनियनों की होगी बैठक
बैठक में हुई चर्चा को लेकर किसान यूनियन के नेता 18 नवंबर को पंजाब में अपने सभी किसान संगठनों और किसानों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद दोबारा वार्ता में आने की हामी भरी है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने वार्ता की शुरुआत में पंजाब से आए प्रमुख किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित किया।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा- केंद्र सरकार किसानों की हिमायती
उन्होंने संसद से पारित कानून के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उनकी सरकार किसानों के हितों की हिमायती है। इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में क्रांति आएगी और किसानों को स्थायी आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। किसानों के घर तक बाजार की पहुंच होगी, जिससे छोटे किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए व्यापारियों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। उनके पास पर्याप्त विकल्प होंगे। तोमर ने कानून के कुछ प्रमुख प्रावधानों का जिक्र करते हुए बताया कि देशभर के किसानों ने इसका स्वागत किया है।
एमएमपी पर होने वाली सरकारी खरीद में कोई बाधा नहीं आएगी: रेल मंत्री पीयूष गोयल
बैठक में उपभोक्ता, खाद्य, वाणिज्य उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों के आंदोलन से आम लोगों होने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन में धान समेत अन्य फसलों की खरीद में जबर्दस्त प्रगति हुई है। उन्होंने किसान संगठनों को यह भी आश्वस्त किया कि उनकी उपज की एमएमपी पर होने वाली सरकारी खरीद में कोई बाधा नहीं आएगी। पूर्व की भांति यह जारी रहेगी। उन्होंने इस बारे में फैलाए जा रहे भ्रम को अनुचित और गलत बताया। रेल पटरियों पर उनके आंदोलन से होने वाली कठिनाइयों का भी जिक्र किया।
विज्ञान भवन में कई दौर में चली मैराथन वार्ता
किसान संगठनों के साथ वार्ता सुबह 11 बजे से शुरु हुई जो दिनभर चली, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल सका। इसके पहले हुई बातचीत में किसान यूनियन के नेताओं ने बारी बारी से अपनी बात रखी। लगभग सभी यूनियन प्रतिनिधियों ने कृषि सुधार के इन तीनों कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की वैधानिक बाध्यता के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव रखा। कृषि मंत्रालय की ओर से प्रजेंटेशन देकर किसानों के हित में किए गए कार्यो का ब्यौरा दिया गया।
कृषि सचिव ने कहा- किसान प्रतिनिधियों की जिद के चलते नहीं निकल सका समाधान
शुक्रवार को बुलाई बैठक से पहले भी कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों से बातचीत की थी, जिसमें उन्हें कानून की बारीकियों के बारे में बताया गया, लेकिन किसान प्रतिनिधियों की जिद की वजह बैठक में समस्या का समाधान नहीं निकल सका। किसान नेताओं ने बैठक में कृषि मंत्री के न होने का आरोप लगाकर बायकाट कर दिया था।