चंडीगढ़। केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब के तीस किसान संगठनों के नेता शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य एवं आपूर्ति व रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक करेंगे, लेकिन इस बैठक से पहले किसान संगठनों ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कानून रद किए जाएं, साथ ही पराली जलाने (प्रदूषण) के खिलाफ लाए गए कानून को भी वापस लिया जाए।
गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश के माध्यम से एक कड़ा कानून लाई है। इसके तहत वहां प्रदूषण फैलाने वालों पर सख्त सजा का प्रावधान है। पराली जलाने के कारण भी यह प्रदूषण हो सकता है।
वीरवार को किसान संगठनों की तालमेल कमेटी की बैठक में विचार चर्चा के बाद भाकियू कादियां के प्रधान हरमीत सिंह कादियां, भाकियू राजेवाल के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल और डा, दर्शन पाल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के बाद अगली रणनीति तय करने के लिए किसान संगठन 18 नवंबर को एक बार फिर बैठक करेंगे।
वीरवार को करीब पांच घंटे तक चली बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान नेता हरमीत सिंह कादियां ने कहा कि मंत्रियों के साथ पहली बैठक में सर्वसम्मति के साथ शामिल होने का फैसला लिया गया है। किसान बातचीत से पीछे नहीं हटे हैं। पिछले 50 दिन से केंद्र के नए कानून रद करने की मांग की जा रही है। इसलिए कानून को रद करना ही किसानों की मुख्य मांग है।
कादियां ने कहा कि देश के किसान संगठनों ने 26 व 27 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन का आह्वान किया है। पंजाब से हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्राली, तंबू व राशन सामग्री लेकर दिल्ली कूच करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसानों को दिल्ली जाने से रोका गया तो रेल के साथ सड़कें जाम की जाएंगी। दीवाली के दिन भी संघर्ष को जारी रखा जाएगा और मशाल जलाकर रोष व्यक्त किया जाएगा।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी नहीं जाएगी दिल्ली
अमृतसर में प्रदर्शन कर रही किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू और किसान नेता बलजिंदर सिंह तलवंडी ने कहा है कि रेलवे ट्रैक खाली होने के बावजूद केंद्र सरकार ने मालगाड़ियां नहीं चलाईं। जब तक गाडिय़ां नहीं चलाई जातीं तब तक केंद्र से बात नहीं करेंगे।