सरकारी नियंत्रण से चलेंगे नेटफ्लिक्स, अमेजन जैसे OTT प्लेटफॉर्म; क्या वेब सीरीज पर भी चलेगी सेंसर की कैंची?

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को संकेत दिए कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर रेगुलेशन के संबंध में एक या दो दिन में कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी हो सकती है। यह गाइडलाइन जारी होने के बाद ही पता चलेगा कि वेब सीरीज और अन्य कंटेंट पर सेंसर की कैंची चलेगी या कंटेंट बिना किसी रोक-टोक के ऐसे ही मिलते रहेगा, जो आज मिल रहा है।

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल कंटेंट प्रोवाइड करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की निगरानी के दायरे में शामिल कर लिया है। इसका असर यह होगा नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉट स्टार जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म के कंटेंट पर सरकार की निगरानी रहेगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में बुधवार को नोटिफिकेशन जारी किया है।

इस फैसले के बाद आशंका जताई जा रही है कि इन प्लेटफॉर्म पर चलने वाले कंटेंट पर भी सेंसर की कैंची चल सकती है। दरअसल, इस तरह के प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को लेकर कोई कानून नहीं था। इस वजह से इन प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले कंटेंट या फिल्मों को हटाने में सरकार के अधिकार सीमित हो रहे थे।

अदालतों में याचिकाएं दाखिल हो रही थीं और इन प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट की निगरानी की मांग उठ रही थी। केंद्र सरकार के फैसले के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि OTT प्लेटफॉर्म्स का क्या होगा? एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, OTT प्लेटफॉर्म 2024 तक 28% की सालाना दर से बढ़ेंगे।

आशंका भी जताई जा रही है कि वेब सीरीज या फिल्म पर रोक लगाने का अधिकार भी केंद्र सरकार को मिल जाएगा। नोटिफिकेशन के बाद अब यह कानून बन जाएगा और यह प्लेटफॉर्म सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत रहेंगे। हालांकि, इससे पहले सभी OTT प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित हो रहे थे, लेकिन किसी तरह का रेगुलेशन नहीं था। एक अनुमान के मुताबिक, OTT प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल को देखते हुए इसका मार्केट रेवेन्यू 2025 के अंत तक 4 हजार करोड़ तक हो सकता है। 2019 के अंत तक भारत में 17 करोड़ लोग ऐसे थे, जो OTT प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे थे।

 

OTT प्लेटफॉर्म क्या है?

  • OTT प्लेटफॉर्म यानी ओवर-द टॉप प्लेटफॉर्म। यह एक तरह से ऑडियो और वीडियो होस्टिंग और स्ट्रीमिंग की सेवाएं देते हैं, जो पहले कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के तौर पर शुरू हुए थे। इसके बाद इन सभी प्लेटफॉर्म ने प्रोडक्शन से जुड़े कंटेंट, शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज बनाना शुरू कर दिया।
  • यह सभी प्लेटफॉर्म अपने यूजर को अलग-अलग तरह का कंटेंट देते हैं। यूजर्स के OTT प्लेटफॉर्म एक्सपीरियंस को देखकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अलग-अलग तरह के कंटेंट देखने का सुझाव दिया जाता है।
  • अधिकतर प्लेटफॉर्म मुफ्त में कंटेंट प्रदान करते हैं और कुछ सालाना/मासिक शुल्क भी लेते हैं। इस तरह के प्लेटफॉर्म कुछ चुनिंदा फिल्म प्रोडक्शन हाउस, जो पहले से फिल्म बना चुके हैं, उनके साथ मिलकर प्रीमियम कंटेंट (ऐसे कंटेंट जिन्हें देखने पर चार्ज लगता है) तैयार करते हैं और उसे स्ट्रीम करते हैं।

OTT प्लेटफॉर्म के लिए क्या कानून है?

  • भारत में OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए न कोई कानून है और न ही कोई नियम। यह मनोरंजन का नया माध्यम है, जो कोरोना लॉकडाउन के दौरान तेजी से फला-फूला। TV, प्रिंट और रेडियो तो अलग-अलग कानूनों के तहत आते हैं, लेकिन OTT प्लेटफॉर्म एक तरह से सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसके लिए अब तक कोई रेगुलेशन नहीं है। द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के पास OTT प्लेटफॉर्म को लेकर सेल्फ-रेगुलेटरी मॉडल है।
  • ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स (OCCP) ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर डिजिटल क्यूरेटेड कंटेंट कंपलेंट काउंसिल बनाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, इस प्रस्ताव पर मंत्रालय ने उस वक्त कोई ध्यान नहीं दिया था। न तो स्वीकार किया था और न ही खारिज किया था।

रेगुलेशन में आने से क्या होगा?

  • कानून बनने के बाद अब सभी OTT प्लेटफॉर्म को नए कंटेंट को रिलीज करने से पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय (I&B मंत्रालय) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा। अगर मंत्रालय को कंटेंट पर कोई आपत्ति होगी तो वह उसे बैन भी कर सकता है। हालांकि, अभी सरकार ने अपनी तरफ से गाइडलाइन जारी नहीं की है।
  • सरकार के इस कदम से OTT प्लेटफॉर्म को दिक्कत हो सकती है और वे इस पर अपना विरोध भी दर्ज कर सकते हैं। अक्सर इस तरह के प्लेटफॉर्म पर राजनीति के विषय से जुड़ी फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बनती हैं तो सरकार के दबाव में उसे ऐसा कंटेंट हटाना पड़ सकता है। अब बस यह देखना होगा, कि मंत्रालय इस संबंध में क्या निर्देश देता है।
  • सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को संकेत दिए कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर रेगुलेशन के संबंध में एक या दो दिन में कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी हो सकती है। यह गाइडलाइन जारी होने के बाद ही पता चलेगा कि वेब सीरीज और अन्य कंटेंट पर सेंसर की कैंची चलेगी या कंटेंट बिना किसी रोक-टोक के ऐसे ही मिलते रहेगा, जो आज मिल रहा है।

भारत समेत दुनियाभर में मनोरंजन के तौर-तरीकों में बदलाव आ रहा है। फैमिली एंटरटेनमेंट के बजाय अब ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर स्कैम 1992, मिर्जापुर, आश्रम जैसी वेब सीरीज बड़ी संख्या में दर्शकों को खींच रही है। कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन ने सबको भरपूर वक्त दिया और इस खाली समय ने OTT प्लेटफॉर्म्स को अपनाने करने की स्पीड बढ़ा दी।

रेडसीयर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च से जुलाई 2020 के बीच भारत में OTT सेक्टर में पेड सबस्क्राइबर्स में 30% की बढ़ोतरी हुई है। मार्च में 2.22 करोड़ से बढ़कर पेड सबस्क्राइबर्स की संख्या 2.9 करोड़ तक पहुंच गई है। हालिया सर्वे कहता है कि लॉकडाउन में टीवी चैनल्स के लिए नए प्रोग्राम नहीं बने, थिएटर भी बंद रहे, नई फिल्मों की रिलीज टलती गई, ऐसे में सिर्फ OTT प्लेटफॉर्म्स ही मनोरंजन का जरिया बने। जो OTT प्लेटफॉर्म्स रीजनल कंटेंट लेकर आए, उन्हें सबसे ज्यादा फायदा मिला। नतीजा यह निकला कि अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच 50% से ज्यादा ओवरऑल स्ट्रीमिंग हिंदी भाषा के कंटेंट की रही।

दर्शकों में महानगरों का हिस्सा कम हुआ

अब तक OTT प्लेटफॉर्म्स पर वेब सीरीज देखने वाला एक बड़ा हिस्सा महानगरों का होता था। काउंटर पॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल OTT कंटेंट देखने वालों में पांच महानगरों की हिस्सेदारी 55% थी। बाकी 45% में अन्य महानगर और पूरा देश आता है, लेकिन रेडसीयर कंसल्टिंग के सर्वे से पता चला कि इस साल लॉकडाउन से हालात बदले हैं। बढ़ते रीजनल कंटेंट पर सवार होकर OTT कंटेंट अब छोटे कस्बों-शहरों की ओर चल दिया है।

इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 90% कंज्यूमर रीजनल भाषाओं में कंटेंट देखना पसंद कर रहे हैं। OTT प्लेटफॉर्म पर बिताए समय का सिर्फ 7% इंग्लिश कंटेंट पर गया है। बदलाव ऐसा है कि OTT प्लेटफॉर्म्स की महानगरों पर निर्भरता कम हुई है और अब सिर्फ 46% रह गई है। टियर-1 में 35% और टियर-2 शहरों में 19% लोग OTT पर कंटेंट देख रहे हैं। रफ्तार देखकर लगता है कि एक-दो साल में महानगरों की हिस्सेदारी और कम हो जाएगी।

क्रिकेट और बॉलीवुड सब पर भारी

जब हम भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता की बात करते हैं तो कुछ रोचक आंकड़े सामने आते हैं। वेब सीरीज को लेकर अमेजन प्राइम वीडियोज, नेटफ्लिक्स के साथ ही जी5, सोनी लिव चर्चा में रहते हैं। सोनी लिव और वूट पर टीवी से पहले शो OTT प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं। हर एक के पास कम से कम दो-तीन चर्चित वेब सीरीज हैं।

MX प्लेयर, VIU, उल्लू, ALT बालाजी, हंगामा प्ले जैसे कई OTT प्लेटफॉर्म्स अलग-अलग तरह के कंटेंट दे रहे हैं। डिस्कवरी+ जैसे स्पेशल कंटेंट देने वाले प्लेटफॉर्म भी हैं। इसके बाद भी क्रिकेट और बॉलीवुड सब पर भारी है। लॉकडाउन के दौरान फिल्मों की रिलीज बंद हुई तो डिज्नी+ हॉटस्टार ने मल्टीप्लेक्स नाम से बिग बजट फिल्मों को OTT पर उतारा। IPL 2020 ने रही-सही कसर पूरी कर दी। रविवार को कुछ मैच एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने देखे। यह बताता है कि TV चैनल्स के मुकाबले OTT प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है।

भारत का मार्केट दुनिया में सबसे तेज

PwC ने अक्टूबर में ही मीडिया एंड एंटरटेनमेंट आउटलुक 2020 रिपोर्ट जारी की। यह कहती है कि पूरी दुनिया में भारत का OTT मार्केट सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2024 तक भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा OTT मार्केट बन चुका होगा। सालाना 28.6% की रफ्तार से बढ़ेगा और चार साल में रेवेन्यू 2.9 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। PwC इंडिया के एंटरटेनमेंट एंड मीडिया में पार्टनर एंड लीडर राजीब बसु ने कहा, कोविड-19 महामारी का असर सभी सेक्टरों पर एक जैसा नहीं पड़ा है। फिल्म थिएटर पर इसकी मार पड़ी है, लेकिन OTT के लिए यह वरदान साबित हुआ है।

नेटफ्लिक्स, अमेजन, डिज्नी+ हॉटस्टार और अन्य OTT सर्विसेस ने पिछले सालभर में इस पर निवेश बढ़ाया है। इसका नतीजा यह रहा कि OTT रेवेन्यू में सबस्क्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड (SVoD) का हिस्सा बढ़कर 93% हो गया है। दुनिया में यह आंकड़ा 87% है। 2019 से 2024 के बीच SVoD 30.7% की रफ्तार से बढ़ेगी। 2019 में यह 708 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 2.7 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

रिपोर्ट कहती है कि 2020 में पहली बार SVoD ने बॉक्स ऑफिस को कमाई में पीछे छोड़ दिया। अगले दो साल में सीधे-सीधे पूरी दुनिया में ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन OTT के रेवेन्यू से पीछे छूटने वाला है। इतना ही नहीं, पारंपरिक TV को भी OTT को होने वाले फायदे का बड़ा हर्जाना चुकाना होगा। 2024 तक TV की सालाना ग्रोथ निगेटिव होने का अनुमान है।

सौजन्य-भास्कर डाट काम

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