कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ की सबसे बड़ी चुनौती हुई पार, जल्द मिलेगी अच्छी खबर

'कोविशील्ड' (COVISHIELD) कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) और आईसीएमआर (ICMR) ने ऐलान किया है कि भारत में कोविशील्ड का सबसे कठिन दौर गुजर चुका है.

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नई दिल्ली. देश में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के बीच हर किसी की नजर अब कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) पर टिक गई है. देश के कई राज्यों में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर को देखते हुए कोरोना वक्सीन बेहद जरूरी हो गई है. इसी बीच अब अच्छी खबर ये आई है कि भारत में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (COVISHIELD) ने अपने तीसरे चरण के ट्रायल की सबसे बड़ी चुनौती को पार कर लिया है. कोविशील्‍ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) और आईसीएमआर ने ऐलान किया है कि भारत में कोविशील्ड का सबसे कठिन दौर गुजर चुका है.

बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट और आईसीएमआर कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ के क्लिनिकल डेवलपमेंट के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ‘कोविशील्ड’ को अमेरिका के नोवावैक्स ने विकसित किया है और सीरम इंस्टीट्यूट इसे आगे बढ़ाने का काम कर रहा है.बता दें कि पुणे की दवा कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि अगले साल जनवरी महीने तक कोरोना वैक्सीन आ सकती है. साथ ही उन्होंने यह भी संभावना जताई है कि वैक्सीन की कीमत आम लोगों की पहुंच में होगी. इससे पहले अदार पूनावाला ने कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविड-19 वैक्सीन के लिए इमरजेंसी लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकता है, जो यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के उम्मीदवारों के परीक्षण के परिणामों पर आधारित है.

100 करोड़ वैक्सीन बनाने का प्रोजेक्ट
सीरम इंस्टिट्यूट ने पहले ही ऑक्सफोर्ड के प्रोजेक्ट में कौलैबरेशन कर रखा है. अगर ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन की कामयाब हो जाती है तो भारत में इसकी उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है. इस कंपनी ने AstraZeneca नाम की उस कंपनी के साथ टाई-अप कर रखा है जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही है. ऑक्सफोर्ड का प्रोजेक्ट सफल होने के साथ सीरम इंस्टिट्यट ऑफ इंडिया वैक्सीन 100 करोड़ डोज तैयार करेगी. इनमें से 50 प्रतिशत हिस्सा भारत के लिए होगा और 50 प्रतिशत गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लिए.

 

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