दिल्‍ली पर दोहरी मार! सिर्फ नवंबर में कोरोना से 400 मौतें, ‘खतरनाक’ स्‍तर पर पहुंचा प्रदूषण

दिल्ली (Delhi) पर इस समय वायु प्रदूषण (Air Pollution) और कोरोना वायरस (Coronavirus) की दोहरी मार पड़ रही है. वायु गुणवत्ता लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है. जबकि नवंबर में अब तक कोरोना की महामारी के कारण 400 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.

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नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) पर इस समय दोहरी मार पड़ रही है. एक तरफ वायु प्रदूषण (Air Pollution) ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुंच गया है, तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस की महामारी तेजी से पैर पसार रही है. दिल्‍ली में सोमवार को कोहरा छाए रहने से शहर के कई हिस्सों में विजिबिलिटी घटकर केवल 400 मीटर रह गयी और वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है. जबकि सरकारी एजेंसियों और विशेषज्ञों ने कहा कि हवा की गति धीमी रहने और पराली जलने के प्रभावों की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है और पराली जलाने की घटनाएं नहीं थमने तक स्थिति में जल्द सुधार के आसार नहीं हैं. वहीं, रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Infection) के 7745 नए मामले सामने आने से हड़कंप मच हुआ है. यह एक दिन में दिल्‍ली में आने वाले सर्वाधिक मामले हैं. इसके साथ दिल्‍ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 4.38 लाख से अधिक हो गई है.

नवंबर में अब तक 427 लोगों की मौत

यही नहीं, रविवार को दिल्‍ली में कोरोना की वजह से 77 और मरीजों के दम तोड़ने के साथ मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 6989 हो गया है. वहीं, दिल्ली में 1 नवंबर से 8 नवंबर तक 427 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. जबकि अक्‍टूबर में 1124, सितंबर में 917 और अगस्‍त में 458 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हुई थी. हालांकि दिल्‍ली में कोरोना की वजह से जून में 2247 लोगों ने दम तोड़ा था, जो कि एक महीने में मरने वालों को सर्वाधिक आंकड़ा है. दिल्‍ली सरकार के बुलेटिन के मुताबिक, रविवार तक 3,89,683 लोग ठीक होकर घर लौट चुके हैं. जबकि कोरोना संक्रमितों की संख्‍या 4,38,529 पहुंच गई है. वहीं, इस समय 41857 एक्टिव केस हैं.

मौसम विभाग ने कही ये बात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वी के सोनी ने बताया कि दिल्ली में आने वाले दिनों में वायु की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में दिवाली में होने वाले प्रदूषण को नहीं जोड़ा जाए तो इस बार दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में होगी, लेकिन अगर लोग पटाखे फोड़ते हैं तो प्रदूषण का स्तर गंभीर से ‘बेहद गंभीर’ (आपात) वाली श्रेणी में पहुंच जाएगा. हालांकि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 9-10 नवंबर मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर मध्यरात्रि तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े कर रहे ये दावा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल तीन नवंबर के बाद से शहर में सबसे ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक 477 दर्ज किया गया. पिछले साल तीन नवंबर को सूचकांक 494 था. इससे पहले रविवार को औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 416 दर्ज किया गया. इसके अलावा शनिवार को 427, शुक्रवार को 406 और गुरुवार को 450 दर्ज किया गया था.दिल्ली के पड़ोसी शहरों फरीदाबाद में 456, गाजियाबाद में 482, नोएडा में 477 ग्रेटर नोएडा में 478, गुरुग्राम में 482 दर्ज किया गया.

एक्यूआई (Air Quality Index) में 0-50 को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्‍तर बढ़ा
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार शाम चार बजे दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर 609 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा दर्ज किया गया. जबकि पिछले साल 15 नवंबर के बाद से यह सबसे ज्यादा है; पिछले साल 15 नवंबर को 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था. हालांकि भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे पीएम 10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है.‘सफर’ ने किया ये दावा
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था ‘सफर’ के अनुसार हवा की गति मंद हो गयी है. हवा की शांत गति और कम तापमान की वजह से प्रदूषक तत्व सतह के करीब रहते हैं. सफर ने बताया कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना नहीं है, क्योंकि हवा की गति खास तौर पर रात में अनुकूल नहीं है और पराली जलाया जाना भी बढ़ते प्रदूषण का कारक है. सफर ने बताया कि पंजाब में पराली जलाए जाने की घटनाओं की संख्या अब भी ज्यादा है, जिससे दिल्ली एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है.

आईएमडी क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि सुबह में हल्के से मध्यम स्तर तक धूमकोहरा छाया था. सफदरजंग वेधशाला में विजिबिलिटी का स्तर घटकर 600 मीटर हो गया था. उन्होंने कहा कि अगर हवा की गति में उल्लेखनीय तेजी नहीं आती है तो 15 नवंबर तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि गुरुवार और शुक्रवार को हवा की दिशा में मामूली बदलाव की संभावना है लेकिन इसमें उल्लेखनीय बदलाव नहीं होगा. वहीं, निजी मौसम पूर्वानुमाान एजेंसी स्काइमेट वेदर के विशेषज्ञ महेश पालावत ने कहा कि सुबह में घने धूमकोहरे के कारण कुछ स्थानों पर विजिबिलिटी घटकर 400 मीटर रह गयी. दिल्ली-एनसीआर में इस साल भी वायु प्रदूषण की स्थिति पिछले साल की तरह ही रहने की आशंका है.

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