चंडीगढ़, जेएनएन। तीन केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब सरकार की ओर से पारित किए गए तीन संशोधन विधेयको पर अब कुछ किसान संगठनों ने आंखें तरेरनी शुरू कर दी हैं। किसान इस पर राजी होने को तैयार नहीं हैं। वे पूरे पंजाब को मंडी यार्ड बनाने पर अड़े हुए हैं। किसान राज्य में अब भी कई जगहों पर रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं।
अमृतसर जिले में ट्रैक पर बैठे किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सदस्यों से बातचीत करने गए तीन मंत्रियों तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने भी इन किसानों को रेल ट्रैक खाली करने की अपील की तो उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से पारित किए गए कानूनों पर ही सवाल उठा दिया। किसानों ने कहा कि राज्य सरकार पूरे प्रदेश को ही मंडी यार्ड क्यों घोषित करने के लिए कानून क्यों नहीं लाती , इससे केंद्रीय कानून निरस्त हो जाएंगे।
इस पर मंत्रियों ने उन्हें समझाया कि पूरे प्रदेश काे मंडी यार्ड बनाने के लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं है। यह प्रशासनिक फैसले से भी हो जाएगा लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं हुए तो ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि उनकी एडवोकेट जनरल से मीटिंग करवा देते हैं ।
काबिलेगौर है कि पंजाब सरकार की ओर से पारित बिलों में किसानों को आशंका है कि इसे न तो राज्यपाल मंजूर करेंगे न ही राष्ट्रपति इस पर मुहर लगाएंगे। ऐसे में ये कानून हमारे किसी काम के नहीं हैं। आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने राज्य सरकार के विधेयक पारित करवाते समय सरकार का साथ दिया। वे राज्यपाल से बात करने भी मुख्यमंत्री के साथ गए लेकिन अब इन बिलों का विरोध कर रहे हैं।
मंत्री तृृप्त राजिंदर सिंह बाजवा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब सरकार की ओर से पारित किए गए बिलों को पास करने संबंधी ही मुख्यमंत्री सभी पार्टियों के साथ राष्टपति के पास जाना चाहते हैं। हमने तो किसानों के प्रतिनिधियों से भी कहा है कि वे भी साथ चलें।
बाजवा ने कहा किसान संगठन पूरी मंडी को यार्ड बनाने संबंधी जो मांग कर रहे हैं वह तो कभी की जा सकती है, यह पावर तो राज्य सरकार के पास है। हमने कोविड के दौरान गेहूं और धान की खरीद करने के लिए 1850 मंडियों की जगह 4000 मंडियां बना लीं, यह सिर्फ एक आदेश से ही हो जाता है। उन्होने कहा कि हमने किसानों को संतुष्ट करने के लिए कहा है कि हम आपकी एडवोकेट जनरल से तीन नवंबर को मीटिंग करवा देते हैं।
तृप्त बाजवा ने कहा कि पंजाब की आर्थिकता को बर्बाद करने के लिए मालगाड़ियों को केंद्र सरकार ने बंद किया है। अन्यथा कौन सा रेलवे ट्रैक है जिस पर किसान बैठे हैँ। अंबाला से लेकर पठानकोट-जम्मू सारा ट्रैक क्लियर है। दिल्ली से बठिंडा दोनों रास्ते क्लियर हैं, दिल्ली से अमृतसर का ट्रैक साफ है, फिराेजपुर तक रेलवे ट्रैक पर कोई नहीं है।केवल दो प्राइवेट रेल लाइनों पर किसान बैठे हैँ। केंद्र सरकार की नीयत साफ नहीं है।