क्या आपने भी मोरेटोरियम पीरियड में भरी थी EMI? अब बैंक आपके खाते में डालेंगे इतने पैसे!

अगर आपने मोरेटोरियम पीरियड (loan moratorium) में भी अपने लोन और क्रेडिट कार्ड की EMI दी थी तो अब सरकार इन लोगों को बड़ा फायदा देने वाली है.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते प्रकोप के चलते आम आदमी को राहत देने के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा का ऐलान किया था, लेकिन अगर आपने मोरेटोरियम पीरियड (loan moratorium) में भी अपने लोन और क्रेडिट कार्ड की EMI दी थी तो अब सरकार इन लोगों को बड़ा फायदा देने वाली है. जी हां… अगर आपने भी समय पर सभी ईएमआई दी थी तो अब सरकार की ओर से आपके खाते में पैसे आने वाले हैं. यानी आपको सरकार की ओर से कैशबैक की सुविधा दी जाएगी. आपको बता दें यह केवल व्यक्तिगत उधारकर्ताओं और 2 करोड़ रुपये तक के लोन लेने वाले छोटे व्यवसायों के लिए लागू होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया यह फैसला
आपको बता दें सरकार ने जब लोन मोरेटोरियम पीरियड को बढ़ाया था तो लोगों के दिमाग में इस बात पर भ्रम था कि क्या इस अवधि में ब्याज पर ब्याज लगाया जाएगा या नहीं. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरबीआई की मोरेटोरियम योजना के तहत 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफी को केंद्र सरकार को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया.

कौन-कौन से Loan लेने वालों को मिला फायदा- इस योजना के तहत होम लोन, एजुकेशन लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया, वीइकल लोन, MSME लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन के धारकों को लाभ मिलेगा.इसके लिए 29 फरवरी तक के ब्याज दर के आधार पर गणना की जाएगी. सरकार यह रकम एकमुश्त तरीके से वापस करेगी और एक अनुमान के अनुसार इस पर केंद्र सरकार के करीब 6,500 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं.

खाते में आएंगे पैसे- इस स्कीम के तहत बैंक पात्र कर्जदारों को कैशबैक देंगे और वह पैसा सरकार बैंकों को देगी. यानी सरकार भुगतान करेगी. माना जा रहा है कि इसमें से करीब 30-40 लाख करोड़ का लोन इस स्कीम के दायरे में आएगा. एक अनुमान के मुताबिक 8 फीसदी सालाना ब्याज दर के हिसाब से करीब 5000-6500 करोड़ रुपये ब्याज पर ब्याज के रूप में होंगे.

उदाहरण के तौर पर अगर आपने मोरेटोरियम के 6 महीने के दौरान 20 हजार रुपये महीने के हिसाब 1.20 लाख रुपये की EMI भरी है. मान लीजिए इस 1.20 लाख रुपये में 20 हजार रुपये का ब्याज है. इस ब्याज पर करीब 8 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से एक साल में ब्याज 1600 रुपये बनता है. ऐसे में ग्राहकों को ब्याज पर ब्याज के रूप में 6 महीने की EMI भुगतान पर करीब 800 रुपये का कैशबैक मिलेगा. हालांकि अलग-अलग लोन पर अलग-अलग तरह की ब्याज दरें निर्धारित होती हैं. इसके लिए शर्त यह रखी गई है लोन स्टैंडर्ड वर्ग के तहत वर्गीकृत होना चाहिए और वह गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित नहीं होना चाहिए. इसके तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लोन पर भी यह लाभ मिलेगा.

RBI ने दी थी 6 महीने के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा
आपको बता दें कोरोना महामारी के बीच RBI ने ग्राहकों को 6 महीने के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा दी थी. महामारी के समय में जो भी लोग EMI का पेमेंट करने में असमर्थ थे उन सभी ने इस सुविधा का लाभ लिया था.

31 अगस्त तक ग्राहकों को मिली थी ये सुविधा
बता दें ग्राहकों को 1 मार्च से लेकर 31 अगस्त तक के लिए यह सुविधा दी गई थी. इस सुविधा के बाद में मोराटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज पर ब्याज का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सरकार ने कहा कि कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज नहीं भरना होगा. इससे सरकारी खजाने पर करीब 7000 करोड़ का असर होगा.

क्या है मोरेटोरियम?
मोरेटोरियम एक ऐसी अवधि है जिसमें कर्ज पर ईएमआई के भुगतान पर छूट होती है. यानि इस अवधि में कर्जदार पर ईएमआई भरने का दवाब नहीं होता है. यह अवधि ईएमआई हॉलीडे के नाम से भी जानी जाती है. आमतौर इस अवधि की पेशकश अस्थायी वित्तिय कठिनाईयों का सामना करने वाले लोगों को इससे उबरने के लिए की जाती है.

लोन मोरेटोरियम: चश्मा बेचने वाले एक शख्स ने 16 करोड़ लोगों को कराया 6500 करोड़ रुपये का फायदा
लोन मोरेटोरियम, यह वो शब्द है जिससे आज लोन चुकाने वाला हर शख्स वाकिफ है. लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के आदेश के बाद सरकार की ओर से उठाए कदमों से आम लोगों को बड़ी राहत मिली है. लेकिन यह बात शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि देश के इस बड़े मामले के पीछे चश्मा बेचने वाला एक शख्स है. यूपी के आगरा में चश्मे की दुकान चलाने वाले गजेंद्र शर्मा की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम पर यह आदेश दिया है. खास बात यह है कि देश के करीब 16 करोड़ लोग जिन्होंने 2 करोड़ से कम का लोन लिया है. केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों को राहत देने के लिए 6500 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया है. आपको बता दें कि कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि आम आदमी की दिवाली कैसी होगी, यह सरकार के हाथ में है. कोर्ट ने सरकार को यह भी कहा था कि वह सर्कुलर जारी करने के मामले में देरी न करे और इसे जल्दी जारी करे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार ब्याज माफी के निर्णय को जल्द लागू करे.

आइए जानें उनके बारे में…

गजेंद्र शर्मा आगरा की संजय प्लेस मार्केट में चश्मे की दुकान चलाते हैं. वह यहां नज़र के और सन ग्लास बेचते हैं, लेकिन इसके साथ ही उनकी एक पहचान समाजसेवी के रूप में भी है. न्यूज18 हिंदी के साथ खास बातचीत में गजेंद्र शर्मा ने बताया कि मुझे खबरें पढ़ने और सुनने की आदत है. इसी के चलते लॉकडाउन के दौरान पता चला कि जो लोन की किश्त नहीं भरेगा तो उसे बाद में ब्याज के साथ जमा करनी होगी. इसमें भी लेट हो गए तो ब्याज पर भी ब्याज लगेगा. बस यहीं से ठान लिया कि इस मामले में खुद भी राहत लूंगा और दूसरों को भी दिलाने की कोशिश करूंगा.


लॉकडाउन में लोन न चुका पाना नाकामी नहीं मजबूरी थी- गजेन्द्र शर्मा कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान हम अपने लोन की किश्त नहीं दे पा रहे थे. लेकिन यह हमारी नाकामी नहीं थी, यह तो लॉकडाउन के दौरान दुकान-कारोबार बंद होने की वजह से मजबूरी थी. जब धंधा ही नहीं है तो किश्त जमा करने के लिए पैसे कहां से लांए. अब जब हमारी नाकामी नहीं है तो खामियाजा हम क्यों भुगतें. इन्हीं सब सवाल-जवाब के चलते मैंने अपने एडवोकेट बेटे से सलाह-मश्विरा किया और वकीलों से मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. असल में यह मामला था राइट टू लिव का. इसी को आधार बनाकर हमने याचिका दाखिल की. हम नेक काम करने जा रहे थे और करोड़ों लोगों की दुआएं साथ थीं.

सरकार देगी ब्याज पर ब्याज की रकम- वित्त मामलों के जानकार बताते हैं कि लॉकडाउन के 6 महीनों के दौरान जो भी ऐसे मामले होंगे जहां ब्याज पर ब्याज लगेगी तो ऐसे ब्याज को केन्द्र सरकार चुकाएगी. और इससे केन्द्र सरकार पर करीब 6500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. वहीं 2 करोड़ से नीचे के करीब 16 करोड़ लोन धारकों को इसका फायदा मिलेगा.

 

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