चंडीगढ़। अब अगर किसी भी प्राइवेट काॅलेज या यूनिवर्सिटी ने मनमानी फीस और बिना इंफ्रास्ट्रक्चर सीटें बढ़ाईं तो उस पर जुर्माना लगने के साथ मान्यता भी रद्द हो सकती है। क्योंकि सूबा सरकार अब ऐसे संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए अथाॅरिटी गठित करने जा रही है। इसके लिए नियमों को फ्रेम किया जा रहा है और जल्द ही सूबे की प्राइवेट यूनिविर्सिटिंया एवं काॅलेज इसके दायरे में होंगे।
विश्व विद्यालयों को अब बच्चों से पैसा ही नहीं लेना बल्कि उनको बेहतर शिक्षा एवं इंफ्रास्ट्रक्चर भी देना होगा। सरकार उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए निजी यूनिवर्सिटियों के लिए एक स्वतंत्रत रेग्यूलेरेटी अथाॅरिटी बनाने जा रही है। सरकार ने प्राइवेट विश्व विद्यालयों की मनमानी रोकने के लिए अथाॅरिटी बनाने का वायदा काफी समय पहले किया था।
लेकिन सरकार नहीं चाहती थी कि आनन फानन में किसी ऐसी अथाॅरिटी गठित की जाए जिसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो। उच्चतर शिक्षा सेक्रेटरी राहुल भंडारी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए अथाॅरिटी जरूरी है। ये संस्थानों के लिए मानक तय कर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर शिक्षा दिलाने मेें मददगार होगी।
कुछ काॅलेज बिना इंफ्रास्ट्रक्चर के ही बढ़ा देते हैं सीटें
सरकार को कई यूनिवर्सिटी के खिलाफ मनमाने ढंग से फीस बढ़ोतरी करना, बिना बुनियादी ढांचे के नए कोर्स शुरू कर देना, कम पढ़े लिखे शिक्षकों को रखना, कर्मचारियों को कम भुगतान देना और संसाधान न होने पर भी इंजीनियरिंग की सीटें बढ़ाने के की शिकायतें लगातार मिल रही थी। इस मुद्दे को आईआईटी रोपड़ के डायरेक्टर ने भी मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया। इसके बाद सरकार अथॉरिटी गठित करने के नतीजे पर पहुंची।
अभी तक कोई पुख्ता नियम एवं तंत्र नहीं है मौजूद
सूबे में 16 विश्व विद्यालय हैं। जिनमें से ज्यादातर में दाखिला, फीस, इंफ्रास्टक्चर, टीचिंग, रिसर्च और नए कोर्सों को लेकर को नियम एवं तंत्र नहीं हैं। यूनिवर्सिटी मनमर्जी रोकने के लिए अब सरकार सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक नियम एवं एक अथाॅरिटी को बनाने की तैयारी कर चुकी है। जिसमें यह चेक भी किया जाएगा कि किस संस्थान ने कितनी सीटें बढ़ाई हैं और क्या उसके पास इन सब के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी है या नहीं।