भारत के खिलाफ पाकिस्तान के आतंकियों का इस्तेमाल कर रहा है चीन- रिपोर्ट
भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के नापाक इरादे किसी से छिपे नहीं हैं. पाक पहले ही भारत के खिलाफ आतंकियों को पालता-पोसता रहा है और अब चीन भी उनकी मदद ले रहा है. ऐसा दावा एक रिपोर्ट में किया गया है.
वॉशिंगटन. पाकिस्तान और चीन (Pakistan and China) की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. संयुक्त राष्ट्र में चीन खुलकर पाकिस्तानी आतंकियों का समर्थन करता है और भारत (India) द्वारा उनको प्रतिबंधित किए जाने की मांग के खिलाफ अपना वीटो पॉवर इस्तेमाल कर उन्हें बचा लेता है. अब चीन और पाकिस्तान की दोस्ती का एक और कड़वा सच सामने आया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देश भारत को परेशान करने के लिए आतंकियों का इस्तेमाल करता है. एक अमेरिकी रिसर्चर माइकल रुबिन की एक शोध में दावा किया गया है कि चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकियों का इस्तेमाल करता है. वहीं अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान, चीन को ढाल मानता है.
वॉशिंगटन एग्जामिनर में लिखे एक लेख में रुबिन ने कहा कि बीजिंग आतंक पर रोक लगाने के समर्थन में नहीं है. पाकिस्तान में बढ़ रहे आतंक को लेकर एफएटीएफ भी नाकाम रहा और अब वह कुछ बड़े फैसले कर सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया कि हाल ही में चीनी राजदूत याओ जिंग और पाकिस्तान के विशेष वित्त सलाहकार अब्दुल हाफिज शेख की बैठक में भी सिर्फ सीपेक (चीन पाक आर्थिक गलियारे) को लेकर ही बात हुई. दोनों देशों के बीच एफएटीएफ के पर कोई बातचीत नहीं हुई. इससे यह साफ है कि चीन किसी भी तरीके से पाकिस्तान में पाले पोसे जा रहे आतंक के खिलाफ नहीं है और वह इसका इस्तेमाल भारत के लिए कर रहा है.
फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान
पाकिस्तान फरवरी 2021 तक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ‘ग्रे (निगरानी)’ सूची में बना रहेगा क्योंकि वह वैश्विक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए छह कार्ययोजनाओं को पूरा करने में विफल रहा है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पाकिस्तान ने जिन छह कार्यों को पूरा नहीं किया है उनमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल होना भी शामिल हैं. ये दोनों आतंकवादी भारत में मोस्ट वांटेड हैं.
पिछले तीन दिनों में एफएटीएफ का डिजिटल पूर्ण सत्र आयोजित हुआ जिसमें फैसला लिया गया कि पाकिस्तान उसकी ‘ग्रे’ सूची में बना रहेगा. धनशोधन और आतंकवाद को वित्त पोषण के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक प्रतिबद्धताओं और मापदंडों को पूरा करने में पाकिस्तान के प्रदर्शन की व्यापक समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया.
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने पेरिस से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पाकिस्तान निगरानी सूची या ग्रे सूची में बना रहेगा.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाओं में से छह को पूरा करने में अब तक विफल रहा है और इसके परिणामस्वरूप यह देश एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना रहेगा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और मुकदमा चलाना चाहिए. एफएटीएफ के प्रमुख ने कहा, ‘पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को 2018 में आतंक वित्तपोषण के खतरे के बाद ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया गया था.
सूची से अचानक से 4,000 से अधिक आतंकवादियों के नाम गायब
सू्त्रों ने बताया कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और संगठन के ऑपरेशनल कमांडर जाकिउर रहमान लखवी जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है. सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा एफएटीएफ ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि आतंकवाद विरोधी अधिनियम की अनुसूची चार के तहत उसकी आधिकारिक सूची से अचानक से 4,000 से अधिक आतंकवादियों के नाम गायब हो गये.
अब अगले साल फरवरी में होने वाली एफएटीएफ की अगली बैठक में पाकिस्तान की स्थिति की समीक्षा की जायेगी. प्लीयर ने कहा कि उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की ‘काली’ सूची में बने हुए हैं क्योंकि दोनों देशों ने कोई प्रगति नहीं की है. जबकि कार्ययोजनाओं को पूरा करने के बाद आइसलैंड और मंगोलिया को ‘ग्रे’ सूची से हटा दिया गया है.
सूत्रों ने बताया कि चार देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी, अपनी धरती से सक्रिय आतंकी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता से संतुष्ट नहीं थे. अजहर, सईद और लखवी आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए भारत में अति वांछित हैं.
चीन, तुर्की और मलेशिया पाक लगातार समर्थक रहे
पाकिस्तान के ‘ग्रे’ सूची में लगातार बने रहने से अब इस देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता लेना कठिन होता जा रहा है, इसलिए पड़ोसी देश के लिए समस्याएं अब और बढ़ने वाली है जिसकी आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है.
पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची से बाहर निकलने और ‘व्हाइट’ सूची में जाने के लिए 39 में से 12 वोटों की आवश्यकता थी. ‘काली’ सूची से बचने के लिए उसे तीन देशों के समर्थन की आवश्यकता थी. चीन, तुर्की और मलेशिया इसके लगातार समर्थक रहे हैं.