अप्रवासी मजदूरों की मदद से पहुंचा संघ को फायदा, ग्रामीण इलाकों में तेजी से बढ़ी स्वयंसेवकों की संख्या

हाईवे पर निकले अप्रवासी मजदूरों (Migrated Labour) की मदद के लिए आरएसएस (RSS) समेत कई बड़े-छोटे संगठन आगे आए थे. यही वजह रही कि संघ में सदस्यों और शाखाओं की संख्या बढ़ी है.

लखनऊ. कोरोना वायरस महामारी के चलते सरकार ने जब मार्च के आखिर में लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की तो कई मजदूर काम न होने के कारण गांवों की तरफ पैदल ही निकल पड़े थे. इस दौरान देशभर के कई संगठनों ने उनकी मदद की और इन्हीं मददगारों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swyamn Sewak Sangh) के सदस्य भी शामिल थे. यही कारण रहा कि महामारी के इस दौर में भी संघ में लोगों की संख्या बढ़ी है. इस दौरान संघ ने कस्बा और ग्रामीण (Town and Rural areas) इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है.

मजबूत प्रांतों में से एक कानपुर में बढ़ी शाखाओं की संख्या
22 जिलों वाले कानपुर प्रांत को संगठन का मजबूत क्षेत्र माना जाता है. कोरोना की दस्तक से पहले यहां करीब 12 हजार शाखाएं चलती थीं, जिसमें से नियमित शाखाओं की संख्या लगभग 2100 थी. फिलहाल स्थिति देखी जाए, तो यहां शाखाओं की संख्या बढ़कर 15 हजार तक पहुंच गयी है और 3 हजार से ज्यादा नियमित शाखाएं चल रही हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिहाज से देखा जाए तो ब्रज में 10 हजार, जबकि मेरठ और उत्तराखंड में स्वयंसेवकों की संख्या 15 से 20 हजार तक बढ़ी है. जबकि, काशी, अवध और गोरखपुर क्षेत्र में संचालित होने वाली शाखाओं में भी इजाफा हुआ है.

मजदूरों के लिए संघ ने शुरू की थी हेल्प डेस्क
हाईवे पर परेशान हाल में घर की तरफ निकले मजदूरों की मदद के लिए संघ ने हेल्प डेस्क (Help Desk) की सुविधा भी दी थी. लखनऊ-दिल्ली हाईवे, यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ हाईवे पर चल रहे मजदूरों को इसका फायदा मिला. हिंदी अखबार अमर उजाला से बात करते हुए कानपुर के सह कार्यवाह अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि स्वयंसेवकों के साथ मिलकर युवाओं ने सहायता कैंप लगाए हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान संघ में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे.

 

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