मिड-डे मील स्कीम का विस्तार: अब प्री-प्राइमरी से ही स्कूली बच्चों को मिलेगा नाश्ता और खाना

अभी सिर्फ पहली से आठवीं तक के बच्चों को मिलता है सिर्फ दोपहर का खाना।

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नई दिल्ली। स्कूली बच्चों को अब पोषण की कमी से नहीं जूझना होगा। केंद्र ने मिड-डे मील स्कीम के तहत स्कूली बच्चों को नाश्ता उपलब्ध कराने की तैयारी तेज कर दी है। साथ ही इसके दायरे को भी विस्तार देने की योजना को आगे बढ़ाया है। इसके तहत स्कूलों में अब प्री-प्राइमरी से ही बच्चों को नाश्ता और खाना मिलेगा। अभी इस स्कीम में सिर्फ पहली से आठवीं तक के बच्चे ही शामिल है। जिन्हें सिर्फ दोपहर का भोजन ही दिया जाता है। इसके साथ ही पूरी योजना की नए सिरे से समीक्षा भी की जाएगी।

मिड-डे मील योजना में प्री-प्राइमरी को शामिल करने और नाश्ता देने को लेकर राज्यों से मांगी राय

इस बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मिड-डे मील योजना से जुड़े इन सभी बदलावों को लेकर तेजी से काम शुरू किया है। सभी राज्यों से योजना को लेकर सुझाव देने को कहा है। साथ ही योजना के दायरे में प्री-प्राइमरी को शामिल करने और नाश्ता उपलब्ध कराने को लेकर भी राय मांगी है। जिसमें इस पर आने वाले खर्च के साथ पौष्टिक नाश्ते में क्या-क्या शामिल किया जा सकता है आदि जानकारी देने को कहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पौष्टिक नाश्ता उपलब्ध कराने की सिफारिश की गई 

मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिड-डे मील को लेकर यह चर्चा तब शुरू की है, जब हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूलों बच्चों को पौष्टिक नाश्ता भी उपलब्ध कराने की सिफारिश की गई है। नीति का मानना है कि स्कूलों में अभी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी आते है, जो सुबह का नाश्ता करके नहीं आते है। ऐसे में उन्हें नाश्ता दिया जाता है, तो उन्हें स्कूलों से जोड़ने और उनके पोषण स्तर को बढ़ाने में और मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने प्री-प्राइमरी को मिड-डे मील स्कीम से जोड़ने की पहल की है

इसी तरह स्कूली शिक्षा के दायरे को बढ़ाकर इनमें प्री-प्राइमरी को भी शामिल करने की भी नीति ने सिफारिश की है। ऐसे में प्री-प्राइमरी के बच्चों को भी मिड-डे मील स्कीम से जोड़ने की पहल शुरू कर की गई है।

देश के 11.6 करोड़ स्कूली बच्चों को दोपहर का खाना उपलब्ध कराया जाता है

स्कूली बच्चों के लिए शुरू की गई यह मिड-डे मील स्कीम फिलहाल पूरी तरह केंद्रीय मदद से संचालित है। राज्यों को सिर्फ भोजन बनाने पर आने वाले खर्च में ही हिस्सा देना होता है। मौजूदा समय में इस स्कीम के तहत देश के करीब 12 लाख स्कूलों के करीब 11.6 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना उपलब्ध कराया जाता है। कोरोना संकट काल में जब स्कूल बंद थे, जो केंद्र ने राज्यों से स्कूली बच्चों को सीधे राशन या फिर नकद पैसा उपलब्ध कराया था।

 

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