सरकार ने माना देश में कोरोना कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में पहुंचा; जानिए क्या हैं इसके मायने?
पहली स्टेज में कोई बीमारी महामारी का स्वरूप तब लेती है, जब कोई इंफेक्शन किसी देश में बाहर से आता है और उसका ओरिजिन उस देश में नहीं होता। जो इंफेक्शन किसी एक देश में सीमित रहता है या उसे कुछ देशों में ही रोक लिया जाता है तो यह महामारी नहीं बनती। चीन के बाहर कोविड-19 का पहला केस थाईलैंड में रिपोर्ट हुआ था।
कई महीनों तक ना-नुकुर करने के बाद हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन ने मान ही लिया कि भारत में कोरोना अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य में कोविड-19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज शुरू हो गया है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या पूरे देश में यह स्थिति बन रही है? सरकार इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?
सबसे पहले, कम्युनिटी ट्रांसमिशन होता क्या है?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है, जब कोई यह नहीं बता सकता कि बड़ी संख्या में लोगों को कोविड-19 पॉजिटिव कैसे हुआ? यानी सरकारी मशीनरी को पता नहीं होता कि नए केसेस का सोर्स क्या है।
- आसान शब्दों में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकला तो यह बताना मुश्किल हो जाता है कि उस तक यह इंफेक्शन किस तरह पहुंचा होगा। कैरियर तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है।
- कम्युनिटी स्प्रेड का यह भी मतलब निकाला जा सकता है कि वायरस अब कम्युनिटी में सर्कुलेट हो रहा है और वह उन लोगों को भी कोविड-19 हो रहा है जो प्रभावित इलाके में नहीं गए हैं या इंफेक्टेड लोगों से नहीं मिले हैं। इस स्टेज में किसी को भी या सभी को इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
महामारी के स्टेज क्या होते हैं?
- पहली स्टेज में कोई बीमारी महामारी का स्वरूप तब लेती है, जब कोई इंफेक्शन किसी देश में बाहर से आता है और उसका ओरिजिन उस देश में नहीं होता। जो इंफेक्शन किसी एक देश में सीमित रहता है या उसे कुछ देशों में ही रोक लिया जाता है तो यह महामारी नहीं बनती। चीन के बाहर कोविड-19 का पहला केस थाईलैंड में रिपोर्ट हुआ था।
- दूसरा स्टेज तब होता है, जब वायरस लोकल लेवल पर ट्रांसमिट होना शुरू हो जाता है। लोकल ट्रांसमिशन का मतलब होता है कि इंफेक्शन का सोर्स एक क्षेत्र में सीमित होना। ऐसे में किस व्यक्ति को किस व्यक्ति की वजह से इंफेक्शन हुआ है, इसे ट्रेस किया जा सकता है। भारत में लॉकडाउन के दौरान यही स्टेज थी। तब कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिए इसे सीमित करने की कोशिश की गई थी।
- तीसरा स्टेज होता है कम्युनिटी ट्रांसमिशन, जो फिलहाल भारत में है। इसके बाद महामारी का चौथा स्टेज भी होता है। इस केस में कोविड-19 कुछ देशों में स्थानीय बीमारी बन चुका है। भारत सरकार का कंटेनमेंट प्लान भी इसे ध्यान में रखकर बनाया गया था।
तो क्या पूरे देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है?
- केंद्रीय हेल्थ मिनिस्टर ने रविवार को सोशल मीडिया पर अपने संडे संवाद कार्यक्रम में कहा कि पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन है, खासकर घनी आबादी वाले इलाकों में। हालांकि, यह पूरे देश में नहीं हो रहा और कुछ राज्यों के कुछ जिलों तक ही यह सीमित है।
- हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि ओणम फेस्टिवल के दौरान केरल सरकार ने लापरवाही बरती और इस वजह से कोविड-19 केस में अचानक तेजी आई है। राज्य के लोगों को इसका ही खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उनका कहना है कि 30 जनवरी और 3 मई के बीच सिर्फ 499 केस थे और दो ही मौतें थी। केस भी कुछ ही जिलों में थे। इंटरस्टेट और इंट्रास्टेट ट्रेवल ने भी नए केसेस की संख्या को बढ़ाने का काम किया है।
क्या पहली बार सरकार ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्वीकारा है?
- यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात स्वीकारी है। लेकिन, कुछ राज्य पहले ही यह बात स्वीकार कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल से पहले ही दिल्ली और केरल की राज्य सरकारों ने यह बात स्वीकार की थी।
- इसके अलावा भारत सरकार ने प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर ने कमेटी अपॉइंट की थी और उसने मैथमेटिकल कैल्कुलेशंस के आधार पर बताया कि देश की 30 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी डेवलप हो चुकी है। कमेटी का यह भी कहना है कि फरवरी 2021 तक सिम्प्टमेटिक इंफेक्शन की संख्या 1,06,000 हो चुकी होगी।