Bathinda Blood Bank-अपनों को पसंदीदा पोस्टिंग देने के दौरान सीनियर्टी को नजरअंदाज रखा, इसी से बने दो ग्रुप

ब्लड बैंक में तैनात सीनियर ने अधीनस्थ कर्मी को बदनाम करने के लिए रची साजिश, आम मरीजों को झेलना पड़ा नुकसान

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बठिंडा. सिविल अस्पताल बठिंडा में स्थित ब्लड बैंक में तैनात तीन कर्मियों की तरफ से मरीज को एचआईवी रक्त चढ़ाने के मामले में सिविल अस्पताल प्रबंधकों पर ही कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। इस मामले में अपनो को रेवडिया बांटने वाली कहावत चरितार्थ करते काबियलत व अनुभव को दरकिनार कर कर्मियों को तैनात किया गया। इसमें सबसे विवादित मामला पैतालोजिस्ट मनिंदर कौर को दरकिनार कर करिश्मा को बीटीओ का चार्ज देने को लेकर विवाद फिर से खड़ा हो रहा है। मामले में आपसी रंजिश, नजदीकियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती करने की अनियमितता का नतीजा है कि मरीजों की जिंदगी से लंबे समय तक खिलवाड़ होता रहा। अस्पताल में सक्रिय डाक्टरों के ग्रुप अपनों को बड़े व महत्वपूर्ण पदों में तैनात करवाने से लेकर मनचाही पोस्टिंग करवाने का काम करते रहे हैं व इसे लेकर समय-समय पर विवाद भी खड़ा होता रहा है।

डा. मनिंदर कौर को कुछ समय पहले सिविल अस्पताल बठिंडा में जब तैनाती दी गई तो उन्हें ब्लड बैंक में बीटीओ के पद पर तैनाती की अनुशंसा की गई लेकिन अधिकारियों ने डा. मनिंदर कौर की काबिलियत व अनुभव को दरकिनार रख करिश्मा को तैनात कर दिया। अब पहले ग्रुप की पसंद को नजरअंदाज कर दूसरे ग्रुप के कर्मी को जिम्मेवारी दी गई तो आपसी खींचतान भी शुरू हो गई। इसमें एक पियादा हाल ही में निलंबित व आपराधिक मामले का सामना कर रहे डा. बलदेव सिंह रोमाणा बने जिन्होंने करिश्मा व उनके सहयोगी तीसरे आरोपी एमएलटी तैनात रही ऋचा गोयल से रंजिश निकालने के लिए ब्लड बैंक में एचआईवी मरीज के रक्त को बिना जांच के ही जारी करने के मुद्दे को गर्मा दिया व इसमें दूसरे पक्ष की तरफ से लगातार गलतियां करने के बावजूद इसकी भनक नहीं लगने दी। वही जब आला अधिकारियों को इस बारे में बताया तो काफी देर हो चुकी थी। इसमें डा. रोमाणा को पता था कि रक्त की जांच करने व उसे क्लीयर कर बीमारियों से मुक्त खून बताने की जिम्मेवारी अन्य दो कर्मियों की थी व कभी जांच होती है तो उनका दामन पाक व साफ रहेगा व अन्य दो पर कानूनी व विभागीय गाज गिरेगी।

लेकिन इस पूरे मामले में मामला उलट हो गया। इसमें डा. रोमाणा को कानूनी व विभागीय गिरफ्त में ले लिया गया लेकिन अन्य दो कर्मियों करिश्मा व ऋचा गोयल पर मात्र विभागीय कारर्वाई ही हो सकती व तीनों को सेहत विभाग ने नौकरी से निलंबित कर दिया। यही नहीं पिछले 10 दिनों से सिविल अस्पताल के डाक्टरों के बने ग्रुप व दूसरे बाहरी सोशल ग्रुपों में दोनों ग्रुप पूरी तरह से सक्रिय है व एक दूसरे पर आरोप लगाने के साथ गलतियों को उजागर करने में लगे हैं जबकि उक्त ग्रुप पर चल रही चैट से स्पष्ट होता है कि एचआईवी रक्त चढ़ाने व इसमें हुई लापरवाही के संबंध में डाक्टरों के साथ आला अधिकारियों को जानकारी थी लेकिन यह बात अभी बाहर मीडिया व प्रशासकीय अधिकारियों तक नहीं पहुंची। इसमें भी कोर कसर पूरी तरते अस्पताल के ही कुछ लोगों ने गलत रक्त चढ़ने की खबर को बाहर उस समय निकाला जब सब कुछ पहले तय साजिश के तहत हो चुका था। अब दूसरी तरफ सेहत विभाग की तरफ से की गई जांच में भी इस पूरी साजिश व लापरवाही उजागर हो चुकी है लेकिन इस मामले में सिविल अस्पताल के तीन कर्मियों को निलंबित करने के बाद उनके खिलाफ कानूनी कारर्वाई को लेकर दोनों गुटों में वकालत चल रही है। इसमें बताया जा रहा है कि किस आधार पर तीनों पर पुलिस केस व कारर्वाई होनी चाहिए वही एक गुट इसमें दो लोगों पर पुलिस कारर्वाई नहीं होने के पीछे पैसे व सिफारिश तक की बात कर रहा है।

अब मामले में सच्चाई क्या है इसे लेकर कोई भी सामने आकर बोलने को तैयार नहीं है जबकि सिविल अस्पताल के डाक्टरों की एसोसिएशन भी ग्रुप में ही बयान दे रही है व सार्वजनिक बयान देने से कतरा रहा है। इन तमाम आरोपी प्रतिरोप के बीच एसएमओ डा. मनिंदर सिंह का कहना है कि मामले में सिविल अस्पताल प्रबंधन के निर्देशन पर जो जांच रिपोर्ट पुलिस को दी गई है उसमें तीनों की आरोपियों पर कानूनी कारर्वाई करने की सिफारिश की गई है अब पुलिस इस बाबत अपनी अगली कारर्वाई क्या करेगी इसे लेकर उन्हें कोई सूचना नहीं है। वही कर्मियों की तैनाती को लेकर आला अधिकारी तय करते है इसमें कर्मियों का कैडर, अनुभव व विभाग संबंधी सभी चीजों को देखना पड़ता है।

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