मोरेटोरियम पर सुनवाई 2 नवंबर को:सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार- लोगों की दुर्दशा समझिए और सही फैसले के साथ कोर्ट आइए, आम लोगों की दिवाली आपके हाथ में है

कोर्ट ने आज दो बार सुनवाई टाली और 2 बजे अंतिम सुनवाई तीन जजों की बेंच ने की कोर्ट ने कहा, जब सरकार ने फैसला ले ही लिया है तो हम देरी नहीं करेंगे, एक ऑर्डर पास करेंगे

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नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम की सुनवाई में आज सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि आप सही फैसले के साथ कोर्ट में आइए। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार एक सही फैसले के साथ कोर्ट में आएगी। मिस्टर मेहता (सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता), आम लोगों की दिवाली अब आपके हाथ में है। आम लोगों की दुर्दशा को आप समझिए। इसी के साथ कोर्ट ने 2 नवंबर तक के लिए सुनवाई टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की।

बैंकों ने ब्याज पर ब्याज लेना शुरू कर दिया है
इससे पहले सुनवाई में व्यक्तिगत कर्जदारों की ओर से पिटीशंस में कहा गया कि बैंक ने ब्याज पर ब्याज लेना शुरू कर दिया है। इसलिए इसे तुरंत रोकने की जरूरत है। जबकि रियल इस्टेट की संस्था क्रेडाई की ओर से कहा गया कि हम इससे बाहर हैं। हमें कहा गया है कि बैंकों के साथ हम इस समस्या का हल निकालें। हालांकि बिल्डर जिन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं उसका यह जवाब नहीं है।

अमल को लेकर क्या योजना है?
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने पहले ही 2 करोड़ रुपए तक के लोन लेने वालों को फायदा दिया है। लेकिन, इसके अमल को लेकर क्या योजना है। इस पर वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इसे पहले ही अमल में लाया जा चुका है। चूंकि काफी बड़ा नंबर है, इसलिए इसे आगे भी पूरा किया जाएगा। बेंच ने कहा कि हर कैटेगरी में वसूली का एक अलग तरीका है। इसलिए शेयरधारकों के साथ चर्चा कर इसके तौर-तरीकों का पालन करना चाहिए।

आम लोग चिंतित हैं
बेंच ने कहा कि आम लोग इस बात से चिंतित हैं कि सरकार ने केवल 2 करोड़ रुपए तक के लोन वालों के लिए यह फैसला लिया है। सुनवाई के दौरान वकील श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने बहुत ही सीमित तरीके से अपना रूख बताया है। बैंकों को अब तक कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। बेंच ने कहा कि आरबीआई ने कहा कि सब हो गया, हर कोई यही कह रहा है कि सब कुछ हो गया। इस बारे में कोई सवाल नहीं है। लेकिन, कब हुआ? आपको इसके लिए एक महीने का समय चाहिए?

हमें देरी करने का कोई मतलब नहीं है- जज
जस्टिस भूषण ने कहा कि जब चूंकि सरकार ने इस बारे में फैसला ले ही लिया है तो इसमें देरी करने का कोई मतलब नहीं है। हम एक ऑर्डर पास करेंगे। बहस के दौरान सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बेंच ने सरकार की नहीं सुनी है। इस पर जज भूषण ने कहा कि हमने हमेशा सरकार को परमिशन दी है। हमने कहा है कि एक डायरेक्शन के साथ सरकार वापस आए। लेकिन, यह आम लोगों के हित में नहीं है कि आप कोई भी निर्णय लेने में देरी करते रहें।

आम लोगों की दुर्दशा को भी सरकार देखे
दूसरे जस्टिस शाह ने कहा कि आम लोगों की दुर्दशा को भी सरकार देखे। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के लिए यह बहुत ही कठिन है। इसके जवाब में जज ने कहा कि मिस्टर मेहता, सुनिए। आपको छोटे कर्जदारों के लिए फैसला लेना होगा। आपने किसी को कोई आदेश नहीं जारी किया है। आपको आदेश जारी करना चाहिए। इसलिए बैंक भी ऐसा कर सकते हैं।

ब्याज पर ब्याज माफ करेंगे
तुषार मेहता ने कहा कि बैंक ब्याज पर ब्याज माफ करेंगे और फिर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा और गिनती के अलग-अलग तौर-तरीके होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक हमें उचित फॉर्मेट दे। उधर पी चिदंबरम ने कहा कि कोर्ट बैंकों से कैटेगरीज के बारे में एक बयान चाहता है और आम आदमी के लिए एक संदेश भेजा जाना जरूरी है। शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन के लिए पी चिदंबरम ने एक अलग से याचिका दायर की है। वे केवल सरकार, आरबीआई और कामथ समिति द्वारा उठाए गए मुद्दों को उठा रहे हैं। तुषार मेहता ने इस पर कहा कि मैं माफी चाहता हूं। कोई संदेश नहीं भेज रहे हैं। सरकार ने एक फैसला लिया है।

जस्टिस शाह ने इस पर कहा कि हमने जो कहा था वह यह कि हम आम लोगों के हितों के लिए सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं। केवल एक चीज है कि इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए था।

और ज्यादा राहत देना संभव नहीं
सरकार ने पिछले हफ्ते इस मामले में हलफनामा पेश किया था। हलफनामे में कहा गया कि कोरोना महामारी में विभिन्न क्षेत्रों को ज्यादा राहत देना संभव नहीं है। साथ ही सरकार ने जोर देकर कहा कि अदालतों को राजकोषीय नीति (फिस्कल पॉलिसी) में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने बताया कि विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया है। मौजूदा महामारी के बीच सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए।

2 करोड़ तक के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ हुआ है
सरकार ने हलफनामे में कहा था कि 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के अलावा कोई और राहत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक है। पहले दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया।

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