विश्व आर्थराइटिस दिवस:देश में 18 करोड़ लोग गठिया रोग से पीड़ित, अब युवा भी बन रहे शिकार; जानिए इससे निजात पाने के तरीके

एक्सपर्ट के मुताबिक- गठिया से बचने के लिए हफ्ते में 5 दिन 30 मिनट नियमित एक्सरसाइज करें अपने जोड़ों को चोट लगने से सुरक्षित रखें, गलत तरीके से उठने- बैठने और सोने की आदत न डालें

भारत में गठिया के शिकार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। देश की पूरी जनसंख्या में से करीब 15%, यानी लगभग 18 से 20 करोड़ लोग गठिया की चपेट में हैं। अभी तक यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन बदलते परिवेश में यह बीमारी युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। रुमेटॉएड आर्थराइटिस 25 से 30 साल के युवाओं में भी बढ़ रही है। इसके मामले पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक देखे जा रहे हैं। आपके शरीर के जोड़, घुटने, कूल्हे, कंधे या फिर पूरे शरीर में बिना किसी खास वजह से दर्द और सूजन हो तो सतर्क हो जाएं, आप गठिया की गिरफ्त में हो सकते हैं। गठिया बहुत सामान्य समस्या है जो आपके सामने कई रूपों में आ सकती है। कभी-कभी तकलीफ इतनी बढ़ जाती है कि आपको चलने-फिरने में भी दिक्कत हो सकती है। ज्यादातर लोगों में ये समस्या उम्र बढ़ने के साथ दिखाई देती है, लेकिन आजकल कम उम्र के लोगों में भी ये समस्या देखी जा रही है।

एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी विभाग की हेड डॉ. उमा कुमार के मुताबिक गठिया कई प्रकार के होते हैं। गठिया बीमारी भी है और कई सारी बीमारियों का लक्षण भी। लेकिन हर जोड़ों का दर्द गठिया नहीं होता। कैंसर में और थॉयराइड जैसी बीमारियों में भी गठिया हो सकती है। यदि आपको लगता है कि आप को गठिया रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिये ताकि वे असली कारण की पहचान कर सकें।

गठिया रोग का निदान जल्द महत्वपूर्ण है क्योंकि जल्दी उपचार से बदतर हो रही हालत को रोका जा सकता है और जोड़ों को पहुँचने वाले जोखिम को कम करने में सहायता मिलती है।

वजह

गठिया के पीछे सबसे बड़ी वजह है, शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ जाना। जब शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है तो ये जोड़ों में छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है। इस जमाव के कारण जोड़ों में दर्द और ऐंठन की समस्या होने लगती है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। इसका प्रभाव प्राय घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा रीढ़ की हड्डियों में होता है। उसके बाद यह कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ों भी दिखाई पड़ता है। गठिया के लिए बाजार में कई तरह की दवाइयां मौजूद हैं, लेकिन शरीरिक श्रम और कुछ घरेलू उपायों से भी इसका उपचार संभव है।

गठिया होने के बाद भी उसको बेअसर किया जा सकता है

डॉ. उमा कहती हैं कि डाइबिटीज के मरीजों की तरह गठिया के मरीज भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। लेकिन उसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

  • जोड़ों में दर्द और शरीर में अकड़न को नजरअंदाज बिलकुल न करें, अगर ऐसा लगातार हो रहा है तो डॉक्टर की सलाह लें।
  • अपनी दिनचर्या को नियमित रखना जरूरी है, इसमें गैप खतरनाक हो सकता है। खाने-पीने से लेकर सोने-जगने और एक्सरसाइज समेत सबकुछ नियमित होना चाहिए।
  • एक्सरसाइज गठिया से लड़ने के लिए सबसे जरूरी और असरदार हथियार है। नियमित एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है। लेकिन जो कुछ भी एक्सरसाइज हम कर रहे हैं वह डॉक्टर की सलाह पर होनी चाहिए।

ऐसा क्या करें की गठिया न हो?

बड़े काम का पानी

गठियायूरिक एसिड की मात्रा शरीर में संतुलित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। इसके चलते आपको बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ सकता है लेकिन आपको आराम मिल जाएगा।

लहसुन है बेहद लाभकारी

गठिया के ‌इलाज में लहसुन सबसे जाना-माना और लाभकारी इलाज है। इसको रोजाना लेने से गठिया के रोग में आराम मिलता है। सामान्यता कच्चे लहसुन की तीन से चार कलियां सुबह खाली पेट लेना आरामदायक होता है। वैसे अगर इसे खाना पसंद न हो तो इसमें सेंधा नमक, जीरा, हींग, पीपल, काली मिर्च और सौंठ सभी की 2 – 2 ग्राम मात्रा लेकर अच्‍छे से पीस लें। इस पेस्‍ट को अरंडी के तेल में भून लें और बॉटल में भर लें। दर्द होने पर लगा लें, इससे फायदा मिलेगा।

गुणकारी है अदरक

अदरक सभी घरों में आसानी से पाया जाता है। इसमें प्राकृकित रूप से एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। रोजाना खाने के साथ कच्चा अदरक खाएं, रक्त संचार बढ़ाने के साथ ये दर्द में राहत देता है। इसे सलाद में घिसकर या शहद के साथ भी खा सकते हैं। इसके अलावा अदरक का तेल भी दर्द वाली जगह पर लगाना फायदेमंद होता है।

इन तेलों से करें मसाज

सूजन और गठिया के दर्द से राहत दिलाने में सरसों के तेल का कोई मुकाबला नहीं। सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलियां डालकर उबालें फिर लगाएं तो और भी फायदा होगा।

लहसुन का तेल गर्म करके इसमें प्याज का रस डालें और जोड़ों पर मलें। इसके बाद इसे प्लास्टिक के कवर से ढककर गर्म तौलिया लपेटें। रोजाना सोने से पहले ये उपचार करें, काफी फायदा होगा।

एलोविरा दे राहत

गठियाएलोविरा के पत्‍ते को काटकर उसका जेल दर्द होने वाली जगह पर लगाएं। बाजार में मिलने वाला एलोविरा जेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं मगर घर पर अगर पेड़ है तो ये काफी फायदेमंद होगा।

ऐसे लें हल्दी से लाभ

हल्दी में भी एंटी- इन्फ्लेमट्री गुण होते हैं। सोने से पहले रोजाना हल्दी वाला दूध पिएं, कुछ दिन में आपको सूजन और दर्द में खुद ही फर्क नजर आएगा। इसके अलावा हल्दी और अदरक काकाढ़ा गठिया के लिए रामबाण माना जाता। हल्दी और अदरक दोनों में ही एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं। इसके लिए दो कप पानी लेकर इसमें आधा चम्मच पिसा अदरक और आधा चम्मच पिसी हल्दी डालकर उबालें। 10 से 15‌ मिनट तक धीमी आंच पर पानी उबलने दें। स्वाद कसैला न लगे इसके लिए इच्छानुसार शहद मिला लें।

यूकेलिप्टस का तेल भी लाभकारी- यूकेलिप्टस का तेल लेकर सोने से पहले इससे मसाज करें। ये गठिया के ल‌िए बेहद फायदेमंद माना जाता है।

बथुए का रस है रामबाण- हर रोज ताजा बथुआ का रस निकालकर पिएं। ये बेस्वाद लगेगा मगर इसमें स्‍वाद के लिए कुछ भी न मिलाएं। ये रस खाली पेट पीने से ज्‍यादा फायदा होता है। तीन महीने तक ये रस पीने से दर्द से हमेशा के लिए निजात मिल जाती है।

सिकाई न करें पर लें भाप- गठिया में सिकाई मना होता है। लेकिन भाप से सेंक ले सकते हैं। इसके लिए बाल्टी में पानी गर्म डालकर उससे भाप ले सकते हैं।

गठिया से बचना है तो स्मोकिंग न करें

  • डॉक्टर उमा के मुताबिक हथेली, उंगलियों, कोहनी, घुटने कूल्हे के जोड़ को चोट लगने से सुरक्षित रखें। गलत तरीके से उठने- बैठने और सोने की आदत न डालें। मोटापे से बचें, कभी-कभी मोटापे से होने वाली बीमारी जैसे डायबिटीज और हाइपरटेंशन भी आर्थराइटिस यानी गठिया की वजह बन सकता है।
  • गठिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि स्मोकिंग यानी बीड़ी और सिगरेट से दूर रहें। कैल्शियम और विटामिन डी युक्त डाइट भी गठिया होने से बचा सकती है। एक्सरसाइज सबसे ज्यादा जरूरी है, हफ्ते में पांच दिन 30 मिनट नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए।
  • साफ-सफाई रखकर गठिया से बचा जा सकता है। स्ट्रेस यानी तनाव मुक्त रहने से भी गठिया से बचा जा सकता है, इसलिए ज्यादा न सोचें और खुश रहने का प्रयास करें। योग बहुत जरूरी है। योग के कुछ आसन करके हम अपने ऑटो इम्यून सिस्टम को अच्छा बनाए रख सकते हैं। पूरी नींद लेना भी जरूरी है।

फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए

  • डॉ. उमा के मुताबिक, अनुवांशिक कारणों से भी गठिया हो सकती है। यानी आपके पहले की पीढ़ी में अगर किसी को इसके लक्षण रहे हों तो, आगे की पीढ़ी में भी इसके असर दिखने की संभावना रहती है। हालांकि बेहतर खान-पान और अनुशासन ही इसकी काट है।
  • बार-बार वायरल और बैक्टिरियल इंफेक्शन होना भी गठिया की वजह बन सकता है। हमें वायरल और बैक्टिरियल इंफेक्शन से बचना चाहिए। सब्जियों और फलों में इस्तेमाल होने वाले पेस्टीसाइड भी गठिया के रिस्क फैक्टर में से एक हैं। हमें फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाना चाहिए।

गठिया रोग क्या है?

गठिया या आर्थराइटिस 100 से भी ज्यादा तरीके क्या होते हैं। गठिया रोग मूलत: प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबोलिज्म की वजह से होती है। खून में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। व्यक्ति कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यही यूरिक एसिड जोड़ों में इकट्ठा हो जाते हैं, जो अचानक चलने या उठने में तकलीफ देते हैं। ध्यान न देने पर घुटना, कूल्हा आदि इंप्लांट करने की भी नौबत आ जाती है।

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