नवाजुद्दीन सिद्दीकी का दर्द:एक्टर ने कहा- दादी की वजह से आज भी गांव में हमें नीची जाति का समझा जाता है, मेरे फेमस होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता

एनडीटीवी से बातचीत में नवाजुद्दीन ने कहा, "मेरी दादी नीची जाति से थीं। उनकी वजह से आज भी लोग हमें स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं फेमस हूं। यह (जातिवाद) उनके अंदर गहराई तक समाया हुआ है। यह उनकी नसों में हैं। वे इस पर गर्व करते हैं। शेख सिद्दीकी ऊंची जाति के हैं और उन्हें उन लोगों से कोई लेना-देना नहीं है, जिन्हें वे अपने से नीचा मानते हैं। आज भी वहां ऐसा है। यह बहुत मुश्किल है।"

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नवाजुद्दीन सिद्दीकी की मानें तो उनके गांव (बुढ़ाना, उत्तर प्रदेश) में आज भी उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक इंटरव्यू में वे हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए गैंगरेप और मारपीट पर अपनी राय रख रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में जाति व्यवस्था इस कदर गहराई तक समाई हुई है कि फिल्मों में उनकी लोकप्रियता के बावजूद भी उन्हें बख्शा नहीं जाता है।

दादी की वजह से अब भी नीचा समझते हैं लोग

एनडीटीवी से बातचीत में नवाजुद्दीन ने कहा, “मेरी दादी नीची जाति से थीं। उनकी वजह से आज भी लोग हमें स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं फेमस हूं। यह (जातिवाद) उनके अंदर गहराई तक समाया हुआ है। यह उनकी नसों में हैं। वे इस पर गर्व करते हैं। शेख सिद्दीकी ऊंची जाति के हैं और उन्हें उन लोगों से कोई लेना-देना नहीं है, जिन्हें वे अपने से नीचा मानते हैं। आज भी वहां ऐसा है। यह बहुत मुश्किल है।”

हाथरस की घटना पर नवाज का रिएक्शन

उत्तर प्रदेश के हाथरस में चार सवर्णों द्वारा गैंग रेप और मारपीट के बाद हुई दलित लड़की की मौत से देशभर में गुस्सा है। इसे लेकर नवाज ने कहा, “जो गलत है, वो गलत है। हाथरस में जो हुआ, उसके खिलाफ हमारी आर्टिस्ट कम्युनिटी भी बोल रही है। बोलना बहुत जरूरी है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।”

जाति व्यवस्था को लेकर नवाज कहते है, “लोग कह सकते हैं कि जातिगत भेदभाव नहीं है। लेकिन, अगर वही लोग आसपास की यात्रा करें तो उन्हें अलग सच्चाई पता चलेगी।”

फिल्म में दलित के किरदार में दिखे थे नवाज

नवाजुद्दीन सिद्दीकी हाल ही में डायरेक्टर सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘सीरियस मैन’ में दलित आदमी के किरदार में नजर आए थे। 2 अक्टूबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई ‘सीरियस मैन’ इसी नाम से पब्लिश हुई मनू जोसेफ की बुक पर बेस्ड है।

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