PM ने कई अच्छे निर्णय लिए लेकिन 2019 की जीत के बाद BJP का व्यवहार बदला : सुखबीर बादल

कृषि विधेयक (farm Bills) के मसले पर NDA से गठबंधन तोड़ने वाले अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने कहा है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अच्छे निर्णय लिए हैं लेकिन 2019 की प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के व्यवहार में बदलाव आया है.

नई दिल्ली. नए कृषि विधेयकों (farm Bills) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को अपने पुराने सहयोगियों की आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. कृषि विधेयक के मसले पर NDA से गठबंधन तोड़ने वाले अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल  (Sukhbir Singh Badal) ने कहा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अच्छे निर्णय लिए हैं लेकिन 2019 की प्रचंड जीत के बाद बीजेपी के व्यवहार में बदलाव आया है. उनका कहना है कि भारत-चीन विवाद से लेकर CAA और कृषि विधेयक जैसे विवादित कानून के मामले में सहयोगियों को भरोसे में नहीं लिया गया. हालांकि उन्होंने इसे बीजेपी का ‘अहंकार’ बताने से किनारा कर लिया.’

नहीं बदला व्यवहार तो हो जाएगी कांग्रेस वाली हालत
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में सुखबीर बादल ने चेतावनी दी है कि अगर बीजेपी अपने व्यवहार में बदलाव नहीं करती तो उसका हाल भी कांग्रेस सरीखा हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘देश की सफलता इस बात में है कि विभिन्न इलाकों की विभिन्न आवाजों को सुना जाए. और क्षेत्रीय ताकतों का पूरे सिस्टम का हिस्सा बने रहना बेहद जरूरी है. जिस वक्त आप सारी जगहों पर अपना आधिपत्य दिखाने लगते हैं, वहीं से आप स्थितियों को दरकता हुआ पाते हैं. हमने बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को बचाने के लिए आखिरी वक्त तक प्रयास किया.’

जब बीजेपी के थे दो सांसद तब भी था हमारा समर्थन
बादल ने कहा है कि हमारी पार्टी ने बीजेपी को तब भी समर्थन दिया था जब उनके सिर्फ दो सांसद लोकसभा में हुआ करते थे. मेरे पिता के हर बीजेपी नेता के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे हैं. और अभी उनके व्यक्तिगत ताल्लुकात हैं. लेकिन हां अब एक बदलाव आ चुका है. अगर हमारी बात की जाए तो महत्वपूर्ण कृषि विधेयकों को लेकर कभी बात नहीं की गई.

बीजेपी ने सबसे पुराना सहयोगी खो दिया
गौरतलब है कि कृषि बिल को लेकर बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी अकाली दल ने जोरदार विरोध दर्ज कराया है. सबसे पहले केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दिया और फिर बाद में पार्टी ने बीजेपी से कई दशक पुराना नाता तोड़ लिया. हालांकि इन सबके बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की तरफ से लगातार कृषि विधेयकों को किसानों के लिए क्रांतिकारी कदम बताया गया है.

 

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