चंडीगढ़। Punjab Farmers Protest: पंजाब में किसान आज से फिर रेल ट्रैकों पर हैं। इससे राज्य में ट्रेनों का आवागमन ठप हो गया है और इससे यात्रियों को भारी परेशानी करनी पड़ रही है। राज्य में आज से किसानों ने अनिश्चिताकालीन रेल रोका आंदोलन शुरू किया है। किसान सुबह से ही रेल ट्रैकों पर जम गए हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता भी केिसानाें के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
बाहर आने-जाने वालों को हो रही भारी परेशानी
आंदोलन के कारण पंजाब से 14 यात्री ट्रेनें फिलहाल बंद हैं। फिरोजपुर, अमृतसर व जालंधर से चलने वाली यात्री गाड़ियों को अंबाला, दिल्ली आदि स्टेशनों से कई ट्रेनें अंबाला से आंशिक रूप से चलाई जा रही हैं। किसानों ने अनिश्चितकाल के लिए रेल ट्रैकों पर बैठने की घोषणा कर दी है। पंजाब से लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोगों को अंबाला जाना पड़ रहा है। उधर, अन्य राज्यों की लंबी दूरी की यात्रा कर आने वालों को अंबाला उतरना पड़ रहा है। वहां से पंजाब के लिए अंतरराज्यीय बसें न चलने से वहां से लोगों को पहले चंडीगढ़ जाना पड़ रहा है। वहां से वो पंजाब की बसें पकड़ रहे हैं। ऐसे ही यहां के लोगों को चंडीगढ़ जाकर अंबाला पहुंचना पड़ रहा है। व्यावसायिक व अन्य कार्यों से दिल्ली, अंबाला व अन्य स्थानों के लिए जाने वाले विशेषकर मालवा के लोगों को अंबाला व दिल्ली तक टैक्सी से आवागमन करने के लिए हजारों रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
किसान नेताओं और अर्थशास्त्री से जानें क्यों हो रहा है इतना विरोध?
सूबे में किसानों के बड़े संगठन क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रधान डॉक्टर दर्शन पाल कहते हैं कि कृषि अध्यादेश-2020 सरासर किसान विरोधी हैं। पंजाब के किसान इस मुद्दे पर जागरूक हैं और इसलिए इसकी पुरजोर मुखालफत कर रहे हैं। सरकार फसलों के दाम मंडियों से बाहर कर के विदेशी कंपनियों को पैदावार की लूट का खुला मौका दे रही है। डीजल-पेट्रोल की निरंतर बढ़ती कीमतें भी हमारे आंदोलन का एक बड़ा पहलू हैं।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह की मानें तो पंजाब बड़े किसान आंदोलन की ओर बढ़ रहा है। पंजाब-हरियाणा के पास किसानों की फसलों की खरीद-फरोख्त के लिए दुनिया का सबसे बेहतरीन ढांचा मौजूद है, लेकिन मोदी सरकार ने बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए ऐसा कृषि अध्यादेश लागू किया है कि मंडीकरण व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी। रोज बढ़ रहे डीजल-पेट्रोल के दाम भी किसानों की दुश्वारियों में इजाफा कर रहे हैं।
उधर पंजाब के सम्मानित अर्थशास्त्री डॉक्टर सुच्चा सिंह गिल ने भी केंद्र सरकार के नए कृषि ऑर्डिनेंस को किसानी के लिए तबाहकुन खतरा बताया है। वह कहते हैं कि मंडीकरण ढांचे में किसी किस्म की छेड़छाड़ पंजाब के किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे और बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरु होगा। पंजाब लोक मोर्चा के संयोजक अमोलक सिंह कहते हैं कि सोची-समझी साजिश के तहत कृषि कानून अस्तित्व में लाए गए हैं।
अमृतसर के जंडियाला गुरु क्षेत्र के गांव देवीदासपुरा में किसानों द्वारा रेलवे ट्रैक पर लगातार दिए जा रहा धरना आज आठवें दिन में प्रवेश कर गया। आज किसानों ने अंबानी और अडानी कॉरपोरेट घरानों का पुतला जलाया। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सभी लोगों को चाहिए कि वे कॉरपोरेट घरानों का बहिष्कार करें1 लोग हरेक चौक-चौराहे पर इनके पुतले फूंकें और छोटी-छोटी दुकानों को बढ़ावा दें। किसान अब कॉरपोरेट घरानों के शॉपिंग मॉल्स, गोदाम, पेट्रोल पंप और अन्य संस्थानों के आगे धरने देंगे।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ 31 किसान संगठन आज से ट्रेन रोकने के लिए फिर से रेलवे ट्रैक पर मोर्चा लगा रहे हैं। इस बार किसानों संगठनों ने अनिश्चित काल के लिए ट्रेन रोकने की घोषणा की है। हालांकि अमृतसर और फिरोजपुर में किसानों ने पहले से ही ट्रैक पर धरना दे रखा है। इसके कारण ट्रेनें नहीं चल रही है। किसान संगठनों ने इससे पहले 24 से 26 सितंबर तक रेलवे ट्रैक पर धरना दिया था। किसान संगठनों के धरने के कारण रेलवे ने पहले ही रेल सेवाओं को बंद कर रखा है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि अनिश्चित काल के लिए रेल रोको आंदोलन शुरू किया गया है। इसके अलावा शंभू बैरियर समेत विभिन्न क्षेत्रों में भी धरने दिए जाएंगे। किसान संगठन कृषि बिलों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए है।
शिरोमणि अकाली दल तीनों तख्तों से निकालेगा किसान मार्च
दूसरी ओर कृषि बिलों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल तीनों तख्तों से आज किसान मार्च निकाल रहा है। शिअद का दावा है कि इस किसान मार्च में 40,000 वाहन शामिल होंगे। अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल अमृतसर से निकलने वाले मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो से और प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब से निकलने वाले किसान मार्च का नेतृत्व करेंगे।
अभी 14 ट्रेनें बंद हैं, कई ट्रेनें अंबाला तक चलाई जा रहीं
किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब से 14 यात्री ट्रेनें फिलहाल बंद हैं। इनमें से कई ट्रेनें अंबाला से आंशिक रूप से चलाई जा रही हैं। किसानों ने अनिश्चितकाल के लिए रेल ट्रैकों पर बैठने की घोषणा कर दी है। इससे जाहिर है कि रेल यात्रियों की परेशानी भी अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगी। पंजाब से लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोगों को अंबाला जाना पड़ रहा है। उधर, अन्य राज्यों की लंबी दूरी की यात्रा कर आने वालों को अंबाला उतरना पड़ रहा है। वहां से पंजाब के लिए अंतरराज्यीय बसें न चलने से वहां से लोगों को पहले चंडीगढ़ जाना पड़ रहा है। वहां से वे पंजाब की बसें पकड़ रहे हैं। ऐसे ही यहां के लोगों को चंडीगढ़ जाकर अंबाला पहुंचना पड़ रहा है।
इसके अलावा व्यावसायिक व अन्य कार्यों से दिल्ली, अंबाला व अन्य स्थानों के लिए जाने वाले विशेषकर मालवा के लोगों को अंबाला व दिल्ली तक टैक्सी से आवागमन करने के लिए हजारों रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। परेशानियों का सामना उन्हेंं अलग से करना पड़ रहा है। ऐसे में रेलवे अधिकारी भी किसानों के आगे बेबस नजर आ रहे हैं। वे किसानों के ट्रैक से हटने के बाद ही ट्रेन चलाने की बात कर रहे हैं।
वैसे, आंदोलन के बावजूद अन्य राज्यों की जरूरत के अनुरूप पंजाब से खाद्यान्न की आपूर्ति बिना रुकावट जारी है। एफसीआइ जिन राज्यों के लिए चावल व गेहूं के रैक मांग रहा है, उन्हें मालगाडिय़ों के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। यहीं नहीं, पंजाब के व्यापारी भी विभिन्न राज्यों से सब्जियां, मछली, दवाएं, चीनी व दूसरी वस्तुएं मंगवा रहे। ये वस्तुएं रेलवे पार्सल ट्रेनों से पहुंचा रहा है। इससे राज्य में जरूरी वस्तुओं की किल्लत नहीं है।
फिरोजपुर मंडल रेलवे के सीनियर डीओएम सुधीर कुमार ने बताया कि किसानों के आंदोलन से मालगाडिय़ां प्रभावित नहीं हुई हैं। खाद्यान्न व अन्य आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई पहले की तरह ही हो रही हैं। फिरोजपुर, अमृतसर व जालंधर से चलने वाली यात्री गाडिय़ों को अंबाला, दिल्ली आदि स्टेशनों से आंशिक रूप से चलाया जा रहा है। जैसे ही किसान रेलवे ट्रैक से हटेंगे, वैसे ही पंजाब के स्टेशनों से यात्री ट्रेनों का आवागमन शुरू हो जाएगा।
शिअद ने पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब सहित तीन तख्तों से शुरू किया किसान मोर्चा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी से नाता तोडऩे के बाद नए कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल किसानों के पक्ष में खुलकर सड़कों पर उतर गया है। पार्टी ने आज पंजाब में स्थित तीन तख्तों से किसान मार्च शुरू किया। पार्टी के प्रधान के नेतृत्व में अमृतसर में श्री श्री अकाल तख्त साहिब से शिअद का किसान मार्च शुरू हुआ। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल तलवंडी साबो में तख्त श्री दमदमा साहिब और पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा आनंदपुर साहिब में तख्त श्री केसगढ़ साहिब से शुरू हुए किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।
अमृतसर और तलवंडी साबो से शिअद का किसान मार्च सुबह आठ बजे शुरू हुआ। आनंदपुर साहिब से किसान मार्च की शुरुआत सुबह 10 बजे हुई। पार्टी नेताओं का दावा है कि किसान मार्च में 40,000 वाहन शामिल होंगे। पार्टी पहली बार किसान मार्च में बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर अपनी ताकत दिखाई दिखाना चाहती है।
अमृतसर में शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब और श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेक कर किसान मार्च की शुरुआत की। किसान मार्च अमृतसर से अलग-अलग शहरों से होता हुआ चंडीगढ़ पहुंचेगा। वहां शिरोमणि अकाली के नेता पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेंगे।
Posted by Harsimrat Kaur Badal on Wednesday, September 30, 2020
शिअद नेताओं ने बताया कि ज्ञापन में मांग की जाएगी के राज्यसभा और लोकसभा का सत्र दोबारा बुलाया जाए और तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद किया जाए। श्री दरबार साहिब में माथा टेकने के बाद मीडिया से बातचीत में सुखबीर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल का इतिहास रहा है कि जब भी किसानों के अधिकारों के ऊपर हमला हुआ है उसने किसान आंदोलन का नेतृत्व किया है। अब भी किसानों और उनके भविष्य पर हमला हुआ है। इसके कारण शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार से त्यागपत्र देकर किसानों के साथ खड़े होने को प्राथमिकता दी है।
ਇੱਕੋ ਨਾਅਰਾ ਕਿਸਾਨ ਪਿਆਰਾ' ਤਹਿਤ ਗੁਰੂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਜੀ ਦਾ ਅਸ਼ੀਰਵਾਦ ਲੈ ਕੇ ਕਿਸਾਨ ਮਾਰਚ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵੱਲ੍ਹ ਨੂੰ ਚੱਲ ਪਿਆ ਹੈ। ਕਿਸਾਨ ਵਿਰੋਧੀ ਕਾਲ਼ੇ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਜੰਗ 'ਚ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਸਾਡੇ ਅੰਗ-ਸੰਗ ਸਹਾਈ ਹੋਣ। #AkalisWithFarmers#IkkoNaaraKisanPyaara#KisanMarch
Posted by Sukhbir Singh Badal on Wednesday, September 30, 2020
उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की ओर से सरकार को पहले ही लिख कर दिया गया था कि कानून में किसानों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए भाजपा सरकार ने इस का वादा भी किया था, लेकिन जब वादा पूरा नहीं हुआ और कानून में किसानों के हितों की रक्षा नहीं हुई तो शिअद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से खुद को अलग कर लिया और भाजपा के साथ अपना राजनीतिक गठजोड़ भी तोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल पंजाब और किसानों के साथ है और उनके हितों की रक्षा के लिए हमेशा अग्रणी रहेगा। उन्होंने सभी किसान संगठनों से अपील की कि वे एक मंच पर आकर यह लड़ाई लड़ें। संघर्ष का नेतृत्व किसान करें और शिरोमणि अकाली दल उनके पीछे चलने को तैयार है।