लुधियाना के थाने या कबाड़खाने : 8 करोड़ के 5 हजार वाहन कंडम; केस खत्म- फाइलें बंद, जब्त वाहनों को लेने नहीं आए मालिक, अब खरीदार भी नहीं

तीन साल में नीलामी के लिए जारी किए इश्तिहार, मगर एक खरीदार भी वाहन लेने नहीं पहुंचा

लुधियाना। जिले के थाने-चौकियां किसी कबाड़खाने से कम नहीं, क्योंकि पिछले 15 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी यहां रखी केस प्रॉपर्टी (वारदातों और घटनाओं में शामिल वाहन) को नीलाम नहीं किया जा सका। नतीजतन पुलिस थानों के हालात ये हो गए कि यहां खड़े वाहनों पर घास तक उग आई। दोपहिया में से किसी की टंकी गायब है तो किसी का टायर नहीं है।

इसी तरह से चौपहिया वाहनों में से स्टीरियो और साइड मिरर तक नहीं हैं। आंकड़ों की बात करें तो जिला पुलिस (लुधियाना, खन्ना और जगराओं) के थानों में 5 हजार वाहन खड़े हैं। इन सबकी औसतन कीमत 10 हजार से एक लाख तक की है, इन सब को मिलाया जाए तो करीब 8 करोड़ का आंकड़ा पार होता है। मगर देखना होगा कि महकमे की तरफ से इन वाहनों की कितनी कीमत आंकी जाती है। ज्यादा वाहन होने के चलते चीमा चौक घोड़ा कॉलोनी स्थित निगम के गोदाम में भी इन वाहनों को खड़ा किया गया है।

परवाने भी बेमतलब

महकमे की मानें तो इन वाहनों के मालिकों को तीन साल में कई बार अपने वाहन लेकर जाने के लिए परवाने भेजे गए हैं, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इसके बाद उन्होंने अखबारों में इश्तिहार देकर नीलामी का समय तय किया, मगर नीलामी में बोली देने के लिए कोई नहीं पहुंचा। इस वजह से हर बार नीलामी को स्थगित करना पड़ा।

ज्योतिष बढ़ा रहा थानों पर बोझ
पुलिस अफसर ने बताया कि थानों पर केस प्रॉपर्टी बढ़ने के दो कारण हैं। सबसे पहला लोग इस बात से डरते हैं कि उन्हें पहले कोर्ट से सुपुर्दगी लेनी पड़ती है, इसके लिए पहले वकील का खर्च और फिर वाहन जिसकी हालत खस्ता होती है, उसपर अलग से खर्च करना पड़ता है। इतने का वाहन नहीं होता, जितना उसे छुड़वाने के लिए खर्च हो जाता है और परेशानी अलग से।

ऐसे में वो वाहन को थाने में ही छोड़ देते हैं। दूसरा जिन लोगों के वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं या फिर चोरी होने के बाद दोबारा मिल जाते है, लोग उन्हें मनहूस मानते हैं। उनका तर्क होता है कि ज्योतिष ने उन्हें कहा कि वाहन वो दोबारा इस्तेमाल न करें, ऐसे में वो वाहन को उठाने ही नहीं आते।

थानों के हालात बदतर

इन वाहनों ने थानों की जितनी जगह को घेर रखा है, उतनी जगह में दो थानों का स्ट्रक्चर खड़ा हो सकता है। थानों के अब जो हालात है, उसमें न तो ढंग का लॉकअप है और न ही रिकॉर्ड रूम। हालात ये है कि असलहा रखने के लिए भी खस्ताहाल कमरों का इस्तेमाल हो रहा है, जहां शिकायत करने वाले भी आकर खड़े हो जाते हैं, क्योंकि थानों में जगह ही उतनी है।

हर माह 500 वाहन करेंगे नीलाम

वाहनों की नीलामी हमारे लिए चुनौती है। इसलिए अगले महीने से वाहनों की नीलामी का काम तेज किया जाएगा। हर महीने 500 वाहनों को नीलाम करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि मालखाने खाली किए जा सकें। इसके लिए सभी थानों के वाहनों की लिस्टिंग की जा रही है। -राकेश अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर

सौजन्य-भास्कर डाट काम

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