राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर होने के बाद रविवार को एक बार फिर शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल की तरफ से बड़ा बयान आया है। सुखबीर ने कहा है कि पिछले सप्ताह पारित नए विवादास्पद फार्म बिलों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। इनके खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर लड़ाई में साथ आना होगा, तभी देश के किसानों को बचाया जा सकता है। बादल ने पंजाब के रोपड़, होशियारपुर और फगवाड़ा में पार्टी कार्यकर्ताओं और किसानों की सभाओं में कहा, “किसानों की आर्थिक दुर्दशा पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने कृषि बिल को लेकर मोदी सरकार ने अकाली दल की एक न सुनी. उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि ये बिल किसानों के खिलाफ है।
शिअद अध्यक्ष ने रविवार को रोपड़, होशियारपुर और फगवाड़ा में पार्टी कार्यकर्ताओं और किसानों की सभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिक दुर्दशा पूरे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। कृषि विधेयकों को लेकर मोदी सरकार ने अकाली दल की एक न सुनी। भाजपा और उसके नेताओं की तरफ से लाए गए ये बिल किसानों के खिलाफ हैं।
बादल ने कहा कि हम किसानों, खेत मजदूरों, आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) और अन्य कृषि उपज व्यापारियों के समग्र हितों के लिए किसी भी संघर्ष में शामिल होने या उनका पालन करने के लिए तैयार हैं। पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध का सामना करते हुए, बादल ने सभी राजनैतिक दलों और संगठनों से आह्वान किया है कि वो देश में किसानों, खेत श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए लड़ाई में एकजुट हों।
अकाली दल ने क्यों लिया एनडीए से बाहर से होने का फैसला?
बताते चलें कि बादल की पार्टी अकाली दल भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी थी। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद को आश्वस्त करने के लिए केंद्र के इन्कार और जम्मू और कश्मीर में एक आधिकारिक भाषा के रूप में पंजाबी को शामिल नहीं करने को लेकर शनिवार को पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर चली गई।
शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस ने किया सुखबीर के आह्वान का समर्थन
अकाली दल शिवसेना और तेलुगु देशम पार्टी के बाद एनडीए से बाहर निकलने वाला तीसरा प्रमुख घटक दल है। वहीं अब एकजुट होने संबंधी सुखबीर बादल के आह्वान का शिवसेना और पश्चिमी बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने भी समर्थन किया है।