ट्रेनों में बनाए गए कोविड कोचों का नहीं हुआ इस्‍तेमाल, विशेषज्ञ बोले आगे भी नहीं होगा

ट्रेन के कोच को कोविड आइसोलेशन यूनिट (Covid isolation unit) बनाने में काफी पैसा खर्च हुआ है. एक कोच पर अनुमानित दो लाख रुपये खर्च हुए हैं. जिससे इन कोचों में शौचालय, आइसोलेशन बैड, मेडिकल स्‍टाफ और मेडिकल जरूरतों को पूरा करने वाले उपकरणों, सुरक्षा उपकरणों, मरीजों के लिए कपड़े और भोजन की सुविधा की गई थी.

नई दिल्‍ली. भारत में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ट्रेनों में बनाए गए आइसोलशन कोच अभी तक सफेद हाथी साबित हो रहे हैं. इस प्रोजेक्‍ट पर केंद्रीय कोविड देखभाल कोष से भारी भरकम बजट आवंटित करके कोविड कोच तो बना दिए गए लेकिन उनका इस्‍तेमाल 20 फीसदी भी नहीं हुआ है. ट्रेन के 5231 सवारी डिब्‍बों को आइसोलेशन यूनिट में तब्‍दील किया गया था और इनमें सभी जरूरी सुविधाओं के होने के साथ ही आपात स्थिति में उपयोगी होने की भी बात कही गई थी.
Coronavirus को लेकर रेल मंत्रालय का बड़ा फैसला, ट्रेन कोच में बनाए गए  आइसोलेशन केंद्र - India TV Hindi News

रेल मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के मामलों और देश में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को देखते हुए शुरुआत में ही ट्रेनों के कोचों में कोविड केयर यूनिट तैयार किए गए थे. ताकि किसी भी आपात स्थिति में इनका इस्‍तेमाल किया जा सके. हालांकि अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि देश में रोजाना करीब एक लाख मामले आने के बाद भी इन डिब्‍बों ढंग से इस्‍तेमाल नहीं हुआ है और न ही अब राज्‍य सरकारें इन कोचों की मांग कर रही हैं.

आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने कुल 5231 गैर वातानुकूलित सवारी डिब्‍बों को अस्‍थाई रूप से कोविड 19 आइसोलेशन यूनिट के रूप में तैयार किया था. जिसका मकसद भारत में कोरोना के मामले बढ़ने के दौरान इनका इस्‍तेमाल आइसोलेशन के लिए करना था. हालांकि छह महीने बीतने के बाद राज्य सरकारों की ओर से मांगने पर इनमें से सिर्फ 813 डिब्‍बे ही मुहैया कराए गए हैं. बाकी बचे हुए 4418 डिब्‍बे अभी उसी अवस्‍था में आइसोलेशन यूनिट के रूप में तैयार रखे हुए हैं. इनका अभी तक कोई उपयोग नहीं हुआ है.

Coronavirus: ट्रेनों के 20,000 डिब्बों को अलग वार्ड में बदलने की तैयारी की  जाए: रेलवे बोर्ड - Railway zones asked to prepare for coaches as isolation  units for covid patients - Latest

विशेषज्ञ बोले अब तक नहीं हुआ तो आगे भी नहीं होगा इन डिब्‍बों का इस्‍तेमाल

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पूर्व निदेशक एमसी मिश्र कहते हैं कि जब सरकार ने इन डिब्‍बों को बनाया था तब कोरोना को लेकर डर बहुत ज्‍यादा था. उस वक्‍त इ से आइसोलशन का एक विकल्‍प माना गया था. हालांकि इन डिब्‍बों में गंदगी, पानी और सीवर की सुविधा न होने, वेंटिलेशन के साथ साथ वातानुकूलित न होने और अन्‍य समस्‍याओं के चलते इन्‍हें न बनाने की सलाह भी कई जगहों से पहुंची थी. अब जबकि देश में कोरोना के रोजाना मामले बढ़ रहे हैं, इसके साथ ही होम आइसोलेशन या होम क्‍वेरेंटीन का तरीका ज्‍यादा सफल और सुरक्षित लग रहा है तो लोग इन डिब्‍बों में बने आइसोलेशन यूनिट में जाना बिल्‍कुल भी नहीं चाहेंगे. इन डिब्‍बों में मरीज की देखभाल करना भी बड़ी चुनौती है. ऐसे में अगर अभी तक इनका इस्‍तेमाल नहीं हुआ तो आगे भी नहीं होगा. फिर भी यह सरकार का एक प्रयास है तो ठीक है.

एक कोच पर इतने पैसे हुए खर्च

ट्रेन के कोच को कोविड आइसोलेशन यूनिट बनाने में काफी पैसा खर्च हुआ है. एक कोच पर अनुमानित दो लाख रुपये खर्च हुए हैं. जिससे इन कोचों में शौचालय, आइसोलेशन बैड, मेडिकल स्‍टाफ और मेडिकल जरूरतों को पूरा करने वाले उपकरणों, सुरक्षा उपकरणों, मरीजों के लिए कपड़े और भोजन की सुविधा की गई थी. इस पूरे प्रोजेक्‍ट के लिए केंद्रीय कोविड देखभाल कोष से 620 करोड़ रुपये आवंटित होने की बात कही गई थी. हालांकि इनके बनने के बाद इन कोचों के इस्‍तेमाल न होने और उपयोग में न होने के पीछे कई समस्‍याएं सामने आई थीं.

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.