सड़कों में विरोध कर रहे पंजाब के किसान कृषि विधेयकों के प्रावधानों से पूरी तरह अनजान

पंजाब में किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। वे रेल रोको और पंजाब बंद जैसे आंदोलन कर रहे हैं लेकिन क‍ृषि विधेयकों से अनजान हैं और उनको इसके प्रावधानों के बारे में पता तक नहीं है। पहला बिल कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 है जो एक ऐसा क़ानून होगा जिसके तहत किसानों और व्यापारियों को एपीएमसी की मंडी से बाहर फ़सल बेचने की आज़ादी होगी. इसमें यह बात याद रखने वाली है कि सरकार का कहना है कि वह एपीएमसी मंडियां बंद नहीं कर रही है बल्कि किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था कर रही है जिसमें वह निजी ख़रीदार को अच्छे दामों में अपनी फ़सल बेच सके.

पंजाब में किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं और आंदोलन कर रहे हैं। किसान कृषि विधेयकों के खिलाफ हाइवे, रेल ट्रैक सहित अन्य प्रमुख सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद वे कृषि विधेयकों से अनजान हैं। किसान विधेयकों के बारे में बिना जाने कई शंकाओं से घिरे हैं। वे नहीं जानते कि आने वाले समय में उनकी फसलों की बिक्री के लिए विधेयकों में क्या राहत दी गई है। ऐसे में पूरे आंदोलन को लेकर सवाल भी पैदा हाे रहे हैं।

चाहते हैं कि कानून बनने व लागू से पहले उन्हें पूरी जानकारी दी जाए

शुक्रवार को विभिन्न जिलों में केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया गया और आज भी किसानों का रेल रोकाे आंदाेलन जारी है। किसान रेल ट्रैकों पर वीरवार से जमे हैं। ऐसे में किसानों से जब उनके विरोध और विधेयकों को लेकर सवाल किए गए तो वह इसे लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता पाए। सब ने यही कहा कि अब किसानों को फसल का सही मूल्य नहीं मिलेगा और निजी कंपनियां मनमर्जी से मोलभाव करेंगी।

केंद्र सरकार जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व मंडी की व्यवस्था बरकरार रखने का दावा कर रही है। वहीं किसानों में रोष इस बात को लेकर है कि सरकार एमएसपी व मंडियों को खत्म किया जा रहा है। शंकाओं से घिरे किसानों ने सरकार से कहा कि अगर विधेयक लाना ही था तो पहले किसानों को इसके बारे में समझाया जाना चाहिए था।

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