नई दिल्ली. नए कृषि कानून पर हो रहे हंगामे के बीच मोदी सरकार (Modi Government) ने देश के करीब 11 करोड़ किसानों को एक खास संदेश भेजा है. यह संदेश न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़ा हुआ है. इस संदेश में रबी सीजन 2020-21 के लिए घोषित एमएसपी का पूरा ब्योरा दिया गया है. बताया गया है कि पहले किस उपज का कितना दाम था और अब कितना हो गया है. कृषि मंत्रालय के कुछ अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा किसानों को सीधे उनके मोबाइल पर मैसेज भेजने से शायद आम किसान (Farmers) थोड़ा नरम पड़ेगा और विपक्ष की कोशिश के बावजूद पीएम मोदी की इमेज एंटी फार्मर नहीं बनने पाएगी.
दरअसल, इस समय कुछ विपक्षी दल और किसान संगठन कह रहे हैं कि कृषि कानून की वजह से किसानों को एमएसपी नहीं मिल पाएगा. इसे लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 25 सितंबर को भारत बंद बुलाया है. सारा झगड़ा एमएसपी को लेकर हो रहा है. पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम (PM kisan samman nidhi scheme) के तहत देश में करीब 11 करोड़ किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं. इसलिए सरकार को इन किसानों के पास अपना कोई भी संदेश भेजना काफी आसान हो गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री का संदेश
- किसानों को भेजे गए एसएमएस में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि सरकार ने रबी 2020-21 के लिए MSP घोषित कर दी है.
- गेहूं का समर्थन मूल्य 50 रुपए बढ़ाकर 1975, जौ का 75 रुपए बढ़ाकर 1600, चने का 225 रुपए बढ़ाकर 5100 प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
- इसी तरह मसूर का एमएसपी 300 रुपए बढ़ाकर 5100, सरसों का 225 रुपए बढ़ाकर 4650 तथा कुसुम्भ (Safflower) में 112 की वृद्धि करके 5327 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
सरकार ने 2021-22 में किस फसल की कितनी बताई लागत
केंद्र सरकार ने बताया है कि प्रति क्विंटल गेहूं पैदा करने में किसान की लागत 960 रुपये, जौ में 971, चना में 2866, मसूर में 2864, सरसों में 2415 और कुसुम्भ में 3551 रुपये की लागत आती है. लागत के मुताबिक सबसे अधिक 106 फीसदी की वृद्धि गेहूं के रेट में की गई है. इस लागम में सभी भुगतान शामिल हैं. जैसे किराया, मानव श्रम, बैल श्रम/मशीन श्रम, पट्टा भूमि के लिए दिया गया किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई व्यय, उपकरणों और फार्म भवनों का मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सैटों आदि को चलाने के लिए डीजल/बिजली एवं पारिवारिक श्रम का मूल्य.