बैठक:चीन बोला- दोनों देशों में फ्रंटलाइन पर ज्यादा सैनिकों को न भेजने पर सहमति बनी; भारत ने कहा- पीछे हटने की शुरुआत चीन करे

भारत और चीन के अफसरों के बीच यह बैठक मोल्डो में हुई, पहली बार विदेश मंत्रालय के अफसर शामिल हुए दोनों देशों के बीच लद्दाख में अप्रैल से तनाव बना हुआ है, कुछ इलाकों में सेनाएं आमने-सामने हैं

0 1,000,312

भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव को कम करने के लिए छठवीं बार सोमवार को सैन्य (कॉर्प्स कमांडर्स) स्तर पर बातचीत हुई। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार रात कहा कि चीन और भारत दोनों में फ्रंटलाइन पर ज्यादा सैनिक भेजे जाने को रोकने के लिए सहमति बनी है।

इसके साथ ही दोनों पक्ष ग्राउंड पर मौजूदा स्थिति को बदलने पर एकपक्षीय फैसला नहीं लेने के लिए तैयार हुए हैं। दोनों देश इस बात के लिए भी राजी हो गए हैं कि आगे से ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा जिससे स्थिति और ज्यादा बिगड़े।

दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत जारी करने को लेकर सहमति बनी

इससे पहले, सोमवार को हुई बैठक में पहली बार इसमें विदेश मंत्रालय के अफसर भी शामिल हुए। 13 घंटे तक चली बातचीत में भारत ने चीन से कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में उन पोजिशन पर वापस जाए, जो अप्रैल-मई 2020 के पहले थीं। इसके लिए डेडलाइन तय हो। बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव को दूर करने के लिए सातवें राउंड की बैठक को लेकर भी सहमति बनी।

बैठक में 14 कॉर्प्स चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने हिस्सा लिया। मेनन अगले महीने लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर की जगह लेने जा रहे हैं। वहीं,चीन की तरफ से दक्षिण जिन जियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन आए।

खास बात ये है कि इस बैठक में पहली बार विदेश मंत्रालय के ईस्ट एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी शामिल हुए। बैठक सोमवार को सुबह 10 बजे से रात 11 बजे तक चली।

भारत ने कड़ा रूख अपनाया
भारत ने साफ कहा कि चीन को सभी विवादित पॉइंट से फौरन पीछे हटना चाहिए। इसके अलावा, पीछे हटने की शुरुआत चीन करे, क्योंकि विवाद की वजह चीनी सेना है। बैठक में कहा गया कि अगर चीन पूरी तरह से वापस जाने और पहले जैसी स्थिति बहाल नहीं करेगा, तो भारतीय सेना सर्दियों में भी सीमा पर डटी रहेगी।

चीन ने पैन्गॉग त्सो के दक्षिणी इलाके को खाली करने को कहा
चीन ने कहा, ‘भारत को पैन्गॉग त्सो के दक्षिणी इलाके की उन पोजिशन को खाली करना चाहिए, जिन पर 29 अगस्त के बाद कब्जा किया है।’ उधर, भारत ने भी अप्रैल-मई 2020 के पहले की स्थिति को बहाल करने पर जोर दिया।

मीटिंग का एजेंडा पहले तय किया गया था
कॉर्प्स कमांडर्स की बैठक के पहले भारत ने मीटिंग का एजेंडा और मुद्दे पहले तय कर लिए थे। इन पर पिछले हफ्ते एक हाई-लेवल की मीटिंग में चर्चा हुई थी। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकंद नरवणे शामिल हुए थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.