बठिंडा में कोरोना वायरस से संक्रमित 5 लोगों की मौत, निरंतर बढ़ रहे केसों ने बढ़ाई चिंता

-हर उम्र वर्ग के लोग हो रहे वायरस के प्रभावित, 30 साल की गर्भवती के साथ 32 साल के बाक्सर की हो चुकी है मौत, फिलहाल कोरोना वायरस के कारण मौत के मामले में एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि अधिकतर लोगों को एक या दो दिन पहले अस्पताल में लाया गया जिसमें 48 से 72 घंटे के अंदर उनकी मौत हो गई। सरकार ने प्रदेश में बढ़ रही मृत्यु दर के लिए अन्य कारणों के साथ-साथ मरीजों को जिम्मेदार ठहराया है। अमरिंदर सरकार का कहना है कि मरीज संक्रमित होने के कई दिन बाद अस्पताल आ रहे हैं, जिस कारण उन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है।

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बठिंडा. जिले में कोरोना वायरस के कारण मौत का आकड़ा निरंतर बढ़ रहा है। शनिवार को पांच लोगों को कोरोना पोजटिव आने के बाद मौत हो गई। जिले में चिंताजनक पहलू यह है कि मृतकों में हर उम्र के लोग शामिल है। पिछले दिनों 30 साल की गर्भवती महिला की मौत हुई तो एक 32 साल के बाक्सर ने भी कोरोना से दम तोड़ दिया। हालांकि मरने वालों में अधिक तादाद 60 से ऊपर आयु वर्ग की है जबकि पिछले कुछ दिनों से 40 से 50 साल की उम्र के मध्य वर्ग वाले भी कोरोना से संक्रमित हो मौत का ग्रास बने हैं। फिलहाल शनिवार को पहली मौत 57 साल के रमेश कुमार वासी गली नंबर एक जवाहर नगर गोनियाना मंडी की हुई है। सास, बुखार के साथ फेफड़ों में इफेक्शन से ग्रस्त रमेश कुमार को 12 सितंबर को कोरोना रिपोर्ट पोजटिव आने के बाद आदेश अस्पताल बठिंडा में दाखिल करवाया गया जहां 18 सितंबर की देर रात उनकी मौत हो गई।
समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा के हाइवे इंचार्ज सुखप्रीत सिंह, सदस्य जनेश जैन, राकेश जिंदल, कमलजीत सिंह ने नायब तहसीलदार गोनियाना की अगुवाई में शव का अंतिम संस्कार पीपीई किट्स पहनकर गोनियाना मंडी की श्मशान भूमि में कर दिया। मृतक के परिजन भी मौके पर उपस्थित थे। वही कोरोना संक्रमण से दूसरी मौत कालांवाली निवासी 34 वर्षीय सरकारी अध्यापक की हुई। 34 साल के नरेश कुमार को 13 सितम्बर को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होने पर कोरोना टैस्ट करवाया गया जो पोजटिव पाया गया। उवचार के लिए नरेश को बठिंडा के सत्यम अस्पताल में दाखिल करवाया गया जहां रात उसकी मौत हो गई। समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा के सदस्यों कमलजीत सिंह, बॉबी, सोनू माहेश्वरी, राकेश जिंदल ने शव अस्पताल से बठिंडा दाना मंडी स्थित श्मशान भूमि में पहुंचाया तथा तहसीलदार सुखबीर सिंह बराड़ की अगुवाई में मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मौके पर मृतक के परिजन भी उपस्थित थे।
वही तीसरी मौत 62 साल की सुखपाल कौर वासी भाईरुपा बठिंडा की हुई है। बखार व सास की समस्या के चलते उन्हें फरीदकोट मेडिकल कालेज में रैफर किया गया था जहां शनिवार की सुबह उनकी मौत हो गई। इसी तरह चौथी मौत 60 साल के सतपाल बांसल वार्ड नंबर दो डबवाली की हुई है। उनकी 13 सितंबर को कोरोना रिपोर्ट पोजटिव आई थी व डीडीआरसी सेंटर बठिंडा में 14 सितंबर को दाखिल किया लेकिन सास के साथ बुखार व लीवर इफेक्शन की शिकायत के बाद मेडिकल कालेज फरीदकोट में रैफर कर दिया जहां शनिवार की सुबह सवा तीन बजे उनकी मौत हो गई। पांचवी मौत 67 साल के जगदेव सिंह वासी दुल्लेवाला सलाबतपुरा बठिंडा की हुई है। उन्हें कोरोना पोजटिव मिलने के बाद गत दिवस बठिंडा के अपोलो अस्पताल में दाखिल करवाया गया था जहां शनिवार की दोपहर उनकी मौत हो गई। समाजसेवी संस्था नौजवान वेलफेयर सोसाइटी बठिंडा की टीमों ने सभी मृतकों का अंतिम संस्कार बठिंडा दाना मंडी श्मशान भूमि, एक का भाईरूपा तथा एक का दुल्लेवाला गांव में करवाया।
फिलहाल कोरोना वायरस के कारण मौत के मामले में एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि अधिकतर लोगों को एक या दो दिन पहले अस्पताल में लाया गया जिसमें 48 से 72 घंटे के अंदर उनकी मौत हो गई। सरकार ने प्रदेश में बढ़ रही मृत्यु दर के लिए अन्य कारणों के साथ-साथ मरीजों को जिम्मेदार ठहराया है। अमरिंदर सरकार का कहना है कि मरीज संक्रमित होने के कई दिन बाद अस्पताल आ रहे हैं, जिस कारण उन्हें बचाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही सरकार ने सरकारी अस्पतालों को लेकर फैलाई जा रहीं गलत धारणाओं को भी इसकी वजह बताया है। सेहत विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि अन्य बीमारियों के कारण भी कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है।
विशेषज्ञ भी सरकार की बातों से कुछ हद तक सहमति जताते हुए कहते हैं कि राज्य में लोगों की जीवनशैली भी कोरोना के कारण होने वाली मौतों को बढ़ा रही है, लेकिन वो इसके लिए लोगों को दोष देने के पक्ष में नहीं है। दूसरी तरफ विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल ‘हॉरर सेंटर’ बन गए हैं इसलिए मरीज भर्ती होने से बच रहे हैं। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं दे रही। वही प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) हुस्न लाल ने कहा, “इसका प्रमुख कारण है कि मरीज गंभीर स्थिति में बीमार होने के बाद अस्पताल आ रहे हैं। तब तक हालत इतनी बिगड़ चुकी होती है कि स्वास्थ्य सेवाओं के पास करने को बहुत कम होता है।”

सरकारी अस्पतालों के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियान चलाया जा रहा

वहीं प्रख्यात कार्डियोलॉजिस्ट और कोरोना पर अमरिंदर सरकार के सलाहकार डॉक्टर केके तलवार ने पिछले दिनों कहा कि सरकारी अस्पतालों के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियान चलाया जा रहा है। तलवार का कहना है कि कोरोना संक्रमितों के बीच मृत्यु दर मापने का आधार प्रति 10 लाख लोगों पर होने वाली मौतें होना चाहिए। आने वाले दिनों में अगर ज्यादा टेस्टिंग के कारण ज्यादा लोग संक्रमित पाए जाते हैं तो सीएफआर कम हो जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब में अन्य जगहों की तुलना में 2-30 प्रतिशत ज्यादा लोग हायपरटेंशन, डायबिटीज आदि बीमारियों से जूझ रहे हैं।
कोरोना कंट्रोल रूम के प्रमुख की माने तो “कोरोना के कारण जान गंवाने वाले 89 मरीजों में से केवल 15 ऐसे थे, जिन्हें कोई दूसरी बीमारियां नहीं थी। लगभग 90 प्रतिशत लोगों की कोरोना और दूसरी बीमारियों के कारण मौत हुई है।” वहीं स्वतंत्र विशेषज्ञ प्रदेश में कोरोना के कारण बढ़ी रही मृतकों की संख्या के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। महामारी के रोकथाम की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ समाज की भी है। जब तक लोग बुरी तरह बीमार नहीं हो रहे, तब तक वो जांच के लिए अस्पताल नहीं जा रहे हैं। इसके अलावा यहां दूसरी बीमारियां भी ज्यादा हैं।
आप के विधायक और नेता विपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि पंजाब में मौतें इसलिए हो रही है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की देखरेख नहीं हो रही। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर नहीं है और उन्हें सफाई कर्मचारियों के सहारे छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का एक भी संक्रमित विधायक इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में भर्ती नहीं हुआ।

बठिंडा में कोरोना का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है

फिलहाल बठिंडा में कोरोना का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है जिसमें पॉजिटिव केसों के अलावा मृतकों की संख्या बढ़ रही है। जिले की करीब 13.50 लाख से अधिक की आबादी में अब धीरे-धीरे कर लेवल 2 व लेवल 3 के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन बठिंडा के सिविल व प्राइवेट अस्पताल में गिनती के वेंटीलेटर की संख्या प्रशासन के साथ-साथ सरकार के लिए बेहद चिंता का विषय होना चाहिए जिसमें लेवल 3 के मरीजों को इलाज के लिए फरीदकोट के मेडिकल कालेज भेजा जा रहा है। हाल ही में हुई कुछ मौतों में जिस तरह से इलाज शुरू होने से पहले ही मौतें हुई हैं, उसने जनता के मध्य डर को बढ़ा दिया है। सेहत केंद्रो में लेवल 2 कैटेगरी के कोरोना मरीजों के लिए 105 बिस्तरों की सुविधा की गई है, लेकिन लेवल 3 कैटेगरी के कोरोना मरीजों के लिए बठिंडा में व्यवस्था नहीं होने के चलते एकमात्र फरीदकोट मेडिकल कालेज या निजी अस्पतालों ही सहारा हैं जहां इलाज करवा पाना हर व्यक्ति के बूते की बात नहीं है। भले ही राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में बेहतरीन सुविधाएं देने के दावे करती हो, लेकिन असलियत दावों से कोसों दूर है। सिविल अस्पताल में स्टाफ के अभाव में वेंटीलेंटर की सुविधा शुरू नहीं हो पाना बेहद गहन चिंता का विषय है।

सरकारी अस्पताल में वेंटीलेंटर नहीं होने के कारण मरीजों को फरीदकोट मेडिकल कालेज के अलावा प्राइवेट अस्पतालों के वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया जा रहा है है। लेवल 3 व इसके बाद के मरीजों के लिए वेंटीलेंटर जरूरी होने के चलते परिवारों के पास और कोई दूसरा विकल्प नहीं है जिसमें मजबूर उन्हें प्राइवेट अस्पताल इलाज को जाना पड़ रहा है जहां रोजाना 50 हजार व इससे अधिक का खर्च परिवारों को सहना पड़ रहा है। अमीर व्यक्ति के लिए यह सुविधा भले ही लेना आसान हो, लेकिन एक आम व्यक्ति के लिए इतना महंगा इलाज करवाना ही बस की बात नहीं है जिसका खामियाजा उन्हें जान से हाथ धोकर चुकाना पड़ रहा है।

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