कोविड-19 वैक्सीन ट्रैकर:हाई रिस्क ग्रुप्स के लिए जल्दी अप्रूव हो सकती है वैक्सीन, केंद्र सरकार ने दिए संकेत; स्वास्थ्य मंत्री का भरोसा- मार्च से पहले तैयार हो जाएगी वैक्सीन

भारत में तीन वैक्सीन के ट्रायल्स चल रहे हैं। भारत बायोटेक और आईसीएमआर कोवैक्सिन विकसित कर रहे हैं। अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडीला का वैक्सीन फेज-2 के ट्रायल्स में है। पुणे का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोवीशील्ड के फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स कर रहा है।

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कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने संकेत दिए हैं कि हाई-रिस्क ग्रुप यानी बुजुर्गों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के लिए कोरोना वैक्सीन को जल्दी अप्रूव किया जा सकता है। अब तक वैक्सीन जारी करने को लेकर कोई तारीख फिक्स नहीं है, फिर भी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई है कि अगले साल मार्च से पहले वैक्सीन तैयार हो जाएगी। वहीं, अमेरिकी कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उसका वैक्सीन इसी साल दिसंबर से पहले अमेरिकी मार्केट में आ जाएगी। आप भी जान लीजिए कि कोरोना को काबू करने के लिए जिस वैक्सीन का इंतजार हो रहा है, उस पर दुनियाभर में क्या डेवलपमेंट हुए हैं।

भारत भी चल सकता है रूस और चीन की राह पर

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोशल मीडिया पर संडे संवाद कार्यक्रम में कहा कि सरकार हाई-रिस्क ग्रुप्स यानी बुजुर्गों और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के लिए वैक्सीन को जल्द अप्रूवल दे सकती है। इस पर सबको राजी करने की कोशिश की जा रही है।
  • हर्षवर्धन की बातों से साफ संकेत है कि रूस और चीन की तर्ज पर भारत में भी वैक्सीन को जल्द से जल्द अप्रूवल देकर हाई-रिस्क ग्रुप्स के लिए इसे जारी किया जा सकता है। रूस ने अपने SPUTNIK V और चीन ने अपने तीन वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिए हैं।
  • भारत में तीन वैक्सीन के ट्रायल्स चल रहे हैं। भारत बायोटेक और आईसीएमआर कोवैक्सिन विकसित कर रहे हैं। अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडीला का वैक्सीन फेज-2 के ट्रायल्स में है। पुणे का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोवीशील्ड के फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स कर रहा है।

दुनियाभर में वैक्सीन पहुंचने में लग सकते हैं चार-पांच साल

  • दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने एक इंटरव्यू में कहा है कि दुनियाभर में सबको 2024 के अंत तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं होने वाली। उन्होंने कहा कि हर देश में हर जगह वैक्सीन पहुंचाने में चार-पांच साल लग जाएंगे।
  • पूनावाला ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि कंपनी ने एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स समेत पांच कंपनियों से पार्टनरशिप की है। एक बिलियन डोज बनाने की तैयारी है। इसमें से आधे तो भारत में उपलब्ध होंगे। कंपनी रूस के गामालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट से भी पार्टनरशिप करने की तैयारी में है ताकि SPUTNIK V को मैन्युफैक्चर किया जा सके। ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन के ट्रायल्स यूके में एक व्यक्ति के बीमार होने के बाद रोक दिए गए थे। लेकिन अच्छी बात यह है कि ब्रिटेन में वैक्सीन के ट्रायल्स दोबारा शुरू हो रहे हैं। इसके लिए कंपनी को अनुमति मिल गई है। फिलहाल सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को भारत में ड्रग रेगुलेटर से ट्रायल्स दोबारा शुरू करने की अनुमति का इंतजार है।
  • सीरम इंस्टिट्यूट को ड्रग रेगुलेटर ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसका जवाब सीरम इंस्टिट्यूट ने भेज दिया है। जल्द ही भारत में भी कोवीशील्ड के रुके हुए ट्रायल्स गति पकड़ सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इस संबंध में कोई भी औपचारिक बयान नहीं आया है।

फाइजर के सीईओ ने कहा इसी साल अमेरिकियों के लिए उपलब्ध होगा वैक्सीन

  • अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की ओर से विकसित किए जा रहे वैक्सीन के अमेरिका में फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। कंपनी ने दावा किया है कि इसी साल अमेरिकी बाजार में वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
  • फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौरला ने सीबीएस टीवी नेटवर्क से कहा कि हमने मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है। हमने सैकड़ों डोज पहले ही बना लिए हैं। यदि ट्रायल्स को लेकर हमारी स्टडी के नतीजे अच्छे आते हैं तो हमें बाजार में आने में देर नहीं लगेगी।
  • फाइजर ने इससे पहले कहा था कि अक्टूबर तक यह पता चल जाएगा कि उसका वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव है या नहीं। बौरला ने अपने इंटरव्यू में यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि इस बात के 60% चांस है कि अक्टूबर तक कंपनी को पता चल जाएगा कि वैक्सीन कितनी इफेक्टिव है।

डब्ल्यूएचओ वैक्सीन लैंडस्केप क्या कहता है…

  • 180 वैक्सीन इस समय पूरी दुनिया में विकसित हो रहे हैं।
  • 35 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स से गुजर रहे हैं।
  • 9 वैक्सीन फेज-3 यानी अंतिम दौर के ट्रायल्स में हैं। इसमें भी चार वैक्सीन चीन में विकसित हो रहे हैं।
  • 145 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स के फेज में हैं। यानी उनका अब तक लैब्स में ही इवैल्यूएशन चल रहा है।

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