चंडीगढ़। सोलह साल के बेटे की मां और दस वर्षीय बेटे के पिता के बीच पनपे प्रेम संबंधों को कानूनी सुरक्षा देने से हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज बजाज की कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। यही नहीं, कोर्ट ने उलटे दोनों पर कानूनी प्रक्रिया का नाजायज लाभ लेने का प्रयास करने के लिए 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया। संगरूर की रहने वाली महिला ने अपनी याचिका में कहा था कि उसका विवाह वर्ष 2002 में हुआ था और उसका एक 16 वर्षीय बेटा भी है। इसी प्रकार उसके लिव-इन पार्टनर का भी 2006 में विवाह हो चुका है और उसका भी अपना एक 10 वर्षीय बेटा है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 में उसके ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। इसके बाद वह संगरूर में अपने लिव-इन पार्टनर के साथ रह रही है।
याचिकाकर्ता का 16 वर्षीय बेटा भी उसके साथ ही रहता है। याचिकाकर्ता ने अदालत से सुरक्षा की मांग करते हुए कहा था कि उसके ससुराल वालों ने पिछले सप्ताह उसके और उसके लिव-इन पार्टनर के साथ मारपीट की। यही नहीं उसका पति और अन्य प्रतिवादी उन्हें झूठे केस में फंसाना चाहते हैं।
कोर्ट ने चेताया, ऐसी हरकत के लिए आपराधिक कार्रवाई भी का जा सकती है
इस याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस मनोज बजाज ने कहा कि याचिकाकर्ता और उसका प्रेमी दोनों विवाहित हैं और अपने परस्पर साथियों से तलाक लिए बिना एक अपवित्र संबंध बनाकर लिव-इन में रह रहे हैं। उनकी इस हरकत के लिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से सुरक्षा की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग चार वर्ष से लिव-इन में रह रही महिला द्वारा अब उसके पति पर मारपीट के आरोप लगाने को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि वे कोविड राहत कोष के लिए पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल में जुर्माने की रकम अदा करें।