जालंधर. जीएसटी घोटाले में शुक्रवार को एक एईटीसी, पांच ईटीओ समेत 9 लोगों की जमानत याचिका मोहाली सेशन कोर्ट ने रिजेक्ट कर दी। उक्त आरोपियों के खिलाफ ट्रांसपोर्टरों के साथ मिलकर किए फर्जीवाड़े में धोखाधड़ी और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की बनती धाराओं के तहत 21 अगस्त को केस दर्ज किया गया था। हालात इतने बदत्तर कि अधिकारी बठिंडा से आ गोबिंदगढ़ में चालान काट रहे थे। विभााग के माेबाइल विंग के अधिकांश इस नैक्सेस से मिले थे, जो चालान विभाग द्वारा काटे जा रहे थे, वो भी फ्रेंडली मैच से बढ़कर कुछ नहीं थे। जांच में पाया कि काटे गए चालानों के कागज कुछ और कहते थे व जुर्माने कुछ और हाेते थे।
जमानत रिजेक्ट होने वाले अधिकारियों में एईटीसी मनजीत सिंह, ईटीओ लखबीर सिंह, ईटीओ सुशील कुमार, ईटीओ प्यारा सिंह, ईटीओ रवि नंदन, ईटीओ वरूण नागपाल, इंस्पेक्टर त्रिलोक, ट्रांसपोर्टर सोमनाथ मालिक साधू फ्रेट कैरियर फगवाड़ा और प्राइवेट ड्राइवर पवन कुमार शामिल हैं।
लुधियाना, जालंधर के ट्रांसपोर्टरों की कच्ची लेजर भी जांच के दाैरान विजिलेंस टीम के हाथ लगी है, जिससे पता चला है कि अधिकारियों के साथ महीने बंधे हुए होने की बात सामने आई है। एक-एक ट्रांसपोर्टर से अधिकारी मोटी वसूली कर रहे थे। जांच में ये भी सामने आया है कि जहां ईटीओ से एईटीसी स्तर के अधिकारी लाखों रुपए ऐंठ रहे थे। अगर 4 से 5 तारीख तक पैसे नहीं मिलते तो ट्रांसपोर्टरों की गाड़ियां रोक ली जाती थी।
टॉर्चर इतना करते ट्रांसपोर्टर काम छोड़ दे
अधिकारियों ने बताया कि मिलीभगत इस कदर हो रही थी, कि एक तरफ तो ट्रांसपोर्टर अफसरों की जेबें गर्म कर रहे थे व दूसरी ओर अधिकारी भी ये सुनिश्चित कर रहे थे कि माल उठाने का काम सिर्फ उनके ही ट्रांसपोर्टर उठाएं। अगर कोई ट्रांसपोर्टर माल उठाता है तो उनकी गाड़ियां रोक उसे परेशान किया जाता था, ताकि वो काम खुद ही छोड़ दें।
बठिंडा से आकर काटे चालान
हालात इतने बदत्तर कि अधिकारी बठिंडा से आ गोबिंदगढ़ में चालान काट रहे थे। विभााग के माेबाइल विंग के अधिकांश इस नैक्सेस से मिले थे, जो चालान विभाग द्वारा काटे जा रहे थे, वो भी फ्रेंडली मैच से बढ़कर कुछ नहीं थे। जांच में पाया कि काटे गए चालानों के कागज कुछ और कहते थे व जुर्माने कुछ और हाेते थे।
पंजाब के जीएसटी विभाग ने 350 करोड़ रुपये के फर्जी बिल घोटाले का पर्दाफाश किया
गौरतल हैै कि जून माह में पंजाब के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग ने शुक्रवार को 350 करोड़ रुपये के फर्जी बिल घोटाले का पर्दाफाश करने का दावा किया। इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि विभाग के अधिकारियों के एक दल ने फतेहगढ़ साहिब के मंडी गोबिंदगढ़ ओर अमलोह की चार जगहों पर छापेमारी की। सहायक आयुक्त सुनीता बत्रा ने कहा कि विभाग को एक जांच के दौरान पता लगा कि कुछ कंपनियों का एक नेटवर्क फर्जी चालान जारी करने और राज्य में कई कंपनियों को फर्जी ”इनपुट टैक्स क्रेडिट” दिलाने में शामिल था। विभाग ने अपनी जांच में खुलासा किया कि लगभग 10 कंपनियों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर 350 करोड़ रुपये के फर्जी चालान जारी किए थे, जिसमें 45 करोड़ रुपये की कर की रकम भी शामिल थी। विभिन्न बैंकों से 70 करोड़ रुपये भी निकाले गए थे।
एक साल पहले भी हरियाणा में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में महा घोटाला सामने आया था। हरियाणा और पंजाब में फर्जी फर्मे बनाकर कारोबारियों एवं उद्योगपतियों को 18 फीसद भुगतान के बिल पांच से छह फीसद कमीशन लेकर बना दिए गए। इन कारोबारियों ने सरकार से 18 फीसद का इनपुट क्रेडिट भी ले लिया। छह मामलों में कारोबारियों ने करीब 35 करोड़ का कारोबार दिखाकर सरकार से छह करोड़ रुपये का लाभ ले लिया गया। इसमें डीईटीसी सुरेंद्र सिंह ने पंजाब के डीईटीसी को पत्र लिख सरकारी रकम की रिकवरी को लेकर सिफारिश की थी। वहीं अंबाला एसपी को पत्र लिख कार्रवाई की सिफारिश की । लगभग दो करोड़ की गड़बड़ी के एक मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर रखी है।
फर्जी फर्म बना किया जीएसटी चोरी, छह करोड़ का क्रेडिट भी लिया
अंबाला छावनी के मकान नंबर 162 ए रेल विहार कुलदीप नगर का पता देकर नटवर लाल ने जीएसटी नंबर अलॉट करा लिया और मैसर्ज प्रदीप नाम से फर्म बना दी गई। पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहित के मंडी गोङ्क्षबदगढ़ निवासी प्रदीप को नहीं पता था कि उसके दस्तावेजों के आधार पर फर्म बना दी गई है। इस फर्जी फर्म के नाम पर जून 2018 से जनवरी 2019 तक सात करोड़ 76 लाख 45 हजार 804 रुपये के खरीद बिल जारी हुए, जबकि फर्म ने इसी अवधि के दौरान 11 करोड़ 54 लाख 8 हजार 307 रुपये के बिल जारी किए। इस अवधि के दौरान फर्म ने 10,556 रुपये टैक्स भी जमा कराया।
हरियाणा-पंजाब में फर्जी फर्म बना दिया अंजाम, दोनों राज्यों की पुलिस में खलबली
जून 2018 से जनवरी 2019 तक फर्म ने 12 करोड़ 53 लाख 25 हजार 252 के कई बिल हरियाणा व पंजाब के कारोबारियों को जारी किए। उक्त व्यापारियों ने इन्हीं बिलों के माध्यम से सरकार से 2 करोड़ 1 लाख 41 हजार 770 रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ ले लिया। घोटाला सामने आने पर इन कारोबारियों से रिकवरी शुरू कर दी गई है। अभी यह मामला सुलटा भी नहीं था कि पांच और इस तरह के मामले सामने आए जिनमें 4 करोड़ का घपला सामने आया।