भारत-चीन के बीच समझौते के बावजूद नहीं दिख रही नरमी, चीनी सेना उठा रही ये कदम

India China agree on 5-point Plan: अगर जमीनी स्‍तर पर देखा जाए तो चीन की सेना अधिक सैनिकों को एकत्र कर रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अब पैंगोंग झील के उत्तर की ओर फिंगर-3 क्षेत्र के पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को एकत्र करने की जानकारी मिली है.

0 990,172
नई दिल्‍ली. भारत और चीन (India and China) के बीच पंचशील समझौता काफी नहीं है. लेकिन तनावपूर्ण और खूनी सीमा संघर्ष (Bloody Border Standoff) के 4 महीने के बाद भारत और चीन ने गतिरोध को दूर करने के लिए सुरक्षा बलों को पीछे हटने और तनाव को कम करने के लिए पांच सूत्री समझौते पर सहमति जताई है. यह एक महत्‍वपूर्ण कदम की तरह ही लग रहा है. फिर भी इसमें कुछ भी नया नहीं है. जाहिर है, इसमें कुछ भी सफलता जैसा नहीं है और न ही किसी को इसकी उम्‍मीद भी थी.

भारत-चीन की बातचीत के बीच चीन की तरफ से धमकियां दी जा रही हैं। सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अगर भारतीय सेना पैंगॉन्ग त्सो झील (लद्दाख) के दक्षिणी हिस्से से नहीं हटती तो पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए यानी चीनी सेना) पूरे ठंड के मौसम में वहीं जमी रहेगी। अगर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो भारतीय सेना जल्दी ही हथियार डाल देगी।

ऐसा लगता है कि सभी स्थापित सैन्य और राजनयिक तंत्र के साथ यह कदम और ज्‍यादा बातचीत के लिए उठाया गया है. स्पष्ट रूप से यह गतिरोध को तोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं है. अगर जमीनी स्‍तर पर देखा जाए तो चीन की सेना अधिक सैनिकों को एकत्र कर रही है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अब पैंगोंग झील के उत्तर की ओर फिंगर-3 क्षेत्र के पास पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को एकत्र करने की जानकारी मिली है. भारत के दक्षिण की ओर से कुछ सामरिक ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद, चीनी सेना उत्तर दिशा में भी ऐसा ही कुछ करने की कोशिश कर रही है.

एलएसी पर स्थिति काफी गंभीर है. हालांकि दोनों देशों के नेतृत्व नहीं चाहते कि युद्ध जैसी स्थिति बने. जाहिर है कि न तो पक्ष डी-एस्कलेशन की दिशा में पहला कदम उठाने में सक्षम हैं. साथ ही, चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के लिए यह समय काफी जटिल है. अगले महीने, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) एक प्रमुख सम्मेलन आयोजित करने वाली है. यहां शी सीसीपी की स्थापना के शताब्दी वर्ष के समारोह की घोषणा करेंगे. जहां शी चाहेंगे कि पार्टी के दिग्‍गजों में केवल माओ को अगले नेता के तौर पर देखा जाए. और वह इस समारोह के माध्‍यम से बताने की कोशिश करेंगे कि सीसीपी सबसे मजबूत है और चीन सबसे मजबूत स्थिति में है. इसलिए, समय को देखते हुए शी को रियायतें देने के रूप में देखा जा सकता है.

‘भारत भूल गया कि वो क्या था’
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘‘चीन ने हमेशा से भारत के सम्मान की फिक्र की है। अब भारत की राष्ट्रवादी ताकतें इस सम्मान का फायदा उठाना चाहती हैं। वे भूल गए हैं कि वो (भारत) क्या हैं? आज के माहौल में हर चीज सामने रखने की जरूरत है।’’

‘‘हमारी तिब्बत मिलिट्री कमांड भारत से तनाव को देखते हुए पीएलए के सपोर्ट के लिए ड्रोन की मदद ले रही है। इससे साबित होता है कि पीएलए किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।’’

राहुल का मोदी सरकार पर निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। भारत सरकार इसे वापस लेने की कोई योजना बना रही है या फिर इसे ‘भगवान की मर्जी’ मानकर छोड़ देंगे?’’

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.