चंडीगढ़ । आइएएस अफसर के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण और हत्या के मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के पीछे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की गुत्थी को सुलझाने के लिए सैनी को हिरासत में लिया जाना जरूरी है। कई साल बाद, अब जब जांच एजेंसी ने अपने ही पूर्व प्रमुख के खिलाफ जांच करने का साहस दिखाया है तो पुलिस के हाथ लगे साक्ष्यों को सैनी से सुरक्षित रखने की जरूरत है।
न्यायधीश फतेहदीप सिंह ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस मामले में पेश किए गए तथ्यों की गंभीरता के मद्देनजर सैनी द्वारा निष्पक्ष जांच और ट्रायल को प्रभावित किए जाने की पूरी संभावना है। मामला 29 साल पुराना होने की सैनी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि राजनैतिक या अन्य कारणों से पहले भी कई मामले वर्षों तक दबे रहने के बाद उनसे पर्दा उठता रहा है।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर सरतेज नरूला ने बताया कि कोर्ट ने आदेश में यह जिक्र भी किया है कि राजनैतिक समर्थन हासिल होने के कारण सैनी का पुलिस प्रशासन पर भारी प्रभाव रहा है। वह तो अपने आप में ही कानून रहे हैं। अपने प्रभाव के चलते सैनी ने न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास भी किया था। जो कि विनोद कुमार केस में हाई कोर्ट में फैसले में दर्ज है।
वहीं, नई दिल्ली में सैनी के खिलाफ उनके तीन रिश्तेदारों की हत्या के मामले में सीबीआइ अधिकारी का बयानों से पलटना भी सैनी के रसूख का परिचायक है। मुल्तानी मामले में जांच एजेंसी के पास कई साक्ष्य हैैं और एजेंसी को याचिकाकर्ता (सैनी) की निष्ठुर नजरों से बचाने की जरूरत है, ताकि उन्हें ट्रायल के लिए पेश किया जा सके। ऐसी प्रकृति के मामले में साक्ष्यों को जुटाना बहुत कठिन है, क्योंकि ऐसे साक्ष्य सामान्य मानवीय स्वभाव व परिस्थितिजन्य हैं जो कि राज्य में उस काले दौर में अनुभव किए गए हैं।
गिरफ्तारी के लिए हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली में दबिश
सैनी की गिरफ्तारी के लिए पंजाब पुलिस ने अब उनके रिश्तेदारों के घर पर छापामारी शुरू कर दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा पंजाब में मोहाली व होशियारपुर, हरियाणा में डबवाली व सिरसा के अलावा हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में भी सैनी के रिश्तेदारों के घरों पर दबिश दी गई है।