भारत-चीन सीमा पर 45 साल बाद गोली चली:चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों की लोकेशन के करीब आ रहे थे, सेना ने रोकने की कोशिश की, नहीं माने तो फायरिंग की, जिसके बाद चीनी लौट गए
भारतीय सेना के सूत्रों ने सरहद पर फायरिंग की बात को कन्फर्म किया है, हालांकि सेना की ओर से अब तक कोई बयान नहीं आया है गलवान में 20 सैनिकों को खोने के बाद और पिछले तीन महीनों से जारी टेंशन के बीच भारतीय सेना ने अपने रूल ऑफ एंगेजमेंट में बदलाव किया है वहीं चीनी सेना के वेस्टर्न कमांड के प्रवक्ता ने कहा है कि ये घटना 7 सितंबर को पैंगॉन्ग झील के दक्षिण में शेनपाओ इलाके की है
लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत और चीन के बीच फायरिंग की खबर है। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के मुताबिक भारतीय सैनिकों ने 7 सितंबर को पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर एलएसी पार कर घुसपैठ की कोशिश की है। चीन का ये भी दावा है कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पार करने के बाद हवाई फायर भी किए।
Chinese border defense troops were forced to take countermeasures to stabilize the situation after the #Indian troops outrageously fired warning shots to PLA border patrol soldiers who were about to negotiate, said the spokesperson. https://t.co/wwZPA6BMDA
— Global Times (@globaltimesnews) September 7, 2020
चीनी सेना के बयान के मुताबिक भारतीय सेना ने शेनपाओ इलाके में एलएसी पार की और जब चीनी सेना की पेट्रोलिंग पार्टी भारतीय जवानों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ी तो उन्होंने जवाब में वॉर्निंग शॉट किए यानी हवा में गोली चलाई। हालांकि, भारतीय सेना ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक दोनों सेनाओं के बीच सोमवार को फायरिंग हुई है।
क्या हुआ 7 सितंबर सोमवार को
घटना 7 सितंबर देर शाम की है। चीन के सैनिक आगे बढ़कर भारतीय इलाके में कब्जे की कोशिश कर रहे थे। वो भारतीय सेना की लोकेशन के काफी नजदीक आ रहे थे। भारतीय सेना ने उन्हें पीछे हटने को कहा। बहस बढ़ी और भारतीय सेना को चेतावनी देते हुए हवाई फायर करना पड़ा। ये इलाका रेचन ला है।
सूत्रों के मुताबिक इस झड़प के दौरान एक दो नहीं बल्कि कई राउंड फायरिंग हुई। चीन के सैनिकों ने भी फायर किया। हालांकि, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है कि पहले चीन के सैनिकों ने फायरिंग की या भारत के जवानों ने। इस फायरिंग के बाद चीन के सैनिक अपनी लोकेशन पर लौट गए। फिलहाल हालात सामान्य हैं।
गलवान में 20 सैनिकों को खोने के बाद और पिछले दो हफ्तों से जारी झड़प के बीच भारतीय सेना ने अपने रूल ऑफ एंगेजमेंट में बदलाव किए हैं। हमारे सैनिकों को ऑर्डर मिले हैं कि यदि हालात बिगड़ने लगें और चीनी सैनिक करीब आने की कोशिश करें तो वो फायरिंग कर सकते हैं।
‘भारत सैनिकों को नियंत्रित करे’
इससे पहले, 1 सितंबर को भारत में चीनी दूतावास ने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी तट पर फिर से एलएसी क्रॉस की। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने यह भी कहा है कि भारत अपने सैनिकों को नियंत्रित करे। उनके मुताबिक जब चीन के बॉर्डर गार्ड्स ने भारतीय सैनिकों को रोका तो उन्होंने गोली चलाई। जिसके बाद पीएलए के सैनिकों को स्थिति को संभालना पड़ा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से एलएसी पर फायरिंग होने की बात कही है।
तीन वजहें, पैंगॉन्ग में चीन क्यों बौखलाया है?
- पहला – ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर भारतीय सेना के मजबूत पोजिशन लेने के बाद चीन की पोस्ट भारतीय फायरिंग रेंज में हैं।
- दूसरा – भारतीय सैनिक ऊंचाई पर हैं, जबकि चीन की पोस्ट नीचे। चीन की पोजीशन और ट्रूप को भारतीय इलाकों से देखा जा सकता है। और उस पर निगरानी रख सकते हैं।
- तीसरा- हमारी पोजिशन से चीन के भारतीय इलाकों में एंट्री पॉइंट्स बंद हो गए हैं। जिन इलाकों से एलएसी को लेकर घपला कर चीन भारतीय सीमा में पैट्रोलिंग करता था, वहां अब भारतीय सेना का दबदबा है।
45 साल पहले चीन ने ऐसे ही धोखा दिया था
दोनों देशों की सीमा पर इससे पहले 45 साल पहले गोली चली थी। 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। वहीं इसी साल जून में गलवान में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई थी। हालांकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी चीनी और भारतीय जवानों की ओर से गोलियां नहीं चलाई गई थीं।
भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग सो झील इलाके में अहम चोटी पर कब्जा किया
पिछले दो हफ्तों में भारतीय और चीनी सेना दो बार आमने-सामने आई हैं। 31 अगस्त की दोपहर भी चीन सेना ने भारतीय इलाके पर कब्जे की कोशिश की थी जिसे भारतीय सेना ने रोका था। जबकि इससे पहले 29-30 अगस्त की रात चीन की साजिशों को नाकाम करते हुए भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी हिस्से में मौजूद अहम चोटियों, ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पर कब्जा कर लिया था। यह रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है। यहां से चीनी सैनिक कुछ मीटर की दूरी पर ही हैं। रविवार और सोमवार की रात चीनी सैनिकों ने इस चोटी पर कब्जे की साजिश रची थी। लेकिन, भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन बटालियन ने न सिर्फ उन्हें खदेड़ दिया, बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली।
अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं: रक्षा मंत्रालय
ये घटना तब हुई है जब दो दिन पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच मॉस्को में मुलाकात हुई थी। चीन की घुसपैठ को लेकर रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने फिर यथास्थिति का उल्लंघन किया है। 29 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख के भारतीय इलाके में घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की इस कोशिश को नाकाम कर दिया। हमारी सेना बातचीत के जरिए शांति कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं।
दोनों देशों के बीच जो सहमति बनी थी, भारत उसका पालन नहीं कर रहा- चीन
चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड ने आरोप लगाया था कि दोनों देशों के बीच जो सहमति बनी थी, भारत उसका पालन नहीं कर रहा है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि भारत की ओर से तनाव बढ़ने की आशंका है, क्योंकि उसकी तरफ से भड़काने वाली कार्रवाई हो रही है। भारतीय सैनिक लगातार एलएसी क्रॉस कर रहे हैं।
विवाद का कारण
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन बताते हैं कि भारत और चीन की सीमा से जुड़े कई अनसुलझे सवाल हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। लेकिन जमीन पर अब तक उसकी हदबंदी नहीं हुई है।
यही वजह है कि दोनों देशों की सरहद को लेकर अपनी-अपनी धारणाएं हैं। इसी के चलते ऐसे इलाके पनपे हैं, जिन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं। नतीजतन कई विवादित और संवदेनशील इलाके बन गए हैं। जब भी दोनों देशों की पैट्रोलिंग पार्टी इन विवादित इलाके में जाती है, तो झड़प हो जाती है।