चंडीगढ़। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य के लोगों को कोरोना के संबंध में आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा किए जा रहे झूठे प्रचार में न फंसने की अपील की है। फेसबुक पर लाइव हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कोरोना मरीजों के मानव अंगों की वायरल वीडियो आधारहीन है। ऐसा प्रचार सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है। पीपीई किट में शवों का अंतिम संस्कार केवल संक्रमण से बचने के लिए किया जा रहा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार भी इसी प्रकार किया गया है।
वहीं, इससे पूर्व एक उच्चस्तरीय वर्चुअल मीटिंग में ग्राम पंचायतों द्वारा सरकार की कोरोना प्रबंधन नीति के खिलाफ पारित प्रस्तावों पर विचार किया गया। जिसके बाद कैप्टन ने मंत्रियों, विधायकों और सभी कांग्रेस नेताओं को राज्य सरकार की कोरोना के खिलाफ रणनीति की आलोचना करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ मैदान में उतरने के आदेश दिए।
उन्होंने कहा कि आप के कथित दुष्प्रचार का डटकर सामना करें। गांंवों में लोगों में जाकर उन्हें बताया जाए कि महामारी से बचने के लिए राज्य सरकार कैसे काम कर रही है। कैप्टन ने कहा कि लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस भी राज्य में कोरोना टैस्टिंग के खिलाफ भय का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने भी आप के दुष्प्रचार की कड़ी आलोचना की।
अफवाहें फैलाने वाले बेव चैनलों पर भी होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने कहा कि अफवाहें फैलाने वाले वेब चैनलों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार जल्दी ही केंद्र सरकार से इस संबंध में सलाह लेगी। आप नेता ग्रामीण लोगों के दिल में कोरोना टेेस्ट को लेकर डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। एक आप नेता को गिरफ्तार भी किया गया है।
ऑक्सी मीटर बांटने की घोषणा राजनीतिक स्टंट
लोगों को ऑक्सी मीटर बांटने की आप की घोषणा को राजनीतिक स्टंट बताते हुए कैप्टन ने कहा इन मीटरों का कोरोना टेेस्ट से कोई वास्ता नहीं है। इन मीटरों से किसी को कोरोना होने का पता नहीं चलता। कोरोना संक्रमण होने पर खून में ऑक्सीजन का स्तर काफी तेजी से नीचे गिर सकता है जो कि जानलेवा हो सकता है। ऑक्सीजन की कमी का पता चलने पर ही टेस्ट करवाना संक्रमित व्यक्ति के लिए घातक हो सकता है। कैप्टन ने कहा कि राज्य में समय पर टेेस्ट करवा लेने वाले 85 फीसद कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैैं और शेष 15 फीसद में से केवल पांच फीसद ही आइसीयू में हैैं।