चंडीगढ़। पंजाब ने केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए राज्यों को दिए गए दो विकल्पों को सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पांच पन्नों का पत्र लिखकर पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकती। पत्र में उन्होंने जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि इन बैठकों में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को आश्वस्त किया था कि रेवेन्यू के नुकसान की सौ फीसद भरपाई पांच सालों तक केंद्र सरकार करेगी और अगर इसके लिए कर्ज लेना पड़ा तो यह लिया जाएगा।
मनप्रीत बादल ने कहा कि यह गंभीर मामला है। सभी राज्य इस दिक्कत से जूझ रहे हैँ, इसलिए इस पर ग्रुप आॅफ मिनिस्टर की कमेटी बनाकर कोई समाधान खोजा जाए। यह कमेटी अपनी रिपोर्ट दस दिनों के अंदर दे।
काबिलेगौर है कि कोरोना के कारण आई आर्थिक मंदी में राज्यों ने केंद्र सरकार से जीएसटी की क्षतिपूर्ति की मांग की है और केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्य इसके लिए कर्ज ले लें।
मनप्रीत बादल ने कहा कि जब जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में क्षतिपूर्ति का बिल आया था तब भी काउंसिल के सेक्रेटरी ने यह मुद्दा उठाया था कि कर्ज कौन लेगा और उस पर केंद्र सरकार द्वारा कर्ज लेने की सहमति बनी थी। हालांकि इसे बिल में रिकार्ड नहीं किया गया, लेकिन सचिव ने सभी सदस्यों को आश्वस्त किया था।
मनप्रीत बादल ने कहा कि एक्ट में भी साफ लिखा हुआ है कि जीएसटी से रेवेन्यू का नुकसान हुआ तो इसकी भरपाई की जाएगी। मनप्रीत ने अपने पत्र में पुरानी बैठकों और एक्ट का भी हवाला दिया और कहा कि 14 फीसद ग्रोथ को भी केंद्र सरकार ने ही राज्यों को मुहैया करवाना है।
पत्र में मनप्रीत बादल ने कहा कि पंजाब पूरे देश में जीएसटी घाटे वाला राज्य है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दोनों विकल्पों को भी अगर राज्य सरकार मान लेती है तो भी इस घाटे की पूर्ति नहीं होगी। यह भी संभव है कि ऐसा कई अन्य राज्यों के साथ भी हो। उन्होंने कहा कि कर्ज लेना भी राज्यों के बस में नहीं है। वे पहले ही भारी कर्ज के तले दबे हैं।
मनप्रीत बादल ने मांग की कि इस मुद्दे पर जल्द से जल्द काउंसिल की बैठक बुलाई जाए और मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को सभी राज्यों को भेजा जाए, ताकि वे राज्य अपना एजेंडा तैयार करते समय इन मुद्दों को सामने रख लें।