चार धाम सड़क परियोजना बनाने में नियमों की हुई अनदेखी : SC पैनेल चीफ

Char Dham All-Weather Road Project: चार धाम राजमार्ग परियोजना में 12000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनुमानित लागत से चार पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों का 900 किलोमीटर चौड़ा किए जाने की योजना है.

नई दिल्ली.  मोदी सररकार की महत्वाकांक्षी चार धाम सड़क परियोजना (Char Dham all-weather road project) में जंगलों के नियमों की अनदेखी की गई है. इसके तहत 50 हजार से ज्यादा पेड़ काटे गए हैं. ये कहना है सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त हाई पावर कमेटी (HPC) के प्रमुख रवि चोपड़ा का. इसके अलावा, उन्होंने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव को भी एक पत्र लिखा जिसमें वन नियमों और वन्यजीव कानूनों के अनुपालन में कथित खामियों की चर्चा की है. उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिये पूरे साल सड़क संपर्क उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करीब 900 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में रखी थी.
900 किमी चार धाम सड़क परियोजना में सुप्रीम कोर्ट का स्टे दुर्भाग्यपूर्ण –  Breaking Uttarakhand

 बड़े पैमाने पर अनदेखी
चार धाम राजमार्ग परियोजना में 12000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनुमानित लागत से चार पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों का 900 किलोमीटर चौड़ा किए जाने की योजना है. परियोजना के तहत सड़कों को 10 मीटर से 24 मीटर तक चौड़ा किया जाएगा. न्यूज़ 18 ने इस प्रोजेक्ट में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त हाई पावर कमेटी प्रमुख रवि चोपड़ा से खास बातचीत की. उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनदेखी की गई. उन्होंने कहा, ‘जब हम इस इलाके के दौरे पर थे, तो हमने देखा कि NH-125 टनकपुर से पिथौरागढ़ तक और NH-58 कर्णप्रयाग और हेलंग बहुत सारी जगहों पर ढलान नीचे चली गई है. डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर जिले के दौरे पर हमारे साथ थे. उन्होंने कहा कि वो खुद इस बात से भी नाखुश थे क्योंकि जंगलों को नुकसान पहुंचा है.’

मलबा भी ठीक से नहीं हटाया जा रहा है
समिति के अध्यक्ष ने कहा कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), राष्ट्रीय राजमार्ग और आधारभूत ढांचा विकास निगम लिमिटेड और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बहुत ही गैर जिम्मेदाराना तरीके से अपना काम कर रहे हैं. ‘उन्होंने खतरनाक पर्वतीय ढालों की पहचान करने, परियोजना के तहत मलबा हटाने की उपयुक्त व्यवस्था के बाद पहाड़ को काटे जाने, फुटपाथ बनाने और सड़क के किनारे पौधे लगाने के हमारे सुझावों की अनदेखी की है. पर्वतीय ढाल पर चट्टानों को काटने का काम गैर जिम्मेदाराना तरीके से किया जा रहा है, मलबा नीचे जंगल, खेत और मकानों पर गिर रहा है.’

चारधाम सड़क परियोजना 2020 - YouTube

हर तरफ नुकसान
चोपड़ा ने आगे कहा, ‘ रोड बनाने के दौरान भले ही नियम ये कहें कि आप किसी भी मलबे या मलबे को नदी में नहीं फेंक सकते, लेकिन बहुत बार ऐसा किया जाता है. कई जीव जो नदी के तल पर रहते हैं या पानी के साथ बहते हैं, जिनमें ऑटोट्रॉफ़ शामिल हैं, वे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को परिवर्तित करते हैं और ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं.लेकिन इऩ सबकी अनदेखी हुई.’

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.