Coronavirus vaccine: अमेरिका, ब्रिटेन से कोरोना वायरस पर बड़ी खुशखबरी, 2020 के अंत तक मिल जाएगी वैक्सीन
Coronavirus Vaccine Tracker Updates: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से अब तक करोड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. इस वायरस से लोगों को निजात दिलाने और वैक्सीन तैयार करने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर जी-जान से जुटे हुए हैं.
न्यूयार्क। इसी बीच अमेरिका से कोरोना वैक्सीन पर बड़ी खुशखबरी आई है. अमेरिका कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के अंतिम चरण में है. संयुक्त राज्य अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2020 तक ट्रायल के बाद कोविड-19 वैक्सीन के 4 उम्मीदवार हो सकते हैं. अमेरिका के स्वास्थ्य और मानव सेवा उप प्रमुख पॉल मैंगो ने कहा, यह पूरी तरह से ट्रैक पर है और अगर सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है.
मैंगो ने कहा कि प्रत्येक वैक्सीन तीसरे क्लीनिक ट्रायल में 30,000 वॉलंटियर्स को शामिल किया गया है और वर्तमान में दोनों अंडरपास लगभग आधे थे. इसके साथ ही मॉडर्ना इंक (Moderna Inc) ने दावा किया है कि पहले चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन ने न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी की काफी ज्यादा मात्रा पैदा की. बुजुर्गों को वैक्सीन की खुराक देने पर उनके प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) में रेस्पॉन्स पैदा होने के सबूत मिले हैं. हालांकि कंपनी का ये भी कहना है कि उन्होंने इस ट्रालय में सिर्फ 20 लोगों को ही शामिल किया था.
ब्रिटेन पूरी तरह से लाइसेंस प्राप्त करने से पहले किसी भी प्रभावी कोरोना वायरस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने के लिए अपने कानूनों को संशोधित करने की तैयारी कर रहा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की ओर से कहा गया कि सरकार पुनर्निरक्षित सुरक्षा उपायों को अपना रही है, जिससे देश की दवाओं की नियामक एजेंसी को COVID-19 वैक्सीन का अस्थाई प्राधिकरण देने की अनुमति मिले, बशर्ते यह सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों को पूरा करता हो.
दरअसल ब्रिटेन में भी कोरोना वैक्सीन का ट्रालय आखिरी चरण में बताया जा रहा है. ब्रिटेन सरकार का कहना है कि किसी भी वैक्सीन का ट्रायल पूरे होने के बाद उसका लाइसेंस लेने में महीनों का वक्त लग जाता है, ऐसे में अगर ये प्रक्रिया अभी से शुरू कर दी जाती है तो लोगों को वैक्सीन जल्द उपलब्ध हो सकेगी. जानकारी के लिए बता दें कि ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी ने कोरोना वैक्सीन को लगभग तैयार किया है, जिसे एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के नाम से जाना जा रहा है. इस वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण में इंसानों पर सफल परीक्षण हो चुका है. अब सिर्फ तीसरे यानी अंतिम चरण का ट्रायल बचा है. माना जा रहा है कि यह भी जल्द ही पूरा हो जाएगा. वैज्ञानिकों ने अंतिम चरण का ट्रायल दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में करने का फैसला किया है, क्योंकि यहां संक्रमितों की संख्या ज्यादा है.
भारत में अगले साल फरवरी तक उपलब्ध हो सकती हैं 2 कोरोना वैक्सीन, भारत ने किया करार
रिपोर्ट के अनुसार, ‘इन दोनों टीकों के लिए सुरक्षा व प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाने में पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भरोसेमंद लगते हैं. हम इस बारे में आशावादी हैं कि भारत में 2021 की पहली तिमाही में बाजार में एक स्वीकृत टीका उपलब्ध हो जाएगा.’ कहा गया है कि टीके की कीमत प्रति खुराक तीन से छह डॉलर (225 से 550 रुपये) हो सकती है और क्रियान्वयन की दिक्कतों के कारण सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित होने में दो साल लग सकते हैं. इसका कारण व्यापक स्तर पर टीकाकरण के मामले में कम अनुभव होना है.
रिपोर्ट के अनुसार, बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव हैं. एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोविड-19 के लिए अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था. बर्नस्टीन ने कहा कि शीत भंडार गृहों की श्रृंखला तथा कुशल श्रम की कमी दो बड़ी चुनौतियां होने वाली हैं. यदि यह भी मानकर चलें कि क्रियान्वयन की गति पहले की तुलना में दो गुना होगी, तब भी सरकारी कार्यक्रम के अमल में आने में 18 से 20 महीने लगेंगे.
उसने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले टीके को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सीरम इंस्टीट्यूट ने एजेड व ऑक्सफोर्ड तथा नोवावैक्स दोनों के साथ उनके संभावित टीके के उत्पादन का करार किया हुआ है. उसके पास प्रोटीन सब यूनिट और वायरल वेक्टर दोनों तरह के टीके के उत्पादन की क्षमता है. जरूरत पड़ने पर दोनों की प्रकार की क्षमताओं को बदलकर किसी एक को और बढ़ाया जा सकता है. अत: हमें विनिर्माण के मोर्चे पर कोई अवरोध नहीं दिखाई देता है.
उसने कहा, ‘वे (सीरम इंस्टीट्यूट) एक अरब खुराक की अतिरिक्त क्षमता पर भी काम कर रहा है. हमारा अनुमान है कि वे 2021 में 60 करोड़ खुराक और 2022 में एक अरब खुराक बना सकेंगे. इनमें से 2021 में भारत के लिए 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगे.’
इनके अतिरिक्त भारत की तीन कंपनियां जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई भी अपने-अपने टीके पर काम कर रही हैं. ये टीके पहले व दूसरे चरण के परीक्षण में हैं. बर्नस्टीन ने अनुमान व्यक्त किया है कि भारत का टीका बाजार वित्त वर्ष 2021-22 में छह अरब डॉलर का हो सकता है.