स्कालरशीप के नाम पर बठिंडा के दो कालेजों ने भी किया करोड़ों का घपला, अब जांच में आया नाम

-जांच में गोलमाल कर करोड़ों की राशि को बनाया लाखों में, सरकार की रिपोर्ट में हुआ है खुलासा -अकाली दल सरकार में भी इन कालेजों पर स्कालरशीप में करोड़ों का घपला करने के लग चुके हैं आरोप

बठिंडा. पंजाब विधायनसभा सेशन में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर विपक्ष ने जहां हंगामा कर इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कारर्वाई की मांग रखी वही समाजिक न्याय सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज ने एक जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव विनी महाजन को सौंपी थी। 17 पेज की इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि किस प्रकार से मंत्री और विभाग के डिप्टी डायरेक्टर परमिंदर सिंह गिल ने 63.91 करोड़ रुपये का घोटाला किया। यही नहीं, स्कॉलरशिप के लिए बांटी गई 39 करोड़ रुपये की राशि का कोई रिकॉर्ड विभाग के पास ही नहीं है। इसमें सामने आया कि जिन निजी संस्थानों से विभाग ने आठ करोड़ रुपये वसूलने थे, उन विभागों का री ऑडिट करवाकर उन्हें 16.91 करोड़ रुपये और जारी कर दिए गए, लेकिन नए ऑडिट के आदेश किसने और कब दिए इसका कोई रिकार्ड नहीं है। इस कारण विभाग को 24.91 करोड़ रुपये की चपत लगी।

सरस्वती पालीटेक्निक कालेज, बठिंडा, रीजनल पालीटेक्निकल कालेज बठिंडा में हुई अनियमियतता

वर्तमान में इस घपले में बठिंडा व मालवा के कई कालेजों के नाम सामने आए है। इसमें सरस्वती पालीटेक्निक कालेज, बठिंडा, रीजनल पालीटेक्निकल कालेज बठिंडा शामिल है। हैरानी वाली बात यह है कि उक्त दोनों कालेजों का नाम 8 साल पहले भी स्कालरशीप घोटले में आ चुका है। इन दो कालेजों पर डमी एडमीशन करवाने व इसकी एवज में सरकार से पैसे वसूल करने के आरोप भी लगे थे। इसमें सरस्वती पालीटेक्निकल कालेज बठिंडा की तरफ वित्त विभाग ने आडिट में 1.85 करोड़ रुपये की रिकवरी निकाली। जिसे डायरेक्टोरेट द्वारा 23 जुलाई 2019 को किए गए री-आडिट में 12 लाख रुपये कर दिया गया। दो अगस्त 2019 को 90 लाख रुपये के और फंड जारी कर दिए गए। इसी तरह से रीजनल पालीटेक्निक कालेज, बठिंडा की तरफ वित्त विभाग ने 87.45 लाख रुपये की रिकवरी निकाली। कालेज ने साल 2011-12, 2012-13 और 2014-15 का रिकार्ड नहीं दिया तो कालेज पर 1.19 करोड़ की अतिरिक्त रिकवरी डाले जाने के बाद कुल रिकवरी 2.07 करोड़ रुपये हो गई। री-आडिट में 87.45 लाख की रिकवरी को 6.11 लाख रुपये कर दिया और 1.19 करोड़ रुपये की रिकवरी का कोई जिक्र नहीं किया गया। बाद में कालेज को 1.09 करोड़ रुपये और देने को मंजूरी दे दी।

कैैप्टन के आदेशों को भी रखा छींके पर करते रहे मनमानी 

दलित विद्यार्थियों की पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के तहत आए फंड की लूट के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। सामाजिक न्याय सशक्तिकरण व अल्पसंख्यक विभाग के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर सरबजिंदर सिंह रंधावा ने दिसंबर 2019 में आठ कालेजों की जांच की थी। जिसकी रिपोर्ट में सामने आया कि पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम के लिए इन कालेजों का आडिट करवाने के लिए मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के निर्देशों का उल्लंघन किया गया। जांच में एक ऐसे कालेज का नाम भी सामने आया जो एससी के अलावा सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए एससी स्कालरशिप फंड लेता रहा।

आडिट के हो जाने के बाद री-आडिट का खेल खेला गया

इस आडिट के हो जाने के बाद री-आडिट का खेल खेला गया और जिन आठ कालेजों की तरफ आडिट में आठ करोड़ रुपये की रिकवरी निकली उनसे रिकवरी करने की बजाए री आडिट के बाद 16.91 करोड़ रुपये और जारी कर दिए गए। वहीं, विभाग के पास इस बात का रिकार्ड तक नहीं है कि रिव्यू आडिट के लिए संबंधित कालेजों ने आवेदन भी किया था या नहीं। इसके अलावा यह बात भी रिकार्ड में नहीं है कि आडिटरों के नाम किसने प्रस्तावित किए। इसमें लार्ड कृष्णा पालीटेक्निक कालेज, कपूरथला में वित्त विभाग के आडिट में करीब 1.11 करोड़ रुपये की रिकवरी दिखाई गई। रिपोर्ट तकनीकि शिक्षा विभाग को भेजी गई और विभाग ने रिकवरी को 85.12 लाख रुपये बताया। परंतु री-आडिट के बाद कालेज को 1.17 करोड़ के अनुदान के लिए योग्य बताया गया। सरकार को 2.03 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वही मार्डन कालेज और एजुकेशन, संगरूर की तरफ 2014 से 2017 के बीच कालेज ने कुल 90 लाख रुपये मांगे और वित्त विभाग ने 58.66 लाख की रिकवरी दिखाई। हायर एजुकेशन विभाग ने रिकवरी कम करके केवल 6 लाख रुपये कर दी। रिकवरी तो नहीं हुई लेकिन एक ही साल में दो बार 41.48 लाख और 41.48 लाख रुपये कालेज को जारी कर दिए गए।

शिरोमणि अकाली दल ने खोला मोर्चा 

वही शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया है। घोटाले को लेकर पार्टी नेताओं ने अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री साधू सिंह धर्मसोत के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने और उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। इसके साथ ही घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग भी की है। अकाली दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक सरुपचंद सिंगला तथा पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि मंत्री धर्मसोत ने दलित बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। यदि मुख्यमंत्री उन्हें तत्काल बर्खास्त नहीं करते, राज्य के खजाने से लूटे गए धन की वसूली नहीं करते, तो शिरोमणी अकाली दल आंदोलन करेगा।

 

 

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