कोरोना वैक्सीन ट्रैकर:महामारी रोकने के लिए कोरोनावायरस का वैक्सीन कितना इफेक्टिव होना जरूरी है? वैक्सीन के इफेक्टिव होने और हर्ड इम्युनिटी में क्या संबंध है?

वैक्सीन जितना ज्यादा इफेक्टिव होगा, उतनी जल्दी हर्ड इम्युनिटी विकसित होगी ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा, तो ही पहले जैसी स्थिति में लौटेगी दुनिया

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कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए दुनियाभर में 172 वैक्सीन विकसित हो रहे हैं। इसमें भी 31 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स से गुजर रहे हैं। महामारी की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए वैक्सीन के ट्रायल्स की स्पीड भी कई गुना बढ़ा दी गई है। जो वैक्सीन बनने में औसतन तीन-चार साल लग जाते हैं, उसे जल्द से जल्द बनाने और लोगों तक पहुंचाने की होड़ लगी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि लोगों तक पहुंचाने से पहले किसी वैक्सीन को कितना इफेक्टिव होना जरूरी है।

दुनियाभर के नेता अब वैक्सीन के लिए वैज्ञानिकों और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की ओर देख रहे हैं। कह रहे हैं कि 2021 की शुरुआत तक वैक्सीन बाजार में आ जाएंगे। उसके बाद कोरोना भी खत्म हो जाएगा। लेकिन, यह समझना जरूरी है कि वैक्सीन भी किसी और प्रोडक्ट की ही तरह होता है। सिर्फ यह मायने नहीं रखता कि वह प्रोडक्ट उपलब्ध हुआ है या नहीं, बल्कि यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वह इफेक्टिव हो।

कोई वैक्सीन कितना इफेक्टिव है, इससे क्या फर्क पड़ता है?

  • बहुत फर्क पड़ता है। यदि इफेक्टिवनेस से फर्क नहीं पड़ रहा होता तो अब तक कई वैक्सीन मार्केट में होते। रूसी वैक्सीन की आलोचना नहीं होती। कोई वैक्सीन कितनी इफेक्टिव है, इसके आधार पर ही उसकी उपयोगिता भी साबित होती है।
  • अलग-अलग वैक्सीन अलग-अलग स्तर का प्रोटेक्शन देते हैं। वैज्ञानिक इसे ही उस वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कहते हैं। इसके जरिये किसी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को जांचा और परखा जाता है। यह इफेक्टिवनेस ट्रायल्स के जरिये ही सामने आती है।
  • यदि 100 स्वस्थ लोगों को वैक्सीन लगाया और उस वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 80% है। तब इसका मतलब होगा कि 100 में से 80 लोगों को कोरोनावायरस नहीं होगा। इसका यह भी मतलब नहीं है कि बाकी 20 लोगों को कोरोनावायरस हो ही जाएगा।

कोरोनावायरस का वैक्सीन कितना इफेक्टिव होना चाहिए?

  • पूरी दुनिया इस समय कोरोनावायरस से जल्द से जल्द छुटकारा चाहती है। ऐसे में कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। महामारी को काबू करने के लिए जो भी हो सकता है, वह किया जा रहा है। वैक्सीन भी इसी दिशा में किए जा रहे सबसे अहम प्रयास है।
  • अमेरिका के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फॉसी का कहना है कि यदि किसी कोरोना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 50% भी साबित हो गई तो यह महामारी रोकने में कारगर रहेगा। हालांकि, अतिरिक्त उपाय करने की आवश्यकता तब भी होगी।
  • फॉसी ने कहा, “यदि वैक्सीन 80, 90 प्रतिशत इफेक्टिव रहती है तो अच्छा है। वरना यदि 50-60 प्रतिशत भी रहता है तो भी मुझे अच्छा लगेगा। उस स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों को लागू रखेंगे तो हम कोरोना को हरा सकते हैं।”
  • अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में 15 जुलाई को एक स्टडी प्रकाशित हुई। यह कहती है कि सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम खत्म करने के लिए किसी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस कम से कम 70% या 80% तक होनी चाहिए।
  • यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि मीजल्स वैक्सीन को अप्रूव करने के लिए उसकी 95% से 98% इफेक्टिवनेस देखी जाती है। इसी तरह, कोई भी फ्लू वैक्सीन 20% से ज्यादा से ज्यादा 60% तक ही इफेक्टिव होता है।
  • इसका मतलब यह भी नहीं है कि 70% से कम प्रोटेक्शन देने वाला कोरोना वैक्सीन बेकार हो जाएगा। वह प्रोटेक्शन तो देगा ही, लेकिन तब सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का कुछ समय तक पालन करना होगा। यह वैक्सीन हर्ड इम्युनिटी विकसित करेंगे।

वैक्सीन इफेक्टिव रहा तो कैसे रुकेगी महामारी?

  • सारा खेल वैक्सीन के इफेक्टिव होने का ही तो है। यदि वैक्सीन इफेक्टिव रहा तो हम जल्द से जल्द हर्ड इम्युनिटी हासिल कर लेंगे। इससे वायरस का प्रसार थम जाएगा और शेष आबादी संक्रमित होने से बच जाएगी।
  • कोरोना के संबंध में कई वैज्ञानिकों का दावा है कि जब 40 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो जाएगी तो इसका प्रसार रुक जाएगा। उनका मतलब है कि तब हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाएगी और हम कोरोना के पहले जैसा जीवन जी सकेंगे।
  • यहां यह भी समझना होगा कि 40 प्रतिशत आबादी संक्रमित होने का मतलब सिर्फ यह है कि उनके शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो जाएगी। इस काम को वैक्सीन बड़ी तेजी से कर सकता है। इस वजह से उसकी इफेक्टिवनेस पर सारा दारोमदार है।

… हर्ड इम्युनिटी के लिए वैक्सीन कितना आवश्यक है?

  • कुछ देश बिना वैक्सीन के ही हर्ड इम्युनिटी हासिल करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके प्लान को झटका लगा है। एम्स-दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रसून चटर्जी के मुताबिक हर्ड इम्युनिटी तभी काम करती है जब वैक्सीनेशन हो। तब इसका इफेक्ट मल्टीप्लायर होता है।
  • वहीं, मेडिकल जर्नल- द लैंसेट, में स्पेन की आबादी पर की गई स्टडी के आधार पर दावा किया गया है कि बिना वैक्सीन के हर्ड इम्युनिटी मुश्किल है। एक अन्य स्टडी ने इसे नामुमकिन तक बताया है। ऐसे में वैक्सीन की इफेक्टिवनेस ही हर्ड इम्युनिटी को जल्द से जल्द हासिल करने में मदद कर सकती है।

 

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