अवमानना केस में बहस:दोषी प्रशांत भूषण के वकील बोले- सजा टाल देंगे तो आसमान नहीं टूटेगा; सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सजा सुनाई तो भी रिव्यू होने तक लागू नहीं होगी

अदालतों और जजों के खिलाफ ट्वीट के मामले में कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना के दोषी ठहराया था भूषण की दलील- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई विकल्प नहीं बचता, इसलिए इंसाफ का ध्यान रखा जाए

नई दिल्ली। अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण की अपील सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। भूषण ने सजा पर आज होने वाली बहस टालने और रिव्यू पिटीशन लगाने का मौका देने की अर्जी लगाई थी। भूषण ने सजा पर सुनवाई दूसरी बेंच में करवाने की अपील भी की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया।

जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने कहा कि सजा सुना भी देंगे, तो रिव्यू पर फैसले तक लागू नहीं होगी। दूसरी ओर भूषण के वकील ने कहा कि अगर सजा को टाल देंगे तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा।

भूषण की दलील- इंसानी फैसलों में गलतियों की गुंजाइश
प्रशांत भूषण ने बुधवार को अर्जी लगाई थी। उनका कहना था कि इंसानी फैसले हमेशा अचूक नहीं होते। निष्पक्ष ट्रायल की सभी कोशिशों के बावजूद भी गलतियां हो सकती हैं। आपराधिक अवमानना के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ट्रायल कोर्ट की तरह काम करता है, और इसके ऊपर कोई विकल्प भी नहीं होता।

भूषण ने दलील दी कि हाईकोर्ट से अवमानना का दोषी आगे भी अपील कर सकता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कोई विकल्प नहीं बचता। इसलिए, विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इंसाफ मिल पाए। भूषण ने 30 दिन में अपील करने की बात कही है।

क्या है मामला?
अदालत और सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर विवादित ट्वीट करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा था कि 20 अगस्त को सजा पर बहस होगी।

प्रशांत भूषण के इन 2 ट्वीट को कोर्ट ने अवमानना माना
पहला ट्वीट: 27 जून-
 जब इतिहासकार भारत के बीते 6 सालों को देखते हैं तो पाते हैं कि कैसे बिना इमरजेंसी के देश में लोकतंत्र खत्म किया गया। इसमें वे (इतिहासकार) सुप्रीम कोर्ट, खासकर 4 पूर्व सीजेआई की भूमिका पर सवाल उठाएंगे।
दूसरा ट्वीट: 29 जून- इसमें वरिष्ठ वकील ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक के साथ फोटो शेयर की। सीजेआई बोबडे की बुराई करते हुए लिखा कि उन्होंने कोरोना दौर में अदालतों को बंद रखने का आदेश दिया था।

Leave A Reply

Your email address will not be published.