लुधियाना. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने पंजाब के लुधियाना में बड़ी कार्रवाई की है। सीअीआइ ने लुधियाना स्थित एसईएल टेक्सटाइल्स लिमिटेड (एसईएलटी) और उसके निदेशकों के खिलाफ 1,530 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। एसईएल के निदेशकों पर सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों के एक समूह के साथ 1,530 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
समूह के निदेशकों राम शरण सलूजा, नीरज सलूजा और धीरज सलूजा आरोपित
सीबीआइ अधिकारियों ने बताया कि समूह के निदेशकों राम शरण सलूजा, नीरज सलूजा व धीरज सलूजा को सीबीआइ की प्राथमिकी में अज्ञात लोगों के साथ आरोपित बनाया गया है। सीबीआइ ने यह कार्रवाई सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शिकायत पर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि एसईएल व उसके निदेशकों ने बैंकों को ठगने के लिए आपराधिक षड्यंत्र रचा और 2009-13 के बीच गलत तरीके से लोन फंड को डायवर्ट किया।
बैंक ने कहा है कि राम शरण सलूजा और नीरज सलूजा भारत में हैं, जबकि धीरज कंपनी के विदेशी कारोबार का प्रबंधन करते हैं और विदेश में रहते हैं। बैंक ने सीबीआइ से आरोपितों के पासपोर्ट जब्त करने का अनुरोध किया है, ताकि वे देश न छोड़ सकें। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 2014 में खाते को एनपीए घोषित किया था।
एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि एनपीए की घोषणा के बाद बैंकों ने एक फोरेंसिक ऑडिट किया, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं। एसईएल की मूल कंपनी एसईएल मैन्युफेक्चरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 380 करोड़ का योगदान दिखाया, जबकि ऑडिट में पता चला कि इसमें कोई वास्तविक योगदान नहीं था।
पहले भी हो चुकी है एफआइआर
एसईएल टेक्सटाइल लिमिटेड के संचालकों के खिलाफ नौ माह के बाद दूसरी एफआइआर दर्ज हुई है। पिछले साल नवंबर में सीबीआइ ने बैंक ऑफ माहराष्ट्र की शिकायत पर 113.55 करोड़ की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इसकी जांच भी जारी है।
सीबीआइ की एक टीम लगातार उन व्यापारियों की गतिविधियों पर निगाह रख रही है, जिनके साथ इस ग्रुप की कंपनियों ने कारोबार किया है। सीबीआइ ने लुधियाना के ढंडारी खुर्द के अलावा राहों रोड व अन्य जगहों पर बने कार्यालयों व इकाइयों की जांच की और काफी रिकॉर्ड हासिल किया था।
एक टीम ने यहां के कार्यालयों से विदेश में हुई ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। सीबीआइ उन सभी बिल व लेन-देन की रसीदों पर दर्ज कंपनियों के नाम व उनके मालिकों से भी पूछताछ कर सकती है कि खरीदा व बेचा गया माल असल में बना भी था या कागजों में ही डाला गया है।