अमेरिकी डॉलर की कीमत गिरने से सस्ता हुआ कच्चा तेल, भारत समेत कई देशों को राहत
Crude oil Price: अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के दाम कम होने से कच्चा तेल आयत करने वाले देशों के लिए राहत की खबर है. डॉलर गिरने से कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है और भारत (India) जैसे देशों को सस्ता तेल मिल रहा है.
वाशिंगटन. कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के चलते ख़राब आर्थिक दौर से गुजर रहे तेल आयातक देशों (Crude Importing Nations) के लिए अच्छी खबर है. दुनिया की प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के कमज़ोर होने की वजह से कच्चा तेल (Crude Oil) अब सस्ता मिल रहा है. अमेरिका के एनर्जी इन्फ़र्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी ईआए ने बताया कि डॉलर के कमजोर होने का सीधा फायदा बड़ी मात्रा में तेल खरीदने वाले देशों को होने वाला है. कच्चे तेल का कारोबार अमेरिकी डॉलर में ही होता है, इस वजह से उन देशों को ये तेल सस्ता पड़ रहा है जिनकी मुद्रा डॉलर के मुक़ाबले मज़बूत हुई है.
अमेरिकी एजेंसी ने बताया कि भारत-चीन जैसे एशियाई देशों के लावा यूरोज़ोन के देशों को भी इसका सीधा फायदा मिलेगा. इनमें कई देश ऐसे हैं जो कच्चा तेल आयात करते हैं. एक जून से 12 अगस्त के बीच ब्रेंट क्रूड ऑयल के दामों में 19 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ईआईए के अनुमान के मुताबिक़ डॉलर के मुक़ाबले यूरो की क़ीमत बढ़ने की वजह से यूरो में ये बढ़ोतरी 12 फ़ीसदी ही हुई है. बीते कुछ महीनों से ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम और डॉलर के दाम विरोधी दिशाओं में बढ़ रहे हैं. जहां ब्रेंट क्रूड ऑयल महंगा हो रहा है वहीं वैश्विक मुद्राओं के मुक़ाबले डॉलर कमज़ोर पड़ रहा है. हाल के सप्ताह में महामारी के असर की वजह से क्रूड ऑयल की वैश्विक मांग कम होने का अनुमान लगाया गया है, लेकिन कमज़ोर हो रहे डॉलर ने तेल के दामों का समर्थन ही किया है.
सस्ते हो सकते हैं डीजल-पेट्रोल के दाम
वहीं, सात लाख बैरल गैसोलीन और 23 लाख बैरल डिस्टिलेट फ्यूल सूची से कम हुआ है. इससे तेल के दामों को बढ़त मिली है. तेल की इस कमी से तेल के दाम कुछ ऊंचे हुए थे लेकिन इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी और ओपेक ने इस साल के लिए तेल की खपत के अपने अनुमान को कम कर दिया है और स्वीकार किया है कि कोविड 19 महामारी पर वैश्विक असर अनुमान से कहीं ज़्यादा होगा.