‘गांवों में कोरोना से हो सकती है अदृश्य तबाही, देरी से दिखेगी असल तस्वीर’
गार्डियन का कहना है कि ये डर बढ़ने लगा है कि ग्रामीण इलाकों में अदृश्य तबाही हो सकती है जहां काफी लोग बिना जांच या इलाज के ही मर सकते हैं. भारत के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सिर्फ 25 फीसदी ग्रामीण आबादी के पास हेल्थकेयर की सुविधा मौजूद है.
भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और अब आशंका जताई जा रही है कि ग्रामीण इलाकों में कोरोना वायरस खतरनाक रूप ले सकता है. theguardian.com में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ जयप्रकाश मुलियील का मानना है कि भारत की करीब आधी आबादी कोरोना से संक्रमित होगी. भारत के National Institute of Epidemiology की साइंटिफिक एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन जयप्रकाश मुलियील ने कहा कि पहले से ही किसी और बीमारी से जूझ रहे ज्यादातर ग्रामीण अक्सर इलाज से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में कोराना संक्रमण उन पर भारी पड़ सकता है.
गार्डियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना के मामले 24 लाख होने के साथ ही (ताजा आंकड़ा 26 लाख से अधिक) ये डर बढ़ने लगा है कि ग्रामीण इलाकों में वायरस कहर मचा सकता है. कई सुदूर गांवों में तो संक्रमण के मामले पहले ही सामने आ चुके हैं. वहीं, भारत की करीब 70 फीसदी बुजुर्गों की आबादी गांवों में रहती है और कोरोना बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करता है.
गार्डियन का कहना है कि ये डर बढ़ने लगा है कि ग्रामीण इलाकों में अदृश्य तबाही हो सकती है जहां काफी लोग बिना जांच या इलाज के ही मर सकते हैं. भारत के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सिर्फ 25 फीसदी ग्रामीण आबादी के पास हेल्थकेयर की सुविधा मौजूद है.
भारत के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ जयप्रकाश मुलियील ने कहा- ‘स्वास्थ्य सुविधाएं दूर होने की वजह से बिना इलाज के ही रहने वाले लोग और बुजुर्गों को वायरस से खतरा है. ग्रामीण इलाकों में संसाधन कम होने की वजह से बीमार पड़ने पर भी परिवार बुजुर्गों को हॉस्पिटल नहीं ले जाएगा. उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा. यह ग्रामीण भारत की हकीकत है जहां व्यक्ति की जीने की उम्र (life expectancy) 65 साल मानी जाती है.’
मुलियील का कहना है कि चूंकि मौतें काफी बड़े क्षेत्रफल में फैली होंगी इसलिए त्रासदी की असल तस्वीर अगर दिखेगी भी तो काफी देरी से. वहीं, ग्रामीण इलाकों में काफी लोग खुद पर लांछन लगने के डर से भी लक्षण छिपाने की कोशिश करेंगे. रोज मजदूरी करने वालों को डर होगा कि लक्षण पता चलने पर उनका काम छूट सकता है. वहीं, भारत के 80 फीसदी डॉक्टर और 60 फीसदी हॉस्पिटल शहरी इलाकों में ही हैं. यानी ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की भारी कमी है जिसकी वजह से भी गांवों में कोरोना का रूप शहरों से अलग हो सकता है.